मिशिका आत्म हत्या या प्रेरित हत्या : सीएम हेल्प लाईन पर की शिकायत तो हेल्प नहीं दुत्कारें मिलीं!

आत्म हत्या के लिए उकसाने वाले अपराधी वेखौफ घूम रहे आजाद!

ऐसी पुलिसिंग से ही बढ़ रहे नावालिग युवतियों के साथ अपराध की घटनाएं!
मिशिका ने की थी 4 फरवरी को उत्पीड़न और उकसाने पर आत्म हत्या?
पंचनामा व प्रथम दृष्ट्या मिली चिठ्ठी को ही मान लिया अन्तिम, यह में जाने की जरूरत भी नहीं समझी महिला उपनिरीक्षक ने!
अपराधियों से सांठ-गांठ के चलते नहीं दर्ज हो रहा मुकदमा?
….और जब छः महीने तक एफआईआर ही दर्ज नहीं करेगी उत्तराखंड पुलिस तो अपराधी क्या खाक पकड़े जायेंगें?
मृतका की मां रोती बिलखती इंसाफ के लिए भटकती है तो इन्हें क्या, ये रुड़की पुलिस है!
उत्पीड़न इतना करो कि थक कर बैठ जाये पीड़िता !
वाह रे, वाह थाना गंगनहर पुलिस और सीओ मैडम वाह!
महिलाएं ही करती हैं अधिकांश अक्सर महिलाओं का उत्पीड़न!
(पोलखोल ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता ने सुनी एक‌ दुखियारी मां की दर्द भरी दास्तान)
हरिद्वार/देहरादून। लोहे को लोहा ही काटता है यह कहावत यहां उत्तराखंड पुलिस और महिलाओं व नावालिग के साथ यौन उत्पीड़न व अत्याचारों के लेकर सच दिखाई पड़ रही है मुख्यमंत्री और डीजीपी उत्तराखंड भले ही बड़ी बड़ी घोषणाएं और दावे महिला सुरक्षा और भय मुक्त शासन को लेकर करते हैं। ये सब कागजों में ही सिमट कर रह गयीं और थाने पुलिस फर्जी आंकड़े “कि उनके थाना क्षेत्र में अपराध और अपराधियों पर पूरा नियंत्रण है तथा आंकड़े शून्य हैं। जबकि सीएम और डीजीपी स्वयं सच्चाई से रुबरूह भी हैं परन्तु पुलिस है कि मानती ही नहीं!” क्या कभी ऐसा हो सकता है कि अपराध को छिपाने वालों और एफआईआर दर्ज न करने वाले दारोगाओं पर मुकदमा दर्ज किया जायेगा? क्या ऐसे महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहे अपराधों में कमी सम्भव होगी? ऐसी ही एक दर्द भरी दास्तान एक उस मां की है जिसकी नावालिग बेटी मिशिका ने उत्पीड़न और शोषण से तंग आकर आत्म हत्या कर ली और तथाकथित संदिग्ध नामजद अपराधी सीखचों के बाहर इस लिए घूम रहे हैं कि उनकी सांठ-गांठ पुलिस से है।
सुनिए पीड़िता की गुहार पर सीओ मैडम व कोतवाल साहब के बोल…
https://youtu.be/K2ED2mobBME
सुनिए एक पीड़ित मां के दर्द की दास्तां उसी की जुबानी (वीडियो उसी की अनुमति पर…!)
वैसे यह भी अधिकांश देखने को मिल रहा है कि महिला ही महिला की दुश्मन दिखाई पड़ रही और कल्प्रिड भी महिला तथा कार्यवाही न करके पीड़िता का उत्पीड़न करने वाली भी महिला ही नजर आती हैं जबकि इन्हें एक पीड़ित महिला की मदद करनी चाहिए ना कि शोषण?
https://youtu.be/ZbxbcZAoyR0
उक्त मामला धर्म नगरी हरिद्वार के निकट थाना गंगनहर (रुड़की) का है जहां के कप्तान जब राजधानी दून की एसटीएफ में थे तो शातिर अपराधियों की शामत आ रखी थी किंतु हरिद्वार में शायद उनके रवैये में बदलाव या फिर कोई अन्य ऐसी बजह आ गई है जिससे कि अपराधी को नहीं पीड़ितों को ही खत्म कर शून्य के आंकड़े दिखाओ ताकि डीजीपी भी खुश और सीएम भी‌की नीति पर चलने लगे परिणामस्वरूप अपराधी वेखौफ और पुलिस गूंगी और बहरी होकर रह गयी है और आत्महत्या के लिए उकसाने अर्थात भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 के अपराध को छिपाने का प्रयास क्यों कर रही है।
