वहां भ्रष्टाचार पर चोट, यहां भ्रष्टाचार की ओट!? क्या धाकड़ धामी के संज्ञान में है यह महाघोटाला?

बीओडी पहले 1मार्च फिर पोस्टपोंड हुई 5 मार्च और फिर एकाएक प्रीपोंड हुई 4 मार्च के लिए, आखिर क्यों?

फिर भी नहीं गली दाल तो अब ठप्पा लगवाया जा सकता है हाई पावर कमेटी का!
…पर SoR’s तो वहीं रहेगी, जो बिडर मन भाये? या फिर होगा DUE DILIGENCE का पालन?
दो-दो निदेशक दे चुके इस गड़बड़ झाले पर स्तीफा!
फिर भी सचिव ऊर्जा अड़े और वहीं पर हैं खड़े!
क्या दूसरी PIC से भी हीं बनी बात तो अब सूली पर चढेगी हाई पावर कमेटी?
जब 2020 में 71वीं बोर्ड मीटिंग में 14-15% हाई रेट्स की SoR’s को चुकी है ठुकरा!
तो अब 26-27% हाई रेट्स जो बिडर ने चाहे हैं, पर टेण्डर अवार्ड करने की कसरत कहीं मोटी काली कमाई का खेल तो नहीं?
….और आखिर वतन की सुरक्षा की भी इन्हें नहीं है तनिक परवाह?

(पोलखोल-तहलका ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता की
पड़ताल)

देहरादून। एक ओर देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी‌ सरकार नित नये नये भ्रष्टाचारियों पर चोट कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर देवभूमि की सरकार आस्तीन में छिपे भ्रष्टाचारियों की ओट लेकर पौ-बारह करने पर तुली हुई है।  ऐसे‌ में जब कोई लोकतांत्रिक मुखिया रोड शो कर कर के मुंह मियां मिट्ठू बनने में मस्त हो तो उसके राज-काज के सिपहसालार तो निरंकुश हो अपनी खिचड़ी पकायेंगे ही! ऐसा ही भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा एक महाघोटाले का मामला धाकड़ धामी के ऊर्जा मंत्रालय में विगत लगभग तीन माह से चल रहा है। ज्ञात हो कि यह चहेते बिडर के चहेते रेट्स पर ऐन-केन-प्रकरेण टेण्डर अवार्ड करने की कवायद का मामला बताया जा रहा है जिसमें सैकड़ों करोड़ की काली कमाई का खेल तो है ही साथ ही साथ “लूटो और लुटाओ” की तर्ज पर एडीबी फंडिंग को ठिकाने लगाओ…? का है।

मजेदार बात यह है कि इस महाघोटाले के खेल को अत्यन्त गुप-चुप तरीके से परबान चढ़ाने की जो कसरत की जा रही है उस पर राष्ट्रहित और जनहित को लेकर “पोलखोल-तहलका” की पैनी नजर हांलाकि इन्हें रास नहीं आ रही है तभी तो ऊर्जा शासन नित नये पैंतरे खेलने में लगा हुआ डबल इंजन सरकार की छवि को बट्टा लगाने में लगा हुआ दिखाई पड़ रहा है और अब उस काली दाल को हाई पावर कमेटी के महारथियों से गलवाने का एक और प्रयास का खेल खेला जायेगा? वैसे भी यहां कोई काकॅस बार बार कुछ ईमानदार बोर्ड मेम्बरों को स्तीफा देने को विवश करता चला आ रहा या फिर यूं कहा जाये कि करो या मरो की स्थिति को न झेल न पाने वाले सैद्धांतिक और अनुभवी ये डायरेक्टर्स ने संदेशात्मक स्तीफे देकर अपना किनारा करना ही उचित समझा!

