पिटकुल एडीबी टेण्डर स्कैम-6. …और अब नया झमेला, एमडी यूपीसीएल की अध्यक्षता वाली अवैध कमेटी में  भी होगा क्या खेला?

सैकड़ों करोड़ के एडीबी फंडिंड टेण्डर में SOR’s घोटाला प्रकरण -6
पोल खोल की खबर का नहीं मिल रहा इन्हें कोई तोड़
एक और स्वतंत्र निदेशक व पीआईसी कमेटी के चेयरमैन आर.पी. ससमल ने भी दिया स्तीफा!
कहीं काली कमाई की बाजी फिसलती देख सुध-बुध तो नहीं खो बैठे धाकड़ धामी के ये धाकड़ आईएएस?
बोर्ड के फैसलों को चेयरमैन व सचिव ऊर्जा स्वयं महाबली बन तालिबानी हुकूमत की तरह क्यों चलाना चाहते हैं पिटकुल को!
 जी हां, सचिव ऊर्जा एमडी के अधिकारों का अनुचित अतिक्रमण कर, कर रहे दखलंदाजी
पहले चीफ इंजीनियर गुप्ता को लगाया ठिकाने और अब प्रभारी निदेशक वित्त को पढ़ा रहे ड्यूटी का पाठ
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। चोर चोरी से जाए पर हेराफेरी से न जाए की कहावत को यदि चरितार्थ होते देखना है तो देवभूमि उत्तराखंड के शासन में बैठे कुछ धाकड़ सिपहसालारों के कारनामों और उनकी कार्यप्रणाली को गौर से देखने की ही आवश्यकता है क्योंकि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का ढोल पीटने वाली ये सरकार या तो  बहरी, अंधी और गूंगी हो गयी है या फिर इन खिलाड़ी कुछ ब्यूरोक्रेट्स के सामने किसी स्वार्थ के चलते घुटनें टेक बैठी हैं। मजेदार तथ्य तो यहां यह भी है जो विभाग सीधे मुख्यमंत्री के अपने पास हैं उन्हीं में व्याप्त भ्रष्टाचार व घोटालेबाजी ज्यादा नजर आ रही है फिर चाहे वह ऊर्जा विभाग हो या पेयजल विभाग! इनमें केन्द्र सरकार की गारंटी पर एडीबी फंडिंग में मिलने वाली सैकड़ों करोड़ की परियोजनाओं हों या फिर नमामि गंगे, राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के महत्वाकांक्षी कार्य हों उनमें इन तथाकथित भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों ने ऐन-केन-प्रकरेण गोते तो लगाने ही हैं और बंदरबांट भी करना ही है‌ भले ही परियोजनाओं को पलीता लगे या गंगा दूषित ही रहे? ऐसा ही घोटालेबाजी और घालमेल का एक ऐसा कारनामा तब प्रकाश में आया जब राष्ट्रहित और जनहित में प्रकाशित हमारी खबर से इनकी दाल को पकने में ग्रहण लगता दिखाई पड़ने लगा?
 ज्ञात हो कि विगत दिनों पिटकुल की  88वीं बोर्ड की मीटिंग में एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) फंडिंग की सैंकड़ों करोड़ की परियोजनाओं के टेण्डरों में चहेते बिडर्स को उसकी चाही गयी दरों पर शिड्यूल आफॅ रेट्स SOR’s को मनमाने ढंग से बार-बार बदले जाने को लेकर हमारी न्यूज की धमाकेदार चर्चा हुई परिणामस्वरूप टेण्डर पर लगने वाली मुहर नहीं लग सकी। यह नहीं उक्त मीटिंग में जिन रिटायर्ड अनुभवी स्वतंत्र निदेशकों ने सवाल उठाए उनमें सेवानिवृत्त आईएएस सहित एक पीजीसीआईएल में निदेशक रहे इंजीनियर ससमल का नाम चर्चा में अधिक रहा। हांलाकि उक्त बोर्ड मीटिंग में यूपीसीएल और यूजेवीएनएल के पदेन सदस्य निदेशक व एमडी का नदारद होना उनकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है बाकी आईएएस सदस्य तो शासन के ही मोहरों की तरह जिधर चाहे चला लो की तरह कोरम पूरा करने व प्रस्ताव पर मनचाहा निर्णय के लिए स्टैम्प मात्र ही होते हैं!
