वाह रे, वाह ऊर्जा विभाग वाह! तेरे तो खेल ही निराले!! यूपीसीएल में महाघोटाले की दस्तक तो पिटकुल में गड़बड़झाला!

यूपीसीएल : आठ रुपये प्रति यूनिट की दर पर तीन सौ मेगावाट बिजली खरीद कर तीन साल का अनुबंध करने की फिराक में!

क्या जनहितैषी धामी सरकार लगायेगी उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले इस महादंश पर रोक या फिर झेलेंगे उपभोक्ता?
मीडियम टर्म के इस घोटाले में मैकेनिकल एमडी का गजब का मकेनेज्मि!

यहां आरडीएसएस के आठ सौ करोड़ और एडीबी फंड को ठिकाने लगाने की साज़िश और वहां ईआरएस का खेल?

पिटकुल : लापतागंज (सिडकुल) में अवैध रूप से किसने भिजवाया भगवानपुर सब स्टेशन का 40 एमवीए पावर ट्रांसफार्मर?

कहीं चीफ इंजीनियर ने करोड़ों का माल कौड़ियों में तो नहीं बेच खाया?
…या फिर कोई बड़े खेल खेलने को बिछाई गयी चौंसर!
तीन महीने में‌ भी नहीं चालू कर सके पिटकुल के ये महान इंजीनियर!
‘पोलखोल’ कर चुका है दस दिन‌ पहले ही खुलासा!
अठारह घंटे काम करने वाले एमडी की चुप्पी या नींद में है साहब?

देहरादून। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस वाली धामी सरकार ऊर्जा निगमों से‌ इतना बेख़बर व मुतमईन है कि उसे और उसके शासन में बैठे आला अफसरों को इनमें व्याप्त भ्रष्टाचार नजर नहीं आ रहा है या फिर इस बेखबरी के पीछे आने वाले चुनावी वर्ष के भारी भरकम बोझ की चिन्ता में चिंतित जनाब? कुछ तो है, वरना धाकड़ धामी का धाकड़पन दिखाई तो पडता? मजेदार बात यहां यह है कि यहां तो कुछ और ही नजारा देखने व सुनने को मिलता है और‌ आला अफसर‌ बजाए ऐक्शन के तालमेल कराने में ही बिजी दिखाई देते हैं। उल्लेखनीय है कि यूपीसीएल में आरडीएसएस के आठ सौ करोड़ और एडीबी फंड को ठिकाने लगाने की साज़िश और वहां पिटकुल में ईआर एस के फंड का फंडा तथा बिजली चोरी का हथकण्डा बड़ी चालाकी से खेला जा रहा है?

पहले बात यहां यूपीसीएल की कर लेते हैं क्योंकि इस ऊर्जा प्रदेश के उपभोक्ताओं का सबसे बड़ा हितैषी व शुभचिंतक और तोहमत पर तोहमत थोपने वाला यह पावर कारपोरेशन में बैठे खैरख्वाह अपनी जेबें भरने और काली कमाई अगली दस पीढ़ियों के लिए बटोरने के चक्कर में इतना अंधे हो चुके है कि जिसका अंदाजा आप उनके इन कारनामों से बड़ी आसानी से लगा सकते हैं। हर साल फरवरी मार्च में एआर आर (बिजली की दरों के टैरिफ) को लेकर घड़ियाली आंसू बहा कर विद्युत नियामक आयोग को रिझा लेने वाला यह यूपीसीएल मनचाही बढ़ोत्तरी बिजली की दरों में कराकर उपभोक्ताओं पर थोपने में सफल हो जाता है बेचारी जनता व घरेलू छोटे उपभोक्ता मुर्गा मुर्गी की तरह फड़फड़ाते रह जाते हैं। जबकि इस जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पन्न होने वाली सस्ती‌ बिजली व सौर्य ऊर्जा से मिलने वाली ऊर्जा राह है। परन्तु उसमें इन भ्रष्ट व घोटालेबाजों के कफन‌ की जेबें कैसे भरएगईं जिन्हें ये साथ लेकर जायेंगे! भाड़ में जाये जनता अपना काम बनता के अनुयायी इस यूपीसीएल के मैकेनिकल इंजीनियर एमडी का मैकेनिज्म देखिए कि अपने कार्यकाल के बचे लगभग एक साल में ही वे इतनी काली कमाई की जुगाड में तल्लीन है भूतपूर्व एमडी की तर्ज पर छः सात वर्ष पूर्व स्वार्थवश थोपी गयी महंगी दरों पर पच्चीस साल के लिए किए गये गैसबेस्ड एनर्जी के पीपीए की मार ही उपभोक्ता नहीं झेल पा रहे हैं और ऊपर से अब जनाब जाते जाते निजी मोटी कमाई के चक्कर में सारे नियम कानून बलाएं ताक रखते हुए अगले तीन वर्षों के लिए (मीडियम टर्म) पावर परचेज का पीपीए आठ रुपये प्रति यूनिट की दर पर करके महाघोटाले को अंजाम देने में पूरी ताकत से लगे हुए हैं ऐन-केन-प्रकरेण जैसे भी फटाफट अनुबंध हो जाए और अपनी उगाही भी हो जाये तथा। चुनावी योगदान भी! ताकि साहब जब खुश और हैं मेहरबान तो …. पहलवान! यह भी ज्ञात हुआ है कि उक्त महंगी व अनुचित पावर परचेज के टेण्डर में‌ टाटा पावर, जिन्दल पावर और डीबी पाॅवर जैसे धुरंधर बिडर मैदान में हैं जिनसे सांठ-गांठ वाला नेगोशियेसन का खेल भी चल रहा है। देखना यहां गौर तलब होगा कि धाकड़ धामी सरकार इस महाघोटाले के खेल को खेलने देगा या फिर प्रदेश की जनता व उपभोक्ताओं के हित में कोई कारगर कदम उठायेंगी?

