हमारी खबर का असर : यूपीसीएल ने की हरिद्वार टेण्डर‌ की‌ तिथी एक्सटेंड


धामी शासन ने लिया संज्ञान : साभार!

टेण्डर प्रणाली को ही बना दिया दूषित : लगेगा अंकुश?
जीएसटी के तालिबानी फरमान से केन्द्र सरकार का उड़ाया जा रहा है मजाक!
वैसे नहीं तो ऐसे दिखाओ, इन्हें बाहर का रास्ता!
ई प्रिक्योरमेंट रूल्स का मनमर्जी से चलाया जा रहा है सिक्का!
वाह जी, वाह! किस अधिकार से कर दिए डिवीजन से सब डिवीजन स्तर पर टेण्डर विभाजित 
(पोलखोल-तहलका ब्यूरो)
देहरादून। ऊर्जा विभाग का यूपीसीएल इतनी आसानी से बाज आयेगा,  लगता तो नहीं क्योंकि यहां एक से एक बड़े मगरमच्छ विद्यमान हैं जिनके रोम रोम में भ्रष्टाचार और घोटालेबाजी का रक्त हिलोरें मारता रहता है। टेण्डर व्यवस्था में जब तक पारदर्शिता और कठोरता से पालन नहीं होगा और बिडर्स के दोस्ताना व रिश्तेदारी निभाने के तरीके पर कठोर कदम नहीं उठाया जायेगा तब इसमें स्वार्थों को लेकर भ्रष्टाचार छाया रहेगा? नियमों में‌ लचीलापन‌ का लाभ और‌ इच्छानुसार शर्ते‌ थोप कर अनचाहे‌‌ बिडर्स को बाहर करके अपनों को अनुचित लाभ पहुंचाने की लालसा ही भ्रष्टाचार की जड़ है।
ज्ञात हो कि निगम के हित में प्रतिस्पर्धा का लाभ उठा कर जन-धन को बचाने के लिए गत दिवस हमारे द्वारा  “ई टेण्डर प्रक्रिया का मज़ाक़”  शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर धामी शासन का ध्यान आकर्षित किया गया था जिस पर संज्ञान लेते हुए एक ओर जहां ईडीसी हरिद्वार के टेण्डर बिड डाक्यूमेंट सबमिशन को लेकर बिडर्स में भ्रांति, असमंजस व असुविधा की स्थिति बनी हुई थी। उक्त पर निगम हित में लिए गये संज्ञान और‌ अधिक से अधिक बिडर्स पार्टीशिपेट कर सके, के लिए डेट 01-03-2024 तक एक्सटेंड किया जाना सराहनीय एक्शन रहा।
वहीं दूसरी ओर यूपीसीएल के अधीक्षण अभियंताओं का इन बिलिंग प्रीप्रेशन एवं पेमेन्ट कलैक्शन के अपने अपने सर्किल में ई-टेण्डरिंग प्रक्रिया को प्रक्योरमेंट पालिसी के विपरीत जाकर एक ऐसा तालिबानी फरमान लागू कराया जा रहा है सीधे तौर पर केन्द्र सरकार की नीतियों का मज़ाक़ है। बताया जा रहा कि अच्छे उत्तराखंड से बाहर के बिडर्स को अयोग्य साबित करने के लिए जब AClass रजिस्ट्रेशन की शर्त और चार करोड़ के टर्नओवर की शर्त से बाहर नहीं कर पाये तो उनसे हां जा रहा है कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन उत्तराखंड का होना चाहिए ये शायद यह भूल रहे हैं कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन पूरे देश के लिए प्रभावी होता है नाकि अलग अलग राज्यों में पंजीकरण आवश्यक है। ऐसा ही कुछ खेल रुद्रपुर डिवीजन में चल रहा हैं वहां जीएसटी लोकल रजिस्ट्रेशन की शर्त तालिबानी फरमान के साथ थोपी जा रही है।
उल्लेखनीय यहां यह भी है कि यूपीसीएल के अधिकारी काली कमाई के इतने दीवाने हो गये हैं कि वे बिना अधिकार ही अपनी अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग अलापने लगे हैं तभी तो रानीखेत डिवीजन में यह टेण्डर डिवीजन स्तर से सब डिवीजन स्तर पर किये जा रहे हैं ताकि अपने चहेतों को अनुचित लाभ मंहगी दरों पर देकर खाईबाडी की जा सके।
ऊर्जा विभाग और चेयरमैन ऊर्जा व मुख्य सचिव उत्तराखंड मैडम क्या इस मनमर्जी से अपनाई जा‌ रही खंडित व विवादित टेण्डर प्रक्रिया अपनाये जाने पर अंकुश लगाने की‌ दिशा में कोई कदम उठायेंगी ताकि पारदर्शिता के साथ भ्रष्टाचार मुक्त टेण्डर हो सकें?
अब देखिए इनकी अपनी अपनी ढपली…

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