ज्ञात हो कि विगत 16 जनवरी को ऊर्जा विभाग के पिटकुल बोर्ड की 88वीं बोर्ड मीटिंग में भारत सरकार की गारंटी पर मिलने वाली एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) फंडिंग से लगभग 520 करोड़ के विभिन्न परियोजनाओं के टेण्डरों के अवार्ड किये जाने को लेकर उत्तराखंड प्रिक्योरमेंट पालिसी और पारदर्शिता दोनों ही इस महाघोटाले के खेल में आड़े आ रहे थे और चहेते बिडर को उसके चाहे गये रेट्स पर टेण्डर अवार्ड करने के लिए जिस पहले से ही कहीं अधिक रेट्स पर बनाई जा चुकी शिड्यूल्ड आफ रेट्स SoR’s को पुनः 26-27% और अधिक रेट्स पर लाने का जो खेल खेला जा रहा था वह सारे नियम कानून को बलाए ताक रखते हुए मोटी काली कमाई के चक्कर में L-1 बिडर के अनुसार और 26 से 27% रेट्स अधिक की बनाई जाने वाली थी जिसे बोर्ड ने उक्त बीओडी में नहीं माना और बोर्ड के स्वतंत्र निदेशक पूर्व अनुभवी आईएएस बीपी पाण्डे व एकमात्र तकनीकी निदेशक आर पी ससमल जो पीजीसीआईएल के सेवानिवृत्त वरिष्ठ निदेशक रहे चुके थे एवं एक अन्य के भारी विरोध के कारण ऐजेन्डा आईटम 88.12, 88.13 और 88.14 में दिए गये इन निर्देशों के साथ “The matter shall be treated as withdrawn and shall be brought against in the next Board meeting after DUE DILIGENCE of rates of SoR by the Committee of Independent Director Shri R.P.Sasmal.” यही बात फिर बीओडी में ऐजेन्डा आईटम 88.17 से 88.28 व 88.35 एवं 88.36 में भी दोहराई गयी थी। यही नहीं उक्त SoR के रिब्यू के लिए PIC भी आरपी ससमल की अध्यक्षता में गठित की गयी थी।

उल्लेखनीय है कि इस बीओडी के बाद 1फरवरी को वरिष्ठ पूर्व आईएएस बीपी पाण्डे ने पिटकुल को ई-मेल भेजकर बीओडी के मिनट्स आफ मीटिंग MoM में SOR’s को लेकर “As far as I recollect, in respect of abnormalally higher SORs it was decided that these should be referred to the Sasmal Committee (PIC) for review, which somehow seems not to have been reflected in the.” के संदेशात्मक मैसेज के साथ स्तीफा दे दिया था। वहीं दूसरी ओर श्री ससमल ने भी कुछ दिनों बाद सचिव ऊर्जा को ई-मेल भेजकर अपना स्तीफा भेजा दिया था।

ज्ञात हो कि इन स्तीफों के कारण चेयरमैन पिटकुल ने यूपीसीएल के एमडी को PIC कमेटी का अध्यक्ष बना एक नई कमेटी SOR’s गठित कर दी जिसे 20 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। स्मरण दिलाना उचित होगा कि SoR’s तो पहले ही दो तीन बार मनमाने तौर तरीकों से अधिक रेट्स पर बनाई जा चुकी है फिर भी पिया मन भाये चहेते एल-1 आए बिल्डर को रास नहीं आ रहे हैं दर असल‌ वह और अधिक अर्थात बढ़ी हुई दरों से भी 25-26% हायर रेट्स चाह रहा है जिस पर यह पूरी कबायद चल रही है।