अब बात कर लेते हैं पिटकुल की…!

जिसके साहब या तो नींद में हैं या फिर अपने तथाकथित वफादारों के प्यार में ऐसे वेखबर हैं तभी तो विगत दस दिनों पूर्व मीडिया में हो चुके खुलासे पर जूं तक नहीं रेंग रही और पिटकुल के 132 x 33 केवी सब स्टेशन भगवानपुर से विगत लगभग तीन माह पहले फुंक चुका 40 एमवीए पाॅवर ट्रांसफार्मर की कोई सुध नहीं ली जा रही है। बाबजूद इसके अग्र सूत्रों की मानें तो करोड़ों रुपये कीमत के इस पावर ट्रांसफार्मर में खेल खेल कर भारी गड़बड़झाला करने की फिराक में पिटकुल के ही वफ़ादार इंजीनियर लगे हुए हैं।
मजेदार बात यहां यह भी है कि उक्त पावर ट्रांसफार्मर सारे नियमों और कानूनों को बलाएताक रखते हुए लगभग दो माह से भगवानपुर सब स्टेशन से लापता है और उसका लापतागंज हरिद्वार का सिडकुल है जहां बिना बैंक गारंटी, बिना ट्रांजिट इंश्योरेन्स के यह विशालकाय पावर ट्रांसफार्मर कैसे और किस किस की सांठ-गांठ पर गया? कुछ लोग तो आशंका यह भी व्यक्त कर रहे हैं उक्त पावर ट्रांसफार्मर मुख्य अभियंता ने स्क्रैप में बेच कर बारेन्यारे कर लिए हैं और किसी की मजाल है जो उन्हें नियम कानून का पाठ पढ़ाते क्योंकि चीफ साहब तो साहब के खासम खास है? यदि उक्त मुख्य अभियंता व उनके अधीनस्थ अधिक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता इस गड़बड़झाले में संलिप्त नहीं है तो लापता ट्रांसफार्मर की अभी तक गुमशुदगी की एफआईआर क्यों नहीं हुई? क्या यह पावर ट्रांसफार्मर किसी अभियंता या व्यक्तिविशेष की निजी सम्पत्ति है मनमर्जी से नियम विरुद्ध कारनामों को वेधडक होकर अंजाम दिया जा रहा है!

मजेदार बात यहां यह भी है इस औद्योगिक क्षेत्र के तीन पावर ट्रांसफार्मरों वाले सब-स्टेशन पर 40-40 एमवीए के दो पावर ट्रांसफार्मरों पर ही इस समय पूरा लोड चल रहा है जो कि उनकी क्षमता से अधिक है काश, कहीं कोई एक ट्रांसफार्मर इस भयावह बरसात में‌ किसी दुर्घटना का शिकार हो जाते तब यहां की स्थिति गम्भीर हो सकती है?

देखिए वह तथाकथित लापतागंज जहां बेचारा ट्रांसफार्मर कैद है या छिपाकर रखा गया है?
क्या धाकड़ धामी साहब के धाकड़ एमडी अथवा शासन में बैठे आला अफसर कुम्भकरणी नींद से जागेंगे या फिर करोड़ों की भैंस (ट्रांसफार्मर) गयी पानी में…?

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