दबंगई : अकड़ फिर भी कम नहीं हुई : आफिस की चाबी न सौंप कर पहुंचा रहा निगम के कार्यों में बाधा!

पिटकुल के निलम्बित महाप्रबंधक (विधि) टंडन को जारी ग्यारह आरोप पत्र!

सता रहा है क्या राज खुलने का डर?

…आखिर ऐसा क्या क्या राज और गड़बड़झाले  छिपे हैं उन अलमारियों में?

न न्यायालय की रोक और न लीगल ओपीनियन में मनाही : फिर भी दो दो एफआईआर की जगह एक भी नहीं कराई?
क्या धमकी से डरे महाप्रबंधक (एच आर) या फिर काॅकस से दोस्ती-यारी के चलते ढुलमुल रवैया?
पुलिस ने नहीं दर्ज की एफआईआर दर्ज तो 156(3) दंड प्रक्रिया संहिता का सहारा लेने में विलम्ब क्यों?
(“पोलखोल” की पड़ताल में गम्भीर तथ्य हुये उजागर)
देहरादून। एक और एक दो नहीं ग्यारह ही होते हैं यह कहावत पिटकुल ने बिल्कुल सच साबित कर दिखाई। विगत  07 जून को पिटकुल प्रबंध निदेशक द्वारा निलम्बित किये गये महाप्रबंधक (विधि) प्रवीण टंडन जो पूर्व में पिटकुल के कम्पनी सचिव भी रहे थे को उनके कार्यकाल के दौरान धरती गयी गम्भीर कोताही, उदासीनता और जानबूझकर साजिशन की गयी ऐसी ऐसी लापरवाहियों व दुष्कृत्यों पर विगत दिनों ग्यारह आरोप पत्र जारी कर पन्द्रह दिनों में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
सूत्रों की यहां अगर मानें तो मान्यवर की करनी और  काबिले तारीफ महान कारनामों का जो खामियाजा पिटकुल को भुगतना पड़ेगा उसका आसानी से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। यह कहना और मानना है पिटकुल एमडी का तभी तो पिटकुल बोर्ड और‌ शासन में बैठी अपर मुख्य सचिव वरिष्ठ आईएएस एवं चेयरमैन पिटकुल तथा सचिव ऊर्जा ने इन मामलों को गम्भीरता से लिया।
ज्ञात हो कि ये महान विभूति ही शायद इस युग में ऐसी शख्शियत होंगी जिन्होंने एक नहीं, दो नहीं बल्कि ग्यारह ग्यारह आरोप पत्रों के एक साथ पाये आने का रिकार्ड तोड़ा होगा? आईए अब एक एक करके नजर डालते हैं पिटकुल के वफादार अधिकारी टंडन को जारी किये इन आरोप पत्रों पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार …
चार्जशीट 1- इस चार्जशीट में आरोपी द्वारा कम्पनी एक्ट का उल्लंघन करते हुए वैधानिक रिकार्ड में मेंनटेन किए जाने वाले 15-16 रजिस्टरों की तीन तीन जिल्दें मनमाने ढंग से बना लिये गये थे। जिसे यदि यह कहा जाए कि पैरलल ट्रिपल रिकार्ड बनाया गया जिसे इच्छा और परिस्थिति अनुसार मनचाहा प्रयोग करके अनुचित लाभ उठायें जाने की मंशा से “गंगा गये तो गंगादास और जमुना गये तो जमुनादास” वाली कहावत को चरितार्थ जैसा दुष्कृत्य प्रदर्शित हैं? जानकारों की अगर यहां मानें तो इस दुष्कृत्य से कम्पनी रजिस्ट्रार पिटकुल के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करके भंग भी कर सकता है या फिर भारी अर्थदंड डाल सकता है? यही नहीं उक्त ट्रिपल लेयर रिकार्ड के रजिस्टरों में पेंसिल से भी लिखा गया पाया गया है ताकि मनमानी को प्रमाणिकता बनाया जा सके..!
चार्जशीट न.2- में सीएसआर फंड से सम्बंधित बताई जा रही है उक्त आरोप लगाये जाने के पीछे कम्पनी सचिव के द्वारा ही सामाजिक दायित्वों की पूर्ति करने के लिए एक जो 1.56 करोड़ रुपये की धनराशि 2021 में खर्च किये जाना अनिवार्य था नहीं किये गये  तथा नियमानुसार एक अप्रैल को CSR account में भी नहीं डाले गये,  यदि कुछ राशि सितम्बर तक बचती है तब उक्त अवशेष राशि को केन्द्र सरकार को हस्तांतरित करना अनिवार्य होता है। ऐसा न करने पर नियम का उल्लंघन करने वाली संस्था को दोगुना जुर्माना अथवा एक करोड़ रुपये अर्थदंड का भागी बनना पड़ता है। परंतु यहां तो सीएस साहब कम्पनी का अपने आपको सर्वे सर्वा समझ बैठे थे सीएसआर फंड पर ऐसे कुंडली मारे बैठे जुर्माने को आमंत्रण देते रहे जैसे गाज गिरेगी तो पिटकुल पर उनके बाप का क्या..?
