यूपीसीएल की ट्रान्सफर इंडस्ट्री हुई सक्रिय एवं पिटकुल का 40 एमवीए पाॅवर ट्रांसफार्मर ठप्प?

तीन सप्ताह से दोनों ही निगमों ने नहीं की कोई वैकल्पिक व्यवस्था बड़ी क्षति के इंतजार में अभियन्ता?
पिटकुल : भगवानपुर इंडस्ट्रियल एरिया के 220 केवी सब स्टेशन का 40 एमवीए पाॅवर ट्रांसफार्मर ठप्प!
यूपीसीएल का भी एक 33 केवी सब स्टेशन का ट्रांसफार्मर ठप्प
आयु पूरी कर चुके ट्रांसफार्मर को नीम हकीमों की रिपेयर से जुगाड़ू जिन्दा करा, करोड़ों की कमाई की फिराक में ही लगा इंजीनियरों का अमला!

यूईआरसी के निर्देशों व नियमों की भी अनदेखी

यूपीसीएल : …अब मनचाही पोस्टिंग की कीमतों में हुआ इजाफा
फिर किया रुड़की सर्किल में बिजली चोरी कराने बारे डकैतों का  इकठ्ठा जामावडा 
(ब्यूरोचीफ की कलम से)
देहरादून/ रुड़की। उत्तराखंड के ऊर्जा निगमों के इंजीनियरों का ध्यान केवल और केवल अपनी काली कमाई के इजाफे की ओर न रहे ऐसा देखा जाना इस सरकार के युग में नामुमकिन सा ही लगता है। बजह साफ है कि पिटकुल, यूपीसीएल सहित यूजेवीएनएल में निष्ठावान व ईमानदार अधिकारियों का टोटा तथा शासन में कुंडली मारे बैठे आला अधिकारियों और एमडी की इन पर सरपरस्ती!
यही नहीं अब तो हद यहां तक हो गयी कि अधिशासी अभियन्ता और अधीक्षण अभियन्ताओं की ट्रांसफर पोस्टिंग भी सचिव स्तर से होने लगी है। हांलांकि इन ट्रांसफर पोस्टिंग में होता वहीं है जो निगम प्रबंधन चाहता है और सूची बनाकर देता है बस फर्क इतना है कि तब मनचाही तैनाती के तथाकथित रेट कम थे और अब ज्यादा…! यही कारण है कि गत दो दिन पूर्व यूपीसीएल के लगभग एक दर्जन अधिशासी अभियंताओं के तबादले सचिव ऊर्जा के द्वारा किए गये जिन्हें देख कर लगता हैं इनमें अधिकांश तबादले मलाई खाने और खिलाने की नियत से ही किए गये हैं या फिर बढ़  हुई कीमतें अदा कर। तभी तो पूर्व सचिव ऊर्जा रही राधिका झा के जमाने में 2018 में उन्हीं के द्वारा पकड़ी गयी बिजली चोरी के चार्जशीटेड अभियंताओं की भी नियुक्ति फिर उन्हीं क्षेत्रों में करवा दी गयी है ताकि बिजली चोरी की भारी भरकम इंडस्ट्री सलामत रहे और करोड़ों की मासिक की काली कमाई का जरिया बना रहे! भले ही मोदी जी का नारा है कि “न खाऊंगा, न खाने दूंगा” परन्तु यहां इसका उल्टा नारा ही साकार दिखाई पड़ रहा है कि ” खुद भी खाओ और हमें भी खिलाओ” अर्थात जो खिलायेगा, वही खायेगा।” चर्चा तो यह भी है कि पहले मनचाही पोस्टिंग के लिए एक आकार को खुश करना पडता था परंतु अब तो बड़े आकार भी हैं!

पिटकुल का हित छोड़ लगे कमाई की जुगाड़ में?

तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद तय होगी कार्यवाही : एमडी ध्यानी साहब

इस काली कमाई के होड़ ने हद का एक नमूना तो यहां यह भी देखने को मिल रहा है कि घोटालों और भ्रष्टाचार के रंग में रंग चुके ये इंजीनियर इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि इन्हें तो “अपना काम बनता, भाड़ में जाये पिटकुल और जनता ” के अनुसार ऐन-केन-प्रकरेण वह रास्ता ही निकालना है जिसमें इनकी जेबें गर्म हों। ज्ञात हो कि उक्त एबीबी कम्पनी के 40 एमवीए पावर ट्रांसफार्मर की आयु पूरी हो चुकी है बताया जा रहा है और यदि इसकी रिपेयरिंग उसी निर्माता कम्पनी या फिर अनुभवी स्तरीय कम्पनियों से करारी जाये तो स्तरीय रिपेयरिंग के साथ साथ गारंटी भी मिलेगी और क्षमतानुसार ट्रांसफार्मर काम भी कर सकता है! परन्तु वहां शायद इनकी काली कमाई में कभी आ जायेगी इसी लिए इंजीनियरों का पूरा अमला अपनी इंजीनियरी का कमाल न दिखा कर प्रशासकीय अफसर व बाबू की तरह कपड़े काले न हों, काली कमाई की जुगत में लग गये हैं। यही नहीं ज्ञात तो यह भी हुआ है कि झोला छाप जुगाड़ू मिस्त्रियों से इसकी रिपेयरिंग कराकर चवन्नी का बिल रुपया में बनवा कर कैसे जेबें भरी जाए और अर्जेंसी की आड़ में वहाना समय का लिया जाये, फिर चाहे ट्रांसफार्मर पहले की भांति पूरी क्षमता में चले या न चले, बस चलता दिखना चाहिए?

इस सम्बंध में एमडी पिटकुल ध्यानी जी का कहना है कि इस मामले तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गयी है जिसकी रिपोर्ट आने पर ही कोई निर्णय लिया जायेगा।
मजेदार बात यहां यह भी है कि अभी तक दम तोड़ चुके इस ट्रांसफार्मर को फाउंडेशन से भी नहीं हटाया है ताकि बैकल्पिक व्यवस्था के अन्तर्गत दूसरा ट्रांसफार्मर रख कर इंडस्ट्रियल एरिया की सप्लाई सुचारू रूप से की जाए ताकि इसके लोग को अन्य दो ट्रांसफार्मरों पर जबरदस्ती डाल कर उनकी बलि चढ़ाने की फिराक में आशातीत रहने के लिए?
उल्लेखनीय यहां यह भी है कि यूपीसीएल के इसी क्षेत्र के एक 33 केवी सब स्टेशन का ट्रांसफार्मर भी विगत पन्द्रह दिनों से ठप्प पड़ा है और अधिकारी चुपचाप गहरी नींद में ऐसी कई ठंडक में सो रहे हैं।
इन यूपीसीएल और पिटकुल के काबिले तारीफ जिम्मेदार अभियंता यहां यह कह कर भी इतिश्री कर रहे हैं कि सप्लाई प्रभावित नहीं है तथा लोड चुड़ियाला व पिरान क्लीयर से शिफ्ट कर लिया गया है। जबकि यह अस्थाई व्यवस्था होती इसें आपातकाल में कुछ समय के लिए ही किया जाता है नाका स्थाई रूप से? यदि यही हाल रहा तो दोनों निगमों को भारी भरकम खामियाजा अपने इन सम्बंधित अभियंताओं के कारण भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए!
देखना यहां गौरतलब होगा की धामी सरकार के धाकड़ आला अफसर और दोनों निगमों के एमडी कुछ कर पाने में सक्षम हैं या फिर…?
देखिए ट्रांसफर आदेश…

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