घटनाक्रम के अनुसार  4 फरवरी 2023 को गणेशपुर, रुड़की निवासी सैनी परिवार की नावालिग बेटी (17 वर्षीय छात्रा) ने फांसी लगाकर आत्म हत्या कर अपनी इस लीला समाप्त कर दी थी और कोतवली गंगनहर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसी समय बिना जांच पड़ताल किये लिख दिया कि ” उक्त प्रकरण में पुलिस कार्यवाही की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है।” जबकि मृतका की वह चिठ्ठी जो उसने आत्म हत्या से पूर्व लिखी और अपने साथ हो रहे उत्पीड़न व शोषण की दास्तान अपने रिश्तेदार, परिजनों को एक दिन पहले सुनायी थी, पर संज्ञान न लेते हुए और छानबीन करके आत्म हत्या के लिए उकसाने और मजबूर करने या फिर कल्प्रिड सहेली व उसका भाई और मंगेतर के विरुद्ध साजिश व षड्यंत्र का खुलासा करने की तोहमत तक नहीं उठाई और ना ही छः माह बीत जाने के उपरान्त कोई एफआईआर दर्ज की।
बताया जा रहा है कि मिशिका की सहेली मुस्कान के भाई और मुस्कान के मंगेतर के द्वारा मिशिका का काफी समय से उत्पीड़न किया जा रहा था। पुलिस उपनिरीक्षक के अनुसार अभियुक्त बुलाने पर भी नहीं आ रहे हैं।
ज्ञात हो कि उक्त पूरे प्रकरण को पुलिस मान भी रही है कि मामला abitement का है परन्तु छः माह बीत जाने के उपरान्त भी एफआईआर दर्ज नहीं की? जिससे स्वत ही स्पष्ट है पुलिस मामले को यूं ही लटकाये रखकर रफा-दफा करने की फिराक में है।
उल्लेखनीय केवल यही नहीं कि एफआईआर नहीं लिखी गयी। यह तो उत्तराखंड पुलिस की आदत और स्वभाव में आमबात है। क्योंकि ये मित्र पुलिस है जिसकी मित्रता अपराधियों से अधिक‌ और पीड़ितों और प्रताड़ितों से कम है। शायद यह कारण है कि मृतका मिशिका की मां अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के दर दर रोते बिलखते भटक रही है परंतु बजाए इसके कि उसे इंसाफ मिले और किसी के कानों तक उसकी आवाज पहुंचे सब के सब गूंगे और बहरे बन कर बेचारी दुखियारी मां को लारे लप्पे देकर‌ चक्कर कटवा कर इस लिए परेशान कर रहे हैं ताकि‌ एक ना एक दिन तक कर स्वयं ही चुप होकर बैठ जायेगी। ज्ञात हो कि पीड़िता जवाहर नवोदय विद्यालय बिजनौर जनपद में कार्यरत हैं।
मजेदार बात यहां यह है कि उक्त थाना क्षेत्र की क्षेत्राधिकारी भी एक महिला हैं तथा उपनिरीक्षक भी महिला हैं जो पीड़िता को ही डांटते डपटते रहते हैं और चक्कर लगवाते हैं सीओ मैडम थानेदार साहब पर और थानेदार साहब महिला उप निरीक्षक पर तथा उप निरीक्षक महोदया सीओ साहिबा पर टाल कर पीड़िता को  फुटबॉल बनाये हुए हैं। पुलिस मुख्यालय औश्र सीएम हेल्पलाइन भी यहां कारगर साबित नहीं हुए क्योंकि नामजद आरोपियों की कोतबाल साहब व पुलिस कप्तान से खासी जान पहचान के चलते ही सब व्यर्थ साबित हो रहा है?‌
मिशिका की मां का हमारे ब्यूरो चीफ से कहना है कि  उसने अपनी बेटी तो मुस्कान व उसके भाई पार्थ व मंगेतर नवनीत राणा के कारण खो दी परंतु कोई और मां ऐसे अपनी बेटी को न खो सके इस लिए मेरी वीडियो प्रसारित करिये। पीड़िता की दर्द भरी दास्तान शायद किसी पुलिस अधिकारी या सरकार में बैठे अधिकारी व नेता के दिल को पिघला सके और कानूनी गुनाहगारों को सजा मिल सके इस आशय से यहां हू बहू दिखाई जा रही है।
देखना यहां गौरतलब होगा कि मृतका मिशिका को इंसाफ और षडयंत्रकारी अपराधियों को सजा दिलाने में उत्तराखंड पुलिस और सरकार कुछ कर दिखा पाती है या फिर ढोल पीट कर फर्जी आंकड़ों पर भयमुक्त शासन प्रदान करती रहेगी…!

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