पिटकुल बोर्ड की 88वीं मीटिंग के MoM में “NEED” को “NO NEED” बनाकर करवा लिए  आईएएस चेयरपर्सन के साइन?

एडीबी फंडिंग के सैकड़ों करोड़ का टेण्डर प्रकरण!
हमारी खबर पर एक और असर : सच्चाई आ रही हैं सामने!
घोटाले में घोटाला की साज़िश का पर्दाफाश!
आईएएस आला अफसरों को वरिष्ठ आईएएस ने दिखाया आईना
स्वतंत्र निदेशक बी.पी. पाण्डे बिफरे, दिया स्तीफा और फिर खोल दी पोल हेराफेरी की!
पिटकुल : किसने ने की “खुदा में बिंदी लगा,  जुदा” करने वाली हरकत और किया बोर्ड से धोखा!
जय‌ हो, धाकड़ धामी शासन की, और भ्रष्टाचार पर ZERO टालरेंंस की!
…आखिर इस SoR के खेला के पीछे किसकी शह और किसका मौन?
ससमल कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही बता दिया धत्ता?

(पोलखोल-तहलका ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता की पड़ताल)
देहरादून। कहते हैं उर्दू भाषा में अगर अर्थ का अनर्थ करना है तो खुदा में एक बिंदी लगा दो तो खुदा की जगह जुदा हो जायेगा। ठीक उसी कहावत को चरितार्थ कर दिखाया उत्तराखंड ऊर्जा विभाग के पिटकुल के महान कलाकारों ने। इन कलाकारों की कलाकारी की पोल पर ठप्पा तब और लग गया जब एक स्वतंत्र निदेशक ने स्तीफा दिया और तत्पश्चात पिटकुल बोर्ड की 88वीं मीटिंग में जो निर्णय विगत 16 जनवरी को लिए गये थे। उक्त बोर्ड की कार्यवाही को मिनट्स आफॅ मीटिंग्स (MoM) में तथाकथित रूप से हेराफेरी कर कुछ का कुछ लिख कर बोर्ड की चेयरपर्सन एवं तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आईएएस राधा रतूड़ी मैडम (वर्तमान में मुख्य सचिव) से साईन करा लिए गये! इस सैकड़ों करोड़ के एडीबी फंडिंग वाले टेण्डर्स प्रकरण में हो रहे तथाकथित घोटाले और उस घोटाले में घोटाला का पर्दाफाश हांलाकि हमारे द्वारा बोर्ड मीटिंग से पहले ही 15 जनवरी को “धामी शासन में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा…” शीर्षक समाचार से किया जा चुका था तत्पश्चात 20 जनवरी को फिर 25 जनवरी को “खबर का असर – पिटकुल बीओडी में हंगामा…”  तथा 30 जनवरी को  ” मैडम के मुख्य सचिव बनने से एक दिन…” शीर्षकों के समाचा का प्रकाशन किया था परन्तु भ्रष्टाचार पर Zeero टालरेंस वाली धामी सरकार यहां भी ‘जीरो’ ही दिखाई पड़ी तभी तो घोटालेबाजों की हिमाकत और हरकतें इतनी बढ़ी हुई दिखाई पड़ रही हैं कि आठ-आठ आईएएस सहित सोलह सदस्यों बाले बोर्ड की आंखों में किस तरह धूल झोंकने का दुस्साहस ही नहीं करते बल्कि गुल ही खिला देने में सफल हो जाते। वह तो भला हो विद्वान रिटायर्ड आईएएस व स्वतंत्र निदेशक बी.पी.पाण्डे का  जिन्होंने बड़प्पन दिखाते हुए शालीनता सरकार की गरिमा को दृष्टिगत रखते हुए सशर्त स्तीफा न देकर केवल स्तीफा ही सचिव, ऊर्जा, उत्तराखंड शासन को सब कुछ‌ जानते हुए भी 31जनवरी को ई-मेल से भेज दिया।
ज्ञात हो कि पूर्व अति वरिष्ठ आईएएस बी पी पाण्डे 1983 बैच के हैं जो प्रदेश में अपर मुख्य सचिव तथा सचिव ऊर्जा एवं केन्द्र सरकार में पावर सेक्टर आदि में विभिन्न जिम्मेदार पदों पर रह चुके हैं तथा वर्तमान में‌ उत्तराखंड अकेडमी आफ एडमिनिस्ट्रेशन (ATI) नैनीताल में महानिदेशक हैं। स्वतंत्र निदेशक पिटकुल बी.पी.पाण्डे ने अपने स्तीफा से उत्तराखंड के आईएएस आला अफसरों को आईना भी दिखा दिया है।
देखिए स्तीफा दिये जाने का ई-मेल…
