…ये फर्जी शिलान्यासों की होड़ मोदी के आंकड़ों का बिगाड़ सकती है खेल?

एसटीपी स्कैम : पहले नाश, अब सत्यानाश, क्यों?

चुनाव आदर्श आचार संहिता लगने से पहले फर्जी शिलान्यासों और उद्घाटनों की ये होड़

..न ज़मीन का पता और न ही प्रस्ताव पास फिर ये 15 एमएलडी 79 करोड़ की सपेरा बस्ती, मोथरोवाला का शिलान्यास आज कैसे?

धाकड़ धामी का ये धाकड़ अंदाज खिलायेगा गुल या फिर चटायेगा धूल!

(पोलखोल-तहलका ब्यूरो का सर्वे)

देहरादून। सुबह उठते ही जब अखवार खोला तो उसमें देखा कि आज फिर एक पूरे पृष्ठ का विज्ञापन है‌ जिसमें उत्तराखंड के धाकड़ धामी अपने आवास से लगभग आठ हजार दो सौ पिच्छतर करोड़ रुपये की नौ प्रमुख परियोजनाओं का शिलान्यास और छः योजनाओं का लोकार्पण करने वाले हैं दिल गदगद हो गया कि वास्तव में यहां भी विकास की गंगा अब तेजी से बहेगी परंतु सदमा तब लगा जब प्रधानमंत्री मोदी की तर्ज पर चलने वाले धाकड़ धामी विकसित भारत की ओर जिस तरह से ले जा रहे हैं वह जनता जनार्दन के साथ आदर्श आचार संहिता के लगने से पहले का छलावा मात्र है। क्या यह कागज पर बने खेत पर खूंटा बनाकर  उससे जिन्दा हाथी बांधने जैसा खतरनाक खेल नहीं है जो आने वाले लोकसभा चुनावों में लोकप्रिय मोदी के आंकड़ों का खेल भी बिगाड़ सकता है। ऐसा न हो इस दिखावे और बड़बोलेपन को एक बार फिर देवभूमि की जनता सच्चाई जानने पर ‘खंडूड़ी है ज़रूरी जैसा’ परिणाम ना दोहरा दे! वैसे यहां का इतिहास रहा है कि यह जनता जनार्दन जितने प्यार और विश्वास से सिर माथे बिठाती है उतने ही गुस्से से बड़बोलेपन के लोंगो को धूल चटाने में पीछे नहीं रहती तथा ऐसा सबक सिखाती है कि फिर वह दोबारा पनप नहीं पाता। हालांकि इस परिपाटी के  धाकड़ धामी खुद भुक्तभोगी रहे हैं 2022 के चुनाव में जनता की पटखनी भी देखी और फिर पलक फावड़ा भी।
ऐसा ही खेल कुछ इस बार भी देखने को मिल सकता है और धाकड़ धामी के ये असलियत व रोड शो और फर्जी शिलान्यासों और लोकार्पणों का शगूफा शुगल बन कर ही न रह जाये तथा खामियाजा मोदी के चार सौ पार के आंकड़ों में बजाए वृद्धि के उत्तराखंड की पांच की पांच सीटों को माईनस में न बदल दे?
ये पब्लिक है सब जानती है वह कागजी आंकड़ों और झूठे शिलान्यासों और लोकार्पणों की असलियत भी जानती है। इसी फर्जीवाड़े और धाकड़ धामी के धाकड़ शासन की करतूत की सच्चाई आज फिर घोषित लगभग 78 करोड़ की 15 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट जो नमामि गंगे मिशन योजना के अन्तर्गत देहरादून के मोथरोवाला, सपेरा बस्ती से साफ नजर आ रही है जो केवल कागजों और विज्ञापनो में उकेरी जाने वाली है जबकि अगर इसकी सच्चाई देखी जाए और हकीकत को परखा जाये तो पता चलेगा कि “सूत न कपास और हवा में लठ्ठम लठ्ठा” अर्थात पेयजल विभाग के द्वारा किस तरह धाकड़ धामी की आंखों में धूल झोंकने का खेल खेला जा रहा है और वाहवाही लूटने तथा शासन में बैठे अधिकारियों ने अपनी पीठ सीएम से थपथपाने के लिए उस अधूरे कृत्य को फटा पैजामा पहना दिया है। ज्ञात हो कि उक्त सुर्खियों में छाई रही विभिन्न घोटालों से लवालव एसटीपी योजना को धरातल पर उतारने के लिए अभी भूमि भी नहीं मिली है और ना ही आज तक कोई अधिग्रहण अथवा किसी निजी भूमि की खरीद फरोख्त ही हुई तब भला इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री सेबक सदन में किया जाना और फर्जी वाहवाही लूटकर भोली भाली जनता को सब्जबाग दिखाना कहां तक उचित है?
सूत्रों की अगर यहां यह भी मानें तो उक्त एसटीपी के लिए भूमि के चयन से लेकर कार्यदाई ऐजेन्सी पेयजल विकास एवं निर्माण निगम के द्वारा प्लांट लगाने वाले L-1 कान्ट्रैक्टर मैसर्स आर.के. के द्वारा भी कान्ट्रैक्ट भी टाईमवार्ड हो चुका है और ठीक यही हाल निजी भूमि स्वामी जिसकी अनुचित व अनुपयुक्त भूमि किसी सांठ-गांठ के तहत नियमों के विपरीत खरीदें जाने का प्रस्ताव शासन के द्वारा ढींगामस्ती के चलते सही भूमिका न अदा करके अड़ियल रवैये के फलस्वरूप वित्त विभाग को बिना सिर-पैर के भेजा जाना बताया जा रहा है। महत्वपूर्ण तथ्य यहां यह देखने वाला है कि राष्ट्रीय गंगा मिशन की इस 78.99 करोड़ की इस एसटीपी परियोजना का निर्धारित समयावधि निकल चुकी है। ऐसे में क्या कान्ट्रैक्टर उसी रेट्स पर कार्य करेगा भी या नहीं? इसी प्रकार जिस भूमि का चयन सांठ-गांठ के चलते भारी खाईबाडी के चलते किया गया है उस भू स्वामी के द्वारा दिये गये प्रस्ताव की भी अवधि कई माह पूर्व ही बीत चुकी है। अब उक्त भूमि परियोजना को मिलेगी भी या नहीं? यह भी संदिग्ध है।
देखना यहां गौरतलब है कि धाकड़ धामी क्या अपने आला अफसरों पर अंधविश्वास करके बिना जांचे परखे ही शिलान्यास और लोकार्पण करते रहेंगे और प्रधानमंत्री मोदी के आंकड़ों को धूल चाटते देखना…

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