उल्लेखनीय तथ्य यहां यह है कि उक्त 16 जनवरी की बोर्ड मीटिंग में लिए गये निर्णय और गठित कमेटी को  मात्र चेयरमैन, पिटकुल व  सचिव ऊर्जा के द्वारा अतिक्रमित करके मनमाने तौर पर बदले जाने का तालिबानी रवैया और पाकिस्तानी हुकूमत की तरह की हैरत अंगेज कार्यप्रणाली देखने को मिली है जो चर्चाओं में गूंज रही है। पोलखोल ब्यूरो द्वारा इस राष्ट्र सुरक्षा से जुड़े प्रकरण पर 15 जनवरी से अब तक अनेकों बार इनके द्वारा खिलाए जा रहे गुलों का पर्दाफाश किया जाता रहा है।
ज्ञात हो कि विगत पन्द्रह दिनों में ही पिटकुल बोर्ड के एक रिटायर्ड वरिष्ठ आईएएस बी.पी. पाण्डे द्वारा SOR’s में हो रही धांधलेबाजी को लेकर दिये गये स्तीफे ने जहां इन घोटालेबाजों की नींद हराम कर दी थी वहीं उसके चार पांच दिनों पश्चात एक और बिकेट गिर गया। यह बिकेट किसी फील्डर या बालर का नहीं वल्कि एक्सपर्ट का था जोकि मनमानी व  नियम विरुद्ध बार बार बदली गयी SOR’s पर जांच कर रिपोर्ट बोर्ड को देने के लिए गठित कमेटी (PIC) के अध्यक्ष इंजीनियर आर.पी. ससमल का था। बताया जा रहा है कि पीजीसीआईएल के भूतपूर्व निदेशक ससमल पिटकुल बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के रूप में थे, के द्वारा सचिव ऊर्जा को ई मेल के द्वारा अपना स्तीफा भेजा गया था जिसको लेकर एक ओर जहां ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी वहीं तकनीकी समस्या भी खड़ी हो गई थी यही नहीं तथाकथित भारी भरकम होने वाले घोटाले की जड़ें व जमीन दोनों में ही भूचाल छा गया और जब प्लेटें हिलती नजर आयीं तो विद्वान व धाकड़ आईएएस वर्तमान मुख्य सचिव व चेयरमैन पिटकुल एवं सचिव ऊर्जा यह भी भूल गये कि वह जो कर रहे हैं वह केवल‌ उनके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है क्योंकि जो निर्णय पिटकुल बोर्ड द्वारा SOR’s के सम्बंध में व अन्य मामलों में सामूहिक रूप से लिए गये हैं वे अकेले नहीं बदले जा सकते उन्हें बदलने या नयी कमेटी गठित करने का अधिकार‌ केवल‌ और केवल बोर्ड का होता है नाकि किसी‌ व्यक्तिगत पदाधिकारी को!
यहां स्मरण दिलाना यह भी उचित होगा कि पिटकुल कम्पनी सेकेट्री द्वारा पहले ही बोर्ड की मीटिंग के MOM बनाने में पहले ही घालमेल किया जा चुका है और निर्णय कुछ लिए गये और लिखे गये कुछ के कुछ का पर्दाफाश पहले ही हमारे द्वारा किया जा चुका है। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस घालमेल में कहीं न कहीं सचिव स्तर पर भी संलिप्तता है तभी तो इतने गम्भीर हरकत और दुस्साहस पर बजाए ऐक्शन के चुप्पी दिखाई पड़ रही है।
 यह भी ज्ञात हुआ है कि इन एडीबी फंडिड सैंकड़ों करोड़ के इन टेण्डरों की आड़ में भारी भरकम पौ-बारह करने के चक्कर में जो खिचड़ी ससमल वाली कमेटी के कंधों पर बंदूक़ रखकर पकाईं जाने वाली थी वह आब‌ दाल ना गल सकने के कारण और अब इंजीनियर ससमल के स्तीफे के पश्चात नयी कमेटी जो घोटाले और भ्रष्टाचार के काकस के महाबली की अध्यक्षता वाली PIC कमेटी है में  अनाधिकार रूप से गठित कर चेयरमैन के‌ निर्नदेशन में  नये सदस्यों से कराये जाने का तुगलकी फरमान विगत 13 फरवरी को पत्रांक संख्या 522 के माध्यम से जारी किया जा चुका हैं। उक्त नयी पीआईसी कमेटी के अध्यक्ष एमडी, यूपीसीएल अनिल कुमार व सदस्य प्रभारी निदेशक (परिचालन) बुदियाल, मुख्य अभियंता (परियोजना)अनुपम शर्मा, प्रभारी महा प्रबंधक (वित्त) एवं संयोजक मुकेश बड़थ्वाल (अधिशासी अभियंता) पिटकुल बनाए गये हैं ताकि मनमर्जी का  अमली जामा पहनाया जा सके। उक्त कमेटी को 20 फरवरी तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
