बाहर शांतिपूर्वक धरने पर बैठी बीएम एस से सम्बद्ध आशा कार्यकत्रियों एवं आशा फैसिटिलेटेटर की गिरफ्तारी

अलग अलग जगह अलग अलग बसों में ले जाकर आशाओं को छोड़ना क्या महिलाओं का अपमान नहीं?

देहरादून। सचिवालय के बाहर शांतिपूर्वक धरने पर बैठी बीएम एस से सम्बद्ध आशा कार्यकत्रियों एवं आशा फैसिटिलेटेटर की गिरफ्तारी और बसों में भरकर इधर उधर‌ छोडा। आशाओं ने इसे अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही तथा आततायी सरकार कहा।
ज्ञात हो कि काफी समय से अपनी मांगों के लेकर संघर्ष कर रही आशा एवं आशा फैसिटिलेटेटर ने अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार आज विशाल‌रैली परेड ग्राउंड से निकाल कर सचिवालय की ओर प्रस्थान की किन्तु पुलिस व स्थानीय प्रशासन ने उन्हें सचिवालय से पहले ही बैरीकेड लगाकर भारी पुलिस बल से रोक लिया। परिणामस्वरूप आशाएं भड़क गयी क्योंकि उनके शांतप्रिय प्रदर्शन को एएसपी ग्रामीण और सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में शाम साढ़े चार बजे करीब एकाएक पुलिस की गाड़ियों में बलपूर्वक गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। ज्ञात हो कि आशा संगठन की प्रांतीय महामंत्री ललितेश विश्वकर्मा व आशा फैसिटिलेटेटर की महामंत्री रेनू नेगी सहित पहाड़ के सुदूरवर्ती जनपदों से रैली में भाग लेने आईं सैंकड़ो आशाओं ने अपने अपने बक्तब्य में उन्हें राज्य कर्मचारी घोषित करने व न्यूनतम वेतन 18 हजार देने की प्रमुख मांग मुख्यमंत्री के समक्ष रखना था और वे स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव व डीजी हेल्थ तक पर कई बार वार्ता हुई जो बेनतीजा रही इससे नाराज आशाओं ने मुख्यमंत्री धामी से मिलकर वार्ता करना चाही परंतु बजाए सौहार्दपूर्ण वार्ता के एकाएक गिरफ्तारी और बल प्रयोग से प्रदेश की सात हजार आशाओं व सैकड़ों आशा फैसिटिलेटेटर नाराज हैं।

देहरादून। सचिवालय के बाहर शांतिपूर्वक धरने पर बैठी बीएम एस से सम्बद्ध आशा कार्यकत्रियों एवं आशा फैसिटिलेटेटर की गिरफ्तारी शुरू।
ज्ञात हो कि काफी समय से अपनी मांगों के लेकर संघर्ष कर रही आशा एवं आशा फैसिटिलेटेटर ने अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार आज विशाल‌रैली परेड ग्राउंड से निकाल कर सचिवालय की ओर प्रस्थान की किन्तु पुलिस व स्थानीय प्रशासन ने उन्हें सचिवालय से पहले ही बैरीकेड लगाकर भारी पुलिस बल से रोक लिया। परिणामस्वरूप आशाएं भड़क गयी क्योंकि उनके शांतप्रिय प्रदर्शन को एएसपी ग्रामीण और सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में शाम साढ़े चार बजे करीब एकाएक पुलिस की गाड़ियों में बलपूर्वक गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। ज्ञात हो कि आशा संगठन की प्रांतीय महामंत्री ललितेश विश्वकर्मा व आशा फैसिटिलेटेटर की महामंत्री रेनू नेगी सहित पहाड़ के सुदूरवर्ती जनपदों से रैली में भाग लेने आईं सैंकड़ो आशाओं ने अपने अपने बक्तब्य में उन्हें राज्य कर्मचारी घोषित करने व न्यूनतम वेतन 18 हजार देने की प्रमुख मांग मुख्यमंत्री के समक्ष रखना था और वे स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव व डीजी हेल्थ तक पर कई बार वार्ता हुई जो बेनतीजा रही इससे नाराज आशाओं ने मुख्यमंत्री धामी से मिलकर वार्ता करना चाही परंतु बजाए सौहार्दपूर्ण वार्ता के एकाएक गिरफ्तारी और बल प्रयोग से प्रदेश की सात हजार आशाओं व सैकड़ों आशा फैसिटिलेटेटर नाराज हैं।

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