मजेदार बात यहां यह भी चर्चा में है कि पिटकुल में एमडी रहे एमडी यूपीसीएल के गले की फांस बनी SOR’s बीओडी के DUE DILIGENCE निर्देशो का अच्छर सह अनुपालन करते हुए रिपोर्ट बनाई गयी या L-1 आये बिडर के चाहे गये रेट्स जो 25 से 26 % हायर चाहे गये हैं पर ही “फिर वही ढांक के तीन पात” की तरह “एक ओर खाई और दूसरी ओर खंदक” वाली कहावतों को चरितार्थ करते हुए बनाई गयी या नहीं ये तो बाद के अन्वेषण का विषय है फिलहाल इस रिपोर्ट पर बीओडी की मीटिंग पहले 1मार्च को बुलाई गयी थी जिसे फिर 5 मार्च तक के लिए जिस कारण पोस्टपोंड किया गया था वह भी कुछ कम महत्वपूर्ण नहीं बताया जा रहा है फिर एकाएक शार्ट नोटिस पर मीटिंग का प्रिपोंड कर एक दिन पहले अर्थात 4 मार्च को बुला लिया जाना जिस प्रकार अनेकों सवालिया निशान धाकड़ धामी के इस धाकड़ ऊर्जा शासन पर लगा रहा है वह केवल और केवल डबल इंजन सरकार को कटघरे में खड़ा करना मात्र ही है?

सूत्रों की अगर यहां माने तो 4मार्च को बीओडी में जहां दर्जनों ऐजेन्डा आइटमों पर मुहर लगी है वहीं गले की फांस बने इसी SOR’s को लेकर एक हाई पावर कमेटी को अब यह मामला सौंपे जाने का निर्णय लिया गया है। इस हाई पावर कमेटी में मुख्य सचिव, सचिव ऊर्जा, सचिव (वित्त) सहित सचिव (विधि), सचिव (कार्मिक, सचिव‌परियोजना सहित आदि वरिष्ठ आईएएस एवं विशेषज्ञ व राज्यमंत्री परियोजना भी हो सकते हैं‌ जो इस पर ठप्पा लगायेंगे? वह ठप्पा इसके पक्ष में होगा या विरोध में ये तो समय ही बतायेगा! फिलहाल आज एक अंत महत्वपूर्ण मीटिंग अभी पिटकुल एमडी ने डायरेक्टर्स से लेकर अधीक्षण अभियन्ता स्तर तक के सभी अधिकारियों की बुलाई है जो गहनता से उठने वाले सवालों की रणनीति पर विचार करेगी।

महत्वपूर्ण तथ्य तो यह भी है कि 2020 में 71वीं बोर्ड मीटिंग में 14-15% हाई रेट्स की SoR’s को ठुकरा चुकी है! तो क्या उस बीओडी के निर्णय को यह बीओडी नकार देगी? यही नहीं केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के उन निर्देशों को भी जिनमें बार्डर शेयरिंग एरिया वाली शर्तों का उल्लंघन इस सीमांत प्रदेश उत्तराखंड की सरकार सिर्फ कुछ‌ घोटालेबाजों के मायाजाल में फंसकर देश की सम्प्रभुता और सुरक्षा को सेंध मारी का मौका पड़ोसी संदिग्ध चीन की चाईनीज कम्पनी के साथ ज्वांइट बेंचर वाली कम्पनी/ बिडर के साथ व्यवसाय करके खतरे में डालना पसंद करेंगी और वह भी तब जब प्रदेश की कमांड एक फौजी परिवार से जुड़े धाकड़ मुखिया के पास हो? क्या बार्डर‌ शेयरिग की शर्तों पर पिटकुल द्वारा केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी गयी है? या फिर उससे भी शासन को अंधकार में रखकर भ्रमित किया जायेगा और उल्टी सउल्टई व्याख्या देकर कि एडीबी फंडिंग कामों पर लागू नहीं होती आदि आदि?!

2020 की 71वीं बोर्ड मीटिंग का निर्णय…

केन्द्र सरकार के देश की सुरक्षा को लेकर जारी निर्देश…

देखना यहां गौर तलब होगा कि इस महाघोटाले को हाई पावर कमेटी और धाकड़ धामी सरकार राष्ट्र हित में रोक पाती है या नहीं ? अथवा यह हाई पावर कमेटी भी डबल इंजन सरकार को सबालों के कटघरे में खड़ा करेगी?

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