पिटकुल में असंतोष : निदेशक (मा. स.) के अवकाश पर जाते ही हुये देर शाम तबादले

बरम – जौलजीवी परियोजना की लेटलतीफी वाले अभियंताओं पर एक्शन की बजाए फिर मक्खन

निदेशक मानव संसाधन के अधिकारों का अतिक्रमण करके जाँच के घेरे में चल रहे चीफ इंजीनियर को सौंपी मुख्यालय भुगतान की कुर्सी

डीजीएम एचआर  के पद से भी कर डाली छेड़छाड़?

देहरादून। ऊर्जा निगमों में सुधार की कल्पना भी करना इस सरकार के युग में उचित नहीं होगी क्योंकि जहाँ सीएम से सचिव तक की इन घोटालेबाजों पर खुली छूट हो और अभयदान हो, वहाँ अराजकता और लूटखसोट मचना तथा नियमों की धज्जियाँ उड़ना स्वाभाविक ही है।इससे इनको संरक्षण ही प्राप्त हो रहा है। वैसे भी प्रदेश में भ्रष्टाचार को लेकर त्राहि त्राहि हो रही है और यह वही भाजपा सरकार है जो हरीश रावत सरकार के कार्यकाल में इसी ऊर्जा विभाग के घोटालों और भ्रष्टाचारों के लेकर रोज रोज धरने प्रदर्शन किया करती थी और पानी पी-पी कर कोसा करती थी। वहीं अब जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है तब से इसी ऊर्जा निगम के भ्रष्ट अधिकारियों को अपनी ही गोद में बिठाये हुये हैं और  गूँगी -बहरे के साथ साथ धृतराष्ट्र की भूमिका में स्वयं  दिखाई पड़ रही है। शायद ही ऐसा कोई दिन जाता होगा कि जब इन ऊर्जा निगमों का कोई न कोई कारनामा उजागर न होता हो? TSR-1 के बाद TSR-2 सरकार को भी इधर उधर का इक्का दुक्का स्वार्थ परख भ्रष्टाचार पर एक्शन तो दिखाई पड़ा और उन पर सुर्खियाँ बटोरने के बाद टाँय टाँय फिस्स फिर यही सरकारें नजर आईं। आलम यह हो गया है कि भ्रष्टाचार और घोटालों को इस प्रदेश की जनता ने इस सरकार का परम प्राथमिक कर्तब्य और अपने पर खुद के द्वारा वोट देने का अभिशाप मान लिया है। तभी तो प्रदेश भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों की आग 🔥 में झुलस रहा है और सीएम भाषणों, उद्घाटनों एवं ढींगे मारने में कि भ्रष्टाचारी बख्शे नहीं जायेगी के, कोरी ब्यानबाजी से ही एक स्टंटबाज की भूमिका में ही नजर नहीं आने लगे हैं तथा इनके खासमखास ब्यूरोक्रेट्स निष्क्रिय रह कर मौज लेते दिखाई पड़ रहे हैं। प्रदेश जैसे तैसे राम भरोसे चल रहा है। इसी क्रम में सीएम के सीधे आधीन मंत्रालयों में ऊर्जा मंत्रालय के पिटकुल का एक और ऐसा कारनामा प्रकाश में आया है जिसे देख कर “चमड़े के सिक्का चलाने वाली वह भिस्ती की मुगलिया सल्तनत” की याद ताजा होने लगी है। क्योंकि पिटकुल के अस्थाई व्यवस्था में बनाये गये प्रभारी प्रबंध निदेशक ने ऐसे अपने कुनवे को अपने इर्द गिर्द इकठठ्ठा कर दिया है ताकि उनके किसी कारनामें की पोल न खुल सके और वे जैसा सिक्का चलाना चाहे यसमैनों की भीड़ में आसानी से चलता रहे।

