अंदरूनी गुटवाजी का शिकार हुर्इ GST विभाग में डीपीसी

देहरादून : राज्य माल और सेवा कर विभाग में उपायुक्त के 14 पदों के लिए होने वाली डीपीसी अंदरूनी गुटबाजी की शिकार हो गई। इससे पहले कि एक अक्टूबर को डीपीसी हो पाती, विभाग के एक सहायक आयुक्त (एसी) ने सीधे प्रमुख सचिव वित्त समेत चार अन्य आला अधिकारियों को लीगल नोटिस भिजवा दिया। डीपीसी की बैठक शाम छह बजे होने थी, जबकि नोटिस करीब पांच बजे तक फैक्स से सभी अधिकारियों को भिजवा दिए गए थे। हालांकि, यह सिर्फ एक लीगल नोटिस था और किसी कोर्ट का आदेश नहीं था। फिर भी आयुक्त सौजन्या ने बैठक में शिरकत नहीं की। वित्त सचिव डीपीसी के लिए देर रात तक अपने कार्यालय में इंतजार करते रहे।

राज्य माल और सेवा कर विभाग ने उपायुक्त के 14 पदों के सापेक्ष 21 सहायक आयुक्त के नाम भेजे थे। शेष छह सहायक आयुक्तों के अभी पदोन्नति के दायरे में न आने के चलते उनके नाम पर विचार नहीं किया। इसके बाद भी सहायक आयुक्त ज्ञानचंद ने यह कहते प्रमुख सचिव वित्त, सचिव वित्त, सचिव कार्मिक और आयुक्त को नोटिस भेज दिया कि उनका नाम डीपीसी में शामिल नहीं किया गया है। इसको लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट की दायर की है, लिहाजा यह डीपीसी रोक दी जाए।

इस नोटिस ने अधिकारियों पर कोर्ट के आदेश की तरह काम किया और आयुक्त राज्य कर सौजन्या ने बैठक में शिरकत ही नहीं की। हालांकि, सचिव वित्त अमित नेगी का कहना है कि जल्द डीपीसी की अगली तिथि घोषित की जाएगी और विभाग नियमों के अनुसार ही काम करेगा।

…तो संयुक्त आयुक्तों की खातिर लटकाया मामला 

डीपीसी की बैठक स्थगित करने के पीछे यह बात भी सामने आ रही है कि एक आला अधिकारी यह चाहते हैं कि पहले संयुक्त आयुक्त के पदों के लिए डीपीसी होनी चाहिए। इसके पीछे की वजह कोई नियम नहीं, बल्कि अतिरिक्त पदभार संभालने वाले चहेते उपायुक्त बताए जा रहे हैं। क्योंकि यदि उनसे पहले सहायक आयुक्त उपायुक्त बन जाएंगे तो उनका अतिरिक्त पदभार उनसे छिन जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *