सीएम इन्वेस्टर्स समिट करके बुला रहे और ये सब भगा रहे?

जिम कार्बेट पार्क में कानून की धज्जियां उड़ाता हेकड़ीबाज पुलिस व स्थानीय प्रशासन!
पहले बेटा बेटा करके पुचकारा फिर फंसाया और अब दुत्कारा?
न्यायालय के आदेश पर खेल, खेलती पुलिस व तहसीलदार!
रस्सी को सांप बनाने वाली पुलिस ने जबरन खड़ा किया विवाद और बनाया बतंगड़?
….ऐसे तो कौन करेगा उत्तराखंड में इन्वेस्टमेंट?
टूरिस्ट सीजन में करोड़ों का निवेश कर रिजार्ट को निखारने वाले “कारा ग्रुप” के साथ ये कैसा छल और प्रपंच?
अजब खेल की गजब कहानी!
(घुमंतू ब्यूरो की पड़ताल में सुनी दास्तान)

रुद्रपुर – काशीपुर / देहरादून। एक ओर धामी सरकार प्रदेश के विकास को लेकर देशभर के इन्वेस्टर्स और उद्योगपतियों को आमंत्रण देकर इन्वेस्टर्स समिट करके बुला रही है वहीं दूसरी ओर उन्हीं के कुछ स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस पक्षपाती रवैया अपनाकर अनुचित रूप से दिल्ली के “कारा ग्रुप” मालिकों का उत्पीड़न करने पर तुले हुये उनके रिजार्ट से टूरिस्ट सीजन में पर्यटकों को अप्रत्यक्ष रूप से भगाने और व्यवसाय चौपट करने के लिए न्यूसेंस फैलाकर स्थानीय रिजार्ट स्वामी को गुपचुप लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से रस्सी का सांप बना न्यायालय के आदेश का उल्टा सीधा अर्थ निकाल कानून का मज़ाक़ उडा रहे हैं और जिस कार्यवाही की आवश्यकता ही नहीं थी वह 145 की कार्यवाही बिना औचित्य के ही करके रिजार्ट को विवादित बता, बतंगड़ बना दिया ताकि उसका लाभ रिजार्ट स्वामी को अनुचित रूप से मिल सके।

पीड़ित इन्वेस्टर्स और “कारा ग्रुप” के निदेशक पुनीत सेठी के अनुसार उन्होंने 2020 में काशीपुर निवासी सन्दीप अरोरा से दस साल के लिए उनका कालाढूंगी क्षेत्र अन्तर्गत जिम कार्बेट पार्क में अनंतारा रिजार्ट को लीज पर लिया था और लीजडीड के अनुसार भवन स्वामी को डेढ़ करोड़ रुपए एडवांस देकर रिजार्ट को आने वाले सीज़न में पर्यटकों को अधिक सुख सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए रिजार्ट की आधी अधूरी लुक को निखारने और साथ ही साज सज्जा को संवारने में लाखों करोड़ों की पूंजी निवेश कर चुके थे इसी दौरान जब उक्त “कारा अनंतारा” रिजार्ट जब अपने यौवन पर निखर कर आया ही था कि रिजार्ट स्वामी अरोरा की नियत में खोट आ गया और उन्होंने चुपचाप अच्छी कीमत मिल जाने के लालच में ऐन-केन-प्रकरेण लीज को दो साल की बता  निरस्त कर “कारा ग्रुप” को बाहर रास्ता दिखाने और अच्छी कीमत में बेचने की योजना बना डाली। इस प्रकार बाहरी इन्वेस्टर्स के साथ स्थानीय लोगों द्वारा ऐसा छल भरा व्यवहार किया जाना कदापि उचित नहीं ठहराया जा सकता। यदि ऐसा ही होता रहेगा और शासन प्रशासन उनकी उचित मदद न करके कपटी स्थानीय विकास विरोधी लोगों का साथ देता रहेगा और उन्हें पनाह देगा तो वह दिन दूर नहीं जब कोई भी इस देबभूमि के बआसइंदओ का यकीन नहीं कर सकेगा और तब पर्यटन और‌ संस्कृति तथा शिक्षा व होटल इंडस्ट्रीज की रीढ़ ही टूट कर रह जायेगी।

यही नहीं सेठी के अनुसार दस साल की लीजडीड को दो साल की लीजडीड बताने वाले रिजार्ट स्वामी के द्वारा तथाकथित रूप से एक फर्जी डीड तैयार कर स्थानीय प्रशासन व कालाढूंगी पुलिस से मिल कर सांठगांठ कर साजिश रच ली गयी। पीड़ित अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे सेठी का यह भी कहना है कि जो उनके पास जो लीज डीड है वहीं सच है और उसके अनुसार छः साल का लाॅक इन पीरियड है तथा दस साल की लीज पर रिजार्ट 16 लाख रुपये मासिक किराया पर लिया गया है तभी वे इसमें लम्बे समय की लीज के मद्देनजर इसमें भारी इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं अपितु दो साल की लीजडीड के लिए वे क्या कोई भी बिजनेस मैन इन्वेस्टमेंट नहीं करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड काल के करीब दो वर्षों का किराया भी निरंतर समय पर उनके द्वारा अदा किया जाता रहा है और अब जब उनके कमाई का समय आया तो  रिजार्ट स्वामी अरोरा उन्हें गैर कानूनी रूप से बेदखल करना चाहते है‌ तथा रिजार्ट को किसी अन्य को वर्तमान अच्छी कंडीशन में बेचना चाहते हैं इसी दुराशय से स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सुनियोजित षडयंत्र के तहत हमारे साथ छल व धोखा करके भारी क्षति पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि पुलिस ने बिना किसी आवश्यकता और औचित्य के रिजार्ट स्वामी से अंदरखाने सांठगांठ के चलते 145 की कार्यवाही की रिपोर्ट एसडीएम को भेज बिना बात के ही बतंगड़ बना दिया गया है। परिणाम स्वरुप उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी क्योंकि कोई भी स्थानीय अधिकारी व पुलिस अधिकारी उनकी मदद तो दूर सुनने को ही तैयार नहीं था। यही नहीं न्यायालय के आदेश का भी मनमाना अर्थ निकाल तानाशाही रवैया एकपक्षीय रूप से अपनायें हुये उनके स्टाफ, पर्यटकों व सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने पर तुली हुई है ताकि वह परेशान होकर यहां से भाग जाये।

मजेदार बात यह भी बताई जा रही है  कि पहले तो उन्हें अरोरा अंकल ने बेटा बेटा करके खूब पुचकारा और फिर मीठी मीठी बातों में उनसे करोड़ों का इन्वेस्टमेंट करा दिया कभी कोई परेशानी और कभी कुछ,  इस समय मदद के‌ नाम पर करवा लिया और लीजडीड रजिस्टर्ड कराने की टाल मटोल करते रहे। जबकि जो काम अरोरा को कराने थे उन्हें भी सेठी द्वारा ही कहने पर पूरा कराया गया।

वहीं दूसरी ओर रिजार्ट स्वामी अरोरा का कहना है कि उन्होंने “कारा ग्रुप” को केवल दो साल के लिए लीज पर अपना रिजार्ट दिया है और जो लीज डीड उनके पास है वहीं सच है। उन्होंने हमें यह भी बताया कि यह बात सच है कि उन्होंने रिजार्ट बेचने का अनुबंध कर लिया है और बिक्रय आनुबंध के अनुसार इसी माह में उन्हें कब्जा देना है। अरोरा के अनुसार सेठी की लीज डीड फर्जी है तथा उन्होंने केवल‌ दो साल के लिए ही लीज पर दिया था जिसका कार्यकाल पूरा हो गया है।

अब अगर यहां सूत्रों की मानें तों दोनों ही पक्षों का आरोप है कि पुलिस व स्थानीय प्रशासन उनकी नहीं सुन रहा है तथा मनमानी कर रहा है वहीं पुलिस का कहना है कि प्रथम दृष्टया लीजडीड की सत्यता की जांच कराई जायेगी तत्पश्चात सच्चाई सामने आने पर उसके अनुसार कार्यवाही होगी।

उल्लेखनीय यहां यह नहीं कि किसकी लीजडीड सही और किसकी गलत ? परंतु यदि इन्वेस्टर्स को इसी प्रकार जल प्रपंच करके फंसाया जाता रहा तो इस प्रदेश में सीएम धामी कितनी भी इन्वेस्टर्स समिट कर लें प्रदेश से बाहर के उद्योगपति व पूंजीपति उत्तराखंड में आकर निवेश नहीं कर सकेंगे। क्योंकि पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी बाहरी निवेशकों को उचित सहायता न पहुंचाकर स्वार्थी खेल काली कमाई के हेर फेर में खेल रस्सी का सांप और सांप का रस्सी बनाने में रहकर उत्पीड़न व शोषण करती है ताकि इन्वेस्टर्स परेशान होकर भाग जाये।

देवभूमि उत्तराखंड में स्थानीय लोगों की रोजी रोटी पर्यटन पर निर्भर है। पहाड़ी राज्य की तमाम कठिन परिस्थितियों के बीच अनेकानेक कारणों से स्थानीय कारोबारी अपने द्वारा संचालित पर्यटन उद्योग को निरंतर चलाने में नाकाम हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें बाहरी निवेशकों को व्यवसायिक भागीदार बनाने का आसान रास्ता नज़र आता है लेकिन जब कोई बाहरी निवेशक इनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आकर अपनी गाढ़ी कमाई के करोडों रूपयों इनके ही मालिकाना हक वाली संपत्ति पर लीज डीड के आधार पर निवेश कर देता है तब शुरू होता है नीति और नीयत बिगड़ने का साजिश भरा खेल और पुलिस व प्रशासन की मिलीभगत से बाहरी निवेशक को साम, दाम, दंड और भेद से गलत साबित करने का नंगा नाच। ऐसा ही बड़ी व सामूहिक ठगी का बड़ा खेला हुआ है जिम कार्बेट में….ये समूची नंगई कब..कहाँ… कैसे हुई… आईये सिलसिलेवार जानते और समझते है धामी सरकार की बाहरी निवेशकों को लुभाने व देवभूमि में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने की ध्वजवाहक योजना को रौंदने वाली साज़िश का कड़वा सच…!!!!