सूत्रों की अगर यहां माने तो‌ मिनट्स आफॅ मीटिंग्स सर्कुलेट होने के पश्चात अगले दिन एक फरवरी को पिटकुल बोर्ड के सभी सदस्यों, निदेशकों सहित चेयरपर्सन को आई एक ई-मेल ने MoM में की गयी हेरा फेरी‌ का उल्लेख करते‌ हुए पोल खोल दी। इस हंगामेदार ई-मेल में जो लिखा जाना बताया जा रहा है उसके अनुसार,  “As for as I collect, in respect of abnormalally higher SORs it was decided that these should be referred to the Sasmal Committee (PIC) for review, which somehow seems not to have been reflected in the minutes.” इन पंक्तियों को अगर गम्भीरता से महत्ता को लिया जाये तो मुख्य सचिव, उत्तराखंड शासन और धामी सरकार को पिटकुल की 88वीं बोर्ड की पूरी मीटिंग व लिए गए समस्त निर्णयों और कार्यवाहियों को एक सिरे से निरस्त कर दिया जाना चाहिए तथा ऐसी विश्वास घाती हिमाकत, दुस्साहस व धोखेबाजी के दुष्कृत्य पर MOMs तैयार करके प्रस्तुत करने वाले कम्पनी सेकेट्री व सचिव ऊर्जा (जिनके कहने पर ही चेयरपर्सन व एसीएस मैडम ने भरोसा किया होगा) के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि आंखों में धूल झोंकने वालों को सबक मिल सके!
उल्लेखनीय यहां यह भी बताया जा रहा है कि उक्त बोर्ड की मीटिंग में हमारे न्यूज पोर्टल‌ में प्रकाशित व प्रसारित समाचारों से उजागर हुई घोटालेबाजी‌ पर जहां एक ओर संज्ञान लेकर उत्तरेत्तर कार्यवाही की गयी वहीं दूसरी ओर मीटिंग्स के मिनट्स हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुती के समय में उक्त सचिव महोदय बड़े हल्के में बताते हुए एसीएस मैडम के ध्यान को भी भटकाने का प्रयास करते नजर आये परिणामस्वरूप मैडम ने विश्वास करके एमओएम पर साईंन कर दिए, जिन पर अब सबाल (?) खड़े हो रहे हैं!
देखिए इनके द्वारा कथित लोकल न्यूज पोर्टल का किया गया जिक्र ….
ज्ञात हो कि उक्त प्रकरण एडीबी फंडिंग के अन्तर्गत पिटकुल में होने वाले उन प्रोजेक्ट्स के हैं जिनमें चहेते बिडर्स के अनुरूप व उसकी मन मर्जी के रेट्स‌ पर टेण्डर आवंटित करने के लिए हैरतअंगेज कसरत की जा रही थी और नियम विरुद्ध SORs शिड्यूल आफॅ रेट्स बार बार रिवाईज करके बोर्ड से अप्रूबल हासिल करने का षड्यंत्र रचा गया था  परिणामस्वरूप बोर्ड में यह निर्णय लिया गया था कि SORs के सम्बंध में पीजीसीआईएल के पूर्व अनुभवी निदेशक एवं पिटकुल बोर्ड के स्वतंत्र निदेशक इंजीनियर आर पी ससमल‌ की अध्यक्षता वाली PIC कमेटी की रिपोर्ट पर ही बोर्ड अगली मीटिंग में कोई निर्णय लेगा। अभी ससमल कमेटी की रिपोर्ट आयी भी नहीं उससे पहले ही उसे धत्ता बता दिया गया।
मजेदार बात यहां यह है कि इंजीनियर ससमल ने 20जनवरी को इस सम्बंध में देहरादून आकर चर्चा भी की थी और कुछ निर्देश भी जारी किये थे। बोर्ड के उक्त निर्णय से बौखलाये सांठ-गांठ अधीन घोटालेबाजों को उक्त प्रक्रिया रास नहीं आ रही थी। तभी उन्होंने चेयरपर्सन को लपेटे में लेने और ठीकरा उनके सिर फोड़ने की साज़िश में बोर्ड के MOMs के Agenda Item No.88.8 and 88.9 जो पृष्ठ 6 पर है के पैरा पांच में “NO” शब्द मनमर्जी से बड़  चालाकी से बढ़ा कर मैडम व बोर्ड के सदस्यों की आंखों में धूल झोंकने में सफलता प्राप्त कर ली।
देखिए एम ओ एम का पृष्ठ 6 जिस पर हरकत की गयी…
यहां यह भी स्मरण दिलाना उचित होगा कि नियमानुसार और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दी गयी व्यवस्था के अन्तर्गत स्वतंत्र निदेशक सहित सभी सदस्य‌ बराबर के कार्यवाही के लिए जिम्मेदार होंगे!
ज्ञात हो कि उक्त टेण्डर‌ का पैकेज-1 फ्लोमोर कम्पनी व उसकी जेवी पार्टनर चाईनीज कम्पनी एवं पैकेज -2  ट्रांसग्लोबल को दिये जाने की कवायद दोगुने व ढाई गुने रेट्स पर देने के मायाजाल का‌ खेल करोड़ों की खाईबाडी के लिए ऊंचे स्तर के इशारों पर खेला जा रहा है, जो लगभग 520 करोड़ का है? यूं इस पूरे प्रकरण में कदम कदम पर भ्रष्टाचार रूपी रक्तबीज हैं जिन्हें समय की प्रतीक्षा है!
देखना गौर तलब होगा कि अभी भी धाकड़ धामी की सरकार व शासन क्या कार्यवाही करता है या फिर “हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का ढोल ऐसे ही फोड़ते नजर आती रहेगी…?
क्या मुख्य सचिव एवं चेयरपर्सन उक्त संदिग्ध बोर्ड की पूरी कार्यवाही को निरस्त करेंगी? या चुप्पी साधकर दुष्कृत्यों को शह ही दी जाती रहेगी!

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