ज्ञात हो कि एमडी यूपीसीएल भी पिटकुल के ही चीफ इंजीनियर (स्तर-1) हैं जो ली-एन पर चल रहे हैं तथा शेष सदस्य भी पिटकुल के ही हैं। ऐसे में उक्त कमेटी जो गुल खिलायेगी वह स्पष्ट रूप से पहले ही देखा जा सकता है और वैसे भी यूपीसीएल में भी तो एडीबी फंडिड टेण्डरों में SoR’s  का खेल और नियमों की धज्जियां भी तो जमकर उड़ाई ही  जा रही हैं और गुल खिलाकर धाकड़ धामी की सरकार में चार चांद लगाते जा रहे हैं। “यहां ना तू कहे मेरी और न मैं कहूं तेरी‌” अर्थात “चोर चोर मौसेरे भाई” की कहावत भी तो चरितार्थ करनी है। वैसे भी‌ इन दोनों निगमों‌ के एमडी को पहले ही किसी मामले में  विपरीत चलने पर‌ सचिव ऊर्जा डांट पिला ही चुके हैं और एक होकर चलने की नसीहत दे चुके हैं।
मजेदार बात यह भी है कि जो काम जिम्मेदार अधिकारी एमडी पिटकुल और प्रभारी  निदेशक (वित्त) को स्वत: करने चाहिए उनका जिम्मा भी सचिव ऊर्जा ने ही सम्भाल रखा है तभी तो पिटकुल के प्रभारी निदेशक (वित्त) बडोनी जो कि यूजेवीएनएल के‌निदेशक (वित्त) भी हैं को‌ उनकी ड्यूटी का इसी प्रयोजन विशेष से फटाफट मामला निपटाने के उद्देश्य से बाकायदा पिटकुल के एमडी के लेटर पैड का इस्तेमाल करते हुए विगत 13-02-2024 को पत्रांक संख्या 523 के माध्यम से फरमान जारी कर रहे हैं यही नहीं ऐसा ही एक पत्र पत्रांक संख्या 117 दिनांक 27-01-2024 को भी चीफ इंजीनियर राजीव गुप्ता को जारी कर उनकी ड्यूटी लगा चुके हैं। क्या धाकड़ धामी के धाकड़ सचिव के पास अपना कोई लेटर पैड नहीं है जो आधीनस्थ का लेटर पैड इस्तेमाल कर रहे हैं भी हास्यास्पद है। वैसे तो वैशाखियां पर चल रहे ये ऊर्जा निगम स्थाई एमडी और निदेशकों के पदों पर नियुक्तियां ना किया जाना भी इनका निकम्मापन ही दर्शाता है जबकि इस विषय पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा भी सदन में छः माह पूर्व भी सवाल उठाया जा चुका और नई स्थाई नियुक्तियों की कली भी खोली जा चुकी है फिर भी…!
देखिए एमडी पिटकुल के लेटर पैड का सचिव ऊर्जा द्वारा स्तेमाल। …
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो पत्र विगत दो‌ दिवस पूर्व जारी किया गया है उसमें पीजीसीआईएल के भूतपूर्व निदेशक रहे इंजीनियर आर पी ससमल के पिटकुल बोर्ड के स्वतंत्र निदेशक के पद से दिये गये स्तीफे का भी उल्लेख है। बताना यहां उचित होगा कि पूरे देश में ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पावर ग्रिड कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड ही एक ऐसी विश्वसनीय संस्था है जिसकी खास पहचान व छवि है। ऐसे में श्री ससमल द्वारा दिया गया स्तीफा अपने आप में ही बहुत कुछ बयां कर रहा है और ऊर्जा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलते हुए सवालिया निशानों को छोड़ रहा है!
देखना यहां गौर तलब होगा कि इसस गम्भीर प्रकरण पर धाकड़ धामी सरकार या मुख्य सचिव व चेयरपर्सन आईएएस मैडम क्या रुख अपनाते हैं? या फिर होगा खेला?

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