मजेदार तथ्य यहां यह भी प्रकाश‌में आया है कि कम्पनी सचिव महोदय द्वारा पिटकुल बोर्ड की आंख में धूल झोंकते हुए जो आडिट रिपोर्ट पेश की जा चुकी है उक्त क्वालीफाईड अधिकृत आडिटर सीएस कम्पनी की रिपोर्ट भी फर्जी व अनुचित पाई गयी जिसका खुलासा होने पर दूसरी आडिट कम्पनी ने भंडाफोड़ दिया!
चार्जशीट न.3 – उत्तराखंड सरकार के साथ भी छलावा किये‌ जाने ऐसे गम्भीर आरोप बताये‌ जा रहे हैं कि मान्यवर राजमुंद्री के दुरुपयोग और महामहिम राज्यपाल को सरकार के हिस्सेदारी के शेयर का भी गोलमाल करते रहे तथा पिटकुल बोर्ड से छलावा करते हुए गुमराह करके शासन के शेयर सार्टिफिकेट संख्या 35, 36 एवं 37 जो कि लगभग एक सौ दस करोड़ के बताये गये हैं की घालमेल करते रहे तथा 76वीं बोर्ड मीटिंग में एमडी रहे आईएएस दीपक रावत के साथ विश्वासघात करके खेल खेलने में माहिर रहे? बताया जा रहा है कि 22-07-2022 में बोर्ड की 80वीं मीटिंग में इन जनाब के खासमखास और काॅकस के तथाकथित मुखिया ही एमडी थे, को भी अंधेरे में रखा या अनजान बने रहे…? उक्त राज तब उजागर हुआ जब 83 वीं बोर्ड मीटिंग में वर्तमान एमडी और नये कम्पनी सचिव ने 26-12-2022 को कारनामें का पर्दाफाश किया गया…?
चार्जशीट न.4 – में चौथा मामला रिजिस्ट्रार आफ कम्पनीज़ के द्वारा निर्धारित चार्ज रजिस्टर का रंग रखाव सावधानी पूर्वक कम्पनी सचिव को करना पड़ता है अन्यथा पांच लाख का जुर्माना भुगतना पड़ता है। परंतु यहां तो साहब बेधड़क हाथरसी बने हुए राजनीती में व्यस्त रहते थे उन्हें इतनी फुर्सत ही कहां कि नियमानुसार चल सके..! ट्रिपल लेकर बनाये गये किसी रजिस्टर में 2014 तक कई इंट्रइयआं और किसी रजिस्टर में किसी कालखंड की इंट्री तो तीसरे रजिस्टर में कुछ का कुछ..?
चार्जशीट न.5 –  में एक प्रैक्टिसिंग आडिट कम्पनी प्राची अग्रवाल एंड एसोसिएट्स कम्पनी सेकेट्रीज की दिनांक 02-06-2023 की विस्तृत रिपोर्ट पर विधिक राय ली गयी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विरमानी ने अपनी राय में इन प्रकरणों पर एफआईआर दर्ज कराने की राय दी थी, परंतु पिटकुल प्रबंधन द्वारा उक्त महाशय को केवल चार्जशीट ही दी गयी है तथा अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं कराई गयी है?
चार्जशीट न.6 – दबंग महाशय के द्वारा निलम्बन आदेश के अनुसार रुड़की से अटैच किया गया था और मुख्यालय का विधिवत समस्त चार्ज व जीएम लीगल को हस्तगत करना था परंतु ऐसा नहीं किया गया। बताया तो यह भी जा रहा कि महाशय जी ऐक्शन की सूंघ लगते ही मेडिकल अवकाश पर चले गये। जबकि देखा यह जा रहा है एक मेडिकल अवकाश पर चले रहा गम्भीर मरीज घर से छः सात कि.मी. दूर सचिवालय तो चक्कर पे चक्कर काट रहा है और नैनीताल भी बार-बार आ जा रहा है परंतु आफिस आने के लिए बीमार है? कैसे? और आफिस की चाबियां एवं रिकार्ड न सौंप कर दबंगई दिखाकर निगम के कामों में बाधा पहुंचाया जाना कहां तक उचित है। यहां यह भी तथ्य है कि उक्त मामले में भी पिटकुल का दोहरा रवैया भी हैरतअंगेज है तथा किसी गलबहियां में रहे किसी जिम्मेदार अधिकारी की ही कोताही बताई जा रही है कि एफआईआर न दर्ज करायें जाने का और ठीकरा पुलिस के सिर फोड़ने की कवायद दिखाई पड़ रही है। इस कृत्य से ऐसा लग रहा है कि अभी भी काॅकस का दबदबा बरकरार है कि कहीं ऐसा ना हो फिर सत्ता पलट जाए और काकस का मुखिया ही शेर रूप धारण कर जीना दूभर कर दे..?