कारा अनंतारा रिज़ॉर्ट एंड स्पा घटनाओं के क्रमानुसार 

लगभग दो साल पहले 2020 में लीज पर अनंतारा रिजार्ट को “कारा ग्रुप” द्वारा लीज पर दस साल के लिए लिया गया और उसकी अधूरी साथ सज्जा को पूरा कराया गया।

11 मई 2023 को – हमें पता चला कि भवन स्वामी संपत्ति किसी और को पट्टे पर दे रहा है या बेच रहा है।

25 मई – एडवोकेट द्वारा जमींदार और नई कंपनी को नोटिस भेजा गया जिसे वह फिर से अधिक किराये के लालच में पट्टे पर दे रहा था

29 मई- कोर्ट ने दोनों पक्षों को 17 जुलाई को सुनवाई का आदेश जारी किया

29 मई – अरोरा यह समझ गया कि हम कानूनी कार्यवाही करने जा रहे हैं, इसलिए उसने मुझे इसे निपटाने के लिए बुलाया और पूछा कि क्या हम 1-2 जून को मिल सकते हैं, जिससे मैंने इन्कार कर दिया।

3 जून – अरोरा जी ने यह कहकर 50 कमरे बुक किए कि वह हमें बुकिंग दे रहा है और अच्छी चार्जेज पर दिला रहा है- साजिश?

4 जून – 40-50 लोग होटल में घुसे और तोड़फोड़ कर कब्जा करने की कोशिश की जिस पर हम उच्च पदस्थ अधिकारियों के पास पहुंचे और फिर स्थानीय पुलिस ने हस्तक्षेप किया और इसके स्थानीय लोगों को बाहर निकाला।

4 जून – हमने अरोरा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक आवेदन पुलिस को दिया, जिसके खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई क्योंकि पुलिस उसीका पक्ष ले रही है।

4 जून – स्थानीय पुलिस ने कहा कि हम धारा 145 की कार्यवाही कर रहे है जिसका कोई औचित्य ही नहीं था केवल विवादित बनाना था ताकि इसका लाभ रिसॉर्ट को खाली कराने में मिले।

5 जून – कुछ पुलिस वाले रिजॉर्ट में आए और सभी को रिजॉर्ट खाली करने की अनुचित धमकी देने लगे तथा हमारे स्टाफ को डराने लगे।

5 जून – इस पर मैंने एसओ से बात की और उनसे कुछ नोटिस देने को कहा। वह कॉल में उत्तेजित हो गया और मुझसे कहा कि 3-4 घंटे में नोटिस आएगा और आपको रिजार्ट खाली करने के लिए 3 घंटे ही मिलेंगे।

5 जून – दो घंटे में एसडीएम का नोटिस लेकर पुलिस आ गई और खाली करने के लिए कहा, जिस पर हमने कहा कि यह तुरंत नहीं किया जा सकता है, हमने यह भी कहा कि संपत्ति खाली करने के लिए नोटिस में इसका उल्लेख नहीं है, जिस पर पुलिस ने सभी को धमकी दी कर्मचारी, जो या तो परिसर खाली करते हैं या उनके खिलाफ कल सुबह 11 बजे तक प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और जेल भेज दिया जायेगा।

5 जून – हमने कोर्ट से स्टे लिया।

8 जून- एसडीएम ने सुनवाई की अगली तिथि 17 जून नियत की।

8 जून – पुलिस फिर से हमें खाली करने के लिए कहने आई तथा तहसीलदार भी आई।

9 जून – अरोरा व उसके साथियों ने रिसोर्ट में आकर धरना-प्रदर्शन किया और कानून की धज्जियां उड़ाई व पुलिस चुपचाप तमाशा देखती रही।

देखना यहां गौरतलब होगा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी व उनका शासन प्रशासन इन्वेस्टर्स की कितनी सुरक्षा व सहायता कर आने वाले समिट में प्रदेश के विकास के लिए राजी कर पाने में सफल हो पायेगा या फिर हाथी के दांत दिखने के कुछ और खाने के कुछ की तरह ही स्थानीय लोगों के अनुचित व अव्यवहारिकता को ही समर्थन देगा?

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