ज्ञात हो कि चार स्थाई निदेशकों वाले इस पिटकुल में एमडी के अतिरिक्त दो निदेशकों के पद विगत काफी समय से ऊर्जा मंत्रालय और आलाअफसरों की लापरवाही व ढुलमुल कार्यप्रणाली के चलते खाली पडे़ हैं तथा तीसरा निदेशक (वित्त) का पद भी सुरेन्द्र बब्बर के रिलीव हो जाने से प्रभारी व्यवस्था में आ गया है। मजेदार बात तो यह है कि बचा चौथे निदेशक मानव संसाधन पी सी ध्यानी की कुर्सी मात्र अल्पकाल (एक सप्ताह) के लिए अवकाश पर जाने से जैसे ही खाली क्या हुई कि बिल्ली के भाग्य से छींका ही टूट पड़ा। बस फिर क्या इधर निदेशक एच आर छुट्टी पर उधर चहेतों के ट्रांसफ़र और पोस्टिंग की देर रात लिस्ट जारी व तत्काल ज्वाईन करने के भी आदेश! इस प्रकार गत दिवस जारी किये गये तबादला आदेशों में एक चहेते ए ई तक की तैनाती एमडी स्तर से कर दी गयी। यही नहीं विगत अनेकों वर्षों से मुख्यालय स्तर की भुगतानों की महत्वपूर्ण व्यवस्था को भी चंद दिनों की छुट्टी पर गये निदेशक ध्यानी से छीन कर अपने ही उस मुख्य अभियंता को दे दिया, जिसके विरुद्ध एक सौ बीस पेज की गम्भीर शिकायती पत्र प्रमाणों व तथ्यों सहित सचिव ऊर्जा व एसीएस ऊर्जा को एक माह पूर्व ही सौंपा जा चुका है। यहाँ स्मरण दिलाना उचित होगा कि निदेशक वित्त बब्बर ने पिटकुल में व्याप्त भ्रष्टाचारोंं और घोटालों भरे माहोल वाले निगम जिस पर आलाअफसरों के भी संरक्षण बरकरार चले आ रहे है, से कुंठित होकर ही दिया गया स्तीफा बताया जा रहा है। क्योंकि ऐसे कुशासन में उन्होंने अपने को रखना उचित नहीं समझा और न ही वे इस कलुशित काले कारनामों में आकंठ तक डूब चुके माहोल में रहना चाह रहे थे। यहाँ यह कहना भी अनुचित न होगा कि “चोर से चोरी करने को और लोंगो से जागते रहो के कहावत वाले ये डिप्लोमेट “Devide and rule” की नीति का खेल जानबूझ कर खेलते रहे। तभी तो स्थाई निदेशक (वित्त) बब्बर का 25 अगस्त का स्तीफा स्वीकार करने में इन्हें नौ माह का समय लगा! यहाँ भी ‘जय हो भ्रष्टाचार का’ ही नारा बुलंद दीखा। जबकि यूपीसीएल में विगत दो तीन माह पूर्व इन्हीं एमडी महोदय द्वारा किये गये बम्पर ट्रांसफर और पोस्टिंग के आदेश पर भ्रष्टाचार की बू के कारण एसीएस द्वारा रोक लगा दी गयी थी और तत्काल स्पष्टीकरण माँगा गया था, परंतु अब फिर उसी तरह की दबंगयी एमडी द्वारा दिखाई जा रही है साथ ही एक निदेशक के अधिकारों व दायित्वों के अतिक्रमण स्वार्वश किया जाना कदापि उचित नहीं माना जा सकता है!

निदेशक मानव संसाधन के अधिकारों का एमडी द्वारा इस तरह से अतिक्रमण किये जाने से पिटकुल में असंतोष के माहौल बना हुआ है और काम करने वाले ईमानदार अभियंताओं में भय व्याप्त है!

उल्लेखनीय तो यह भी है कि जो कुमायूँ के पिथौरागढ़ की महत्वपूर्ण परियोजना बरम 220 केवी पावर ट्रांसमीशन लाईन व सबस्टेशन में अनेकों वर्षों की लेटलतीफी के जिम्मेदार अधीक्षण अभियंताओं व अभियंताओं को बजाए दण्डित करने मलाईदार पदों पर बिठाया जा रहा है। ज्ञात हो कि पूर्व आईएएस एमडी रहे दीपक रावत द्वारा बरम – जौलजीवी (पिथौरागढ़) ट्रांसमीशन लाईन के कान्ट्रेक्टर कम्पनी डैकन स्कल के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने व कांट्रैक्ट निरस्त करने को भी लिखा गया था। रह बरम परियोजना वही महत्वपूर्ण परियोजना है जिसके छः छः साल विलम्ब के कारण पाँच मेगावाट बिजली न मिल पाने से करोडों की क्षति पहुँच चुकी है और इस लेटलतीफी के प्रथम दृष्टया यही अभियंतागण दोषी बताये जी रहे हैं जो प्रभारी एमडी के सबसे प्रिय बने हुये हैं।

देखना यहाँ गौरतलब यह भी होगा कि इस प्रकार की भ्रष्टाचारी कार्यप्रणाली पर सचिव ऊर्जा और एसीएस ऊर्जा कोई कार्यवाही करते हैं या फिर अब तक की तरह मूक दर्शक बन प्रदेश के जनधन को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़वाती रहेंगी?

क्या सीएम धामी ऊर्जा निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचारों पर ध्यान देंगे और कुछ कारगर कार्यवाही करेंगे या फिर ऐसे ही पनपता रहेगा भ्रष्टाचार?

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