चार्जशीट 7 –  अन्तर्राष्ट्रीय बिल्डर कम्पनी कोबरा के एक प्रकरण में 1.20 करोड़ का भुगतान न कराकर अनाधिकार दुर्भावनावश रुकवायें रखना तथा दंड आ भागी पिटकुल को बनाए जाने के सम्बंध में दी गयी है। इस सम्बन्ध में बताना यहां उचित होगा कि निजी स्वार्थवश अन्तर्राष्ट्रीय आर्वीट्रेटर के द्वारा दिये गये निर्णय का पिटकुल के कंधे पर महाशय जी दुरुपयोग करते आ रहे थे और बोझ पिटकुल पर बढ़ रहा था..?
चार्जशीट 8 – स्वराज सेवादल के विरुद्ध निजी स्वार्थ व काॅकस के सरदार को खुश‌ करने के लिए न्यायालय में अनावश्यक रूप से विवाद ले जाने और धन व छवि धूमिल किये जाने को लेकर बताई जा रही है।
चार्जशीट 9 – चाबियां व रिकार्ड। के सम्बंध में है।
चार्जशीट 10 – मिसलीडिग व छलावा कर्क दुर्भावनावश फेंक दस्तावेजों के आधार पर पांच पांच वेतन-वृद्धि एवं प्रमोशन लेकर अनुचित लाभ उठायें जाने के सम्बंध में बताई जा रही है यहां यह भी बताया जा रहा है कि मूर्धन्य महाशय के द्वारा कोई ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत करके पूर्व इम्प्लायर के यहां निरंतरता का प्रमाण दिया गया था जिसके आधार पर नियुक्ति के समय वे समय लाभ प्राप्त कर लिए गये थे जिनके योग्य थे ही नहीं…? क्योंकि उसका भी खुलासा स्वयं उसी नियोक्ता के उस पत्र से हो गया महोदय छः माह पूर्व उस लीटर कम्पनी से निकाले जा चुके थे आदि आदि…? हैं ना दिमागदार साहब की हिम्मत का कमाल!
एवं चार्जशीट 11 – इस मामले में एम एम एसटी से सम्बंधित गम्भीर अनियमिताएं और उल्लंघन के हैं..?
बताया जा रहा है कि यूं तो ग़म बहुत हैं इस ज़माने में पर नमक पिटकुल का और वफादारी किसी और की..!  विशिल ब्लोअर के अम्ब्रेला का भी दुरुपयोग किया जाना चर्चा में है। हांलांकि उक्त सब पर माननीय उच्च न्यायालय उक्त महाशय ने दो दो याचिकाएं प्रस्तुत की जिनपर अब सुनवाई 31 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में होनी है। ज्ञात हो माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अभी कोई स्थगन अथवा प्रोसीडिंग्स स्टे जैसे कोई भी आदेश फिलहाल पारित नहीं हुए हैं! लेकिन वही दूसरी ओर यह भी सुनने में आया है कि वर्तमान जीएम (लीगल)  को व्हट्स अप मैसेज के जरिए अवैध कब्जे में  बंद‌ रिकार्ड को न छूने की हिमाकत की धमकी भी दी गयी है शायद उसी का कारण एफआईआर में बिलम्ब किया जा रहा है और वहाना पुलिस का..?
देखना यहां गौरतलब होगा कि यह महासंग्राम पर क्या फैसला आया है? परंतु सेवा नियमावली के अनुसार मान्यवर को सभी आरोप पत्रों का एक निर्धारित समय सीमा के अन्दर उत्तर देना अनिवार्य है तत्पश्चात पिटकुल प्रबंधन द्वारा उक्त उत्तरों का परीक्षण निरीक्षण करा कर अन्तिम निर्णय लेना होगा जो काफी दिलचस्प व महत्वपूर्ण साबित होगा! या फिर प्लेबैक‌ रोल काॅकस का हावी रहेगा?

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