वाह रे, वाह! एमडीडीए वाह! बिल्डर के आगे बैकफुट पर क्यों?

गजब : दूसरी साईट पर एक मंजिल आवासीय भवन की जगह बना डाले तीन मंजिल में 6 कामर्शियल फ्लेट्स?
कहीं की साइट पर, कहीं का नक्शा पास करा, बिल्डर ने झोंक दी धूल : कार्यवाही के नाम पर शून्य
चालानी कार्यवाही के चलते निर्माण जारी, किसकी शह पर!
कम्पान्डिंग की भी उडाईं खुल कर धज्जियां और बना डाले कामर्शियल फ्लेट्स : अनजान खरीददारों से भी धोखा?
यूं ही नहीं बस गये राजधानी दून में कंक्रीट के जंगल और अवैध निर्माण
जेई, एई सहित एसई काली कमाई के बंदर बांट में कर रहे उच्च अधिकारियों को गुमराह
जनसुनवाई में डीएम / वीसी के सामने संज्ञान आ चुका है प्रकरण : फिर भी असर नहीं!

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। उत्तराखंड राज्य के निर्माण के साथ सबसे अधिक मलाई खाकर अवैध निर्माण कराने वाला अगर कोई है तो उसमें मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण का ही नाम सबसे आगे आयेगा! तभी तो राजधानी दून में सर्वौच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां जम कर उड़ाई गयी और जहां जहां निर्माण पूर्णतया प्रतिबंधित था, वहां ग्रीन जंगल साफ होकर कंक्रीट के जंगल बसते जा रहे हैं। इन प्रतिबंधित क्षेत्रों में राजपुर से मसूरी और सहस्त्रधारा रोड क्षेत्र प्रमुख हैं।
यही नहीं शासन द्वारा निर्धारित लैण्डयूज (भूउपयोग) की बाध्यता भी मजाक बनकर रह गयी और एमडीडीए के ढीठ तथा भ्रष्ट अधिकारियों और क्षेत्रीय अभियंताओं के काॅकस की बिल्डरों से सांठगांठ के चलते अधीक्षण अभियंता व संयुक्त सचिव तक एकराय होकर जिस तरह से धज्जियां उड़ा रहे है वह भी अपने आप में अजीबोगरीब खेल है।
इस खेल का ही एक ऐसा कारनामा प्रकाश में आया है जिससे “कुनवा बिगड़ा तो बिगड़ा क्यों, जब अरबा सत्ता ज्यों का त्यों” की कहावत भी यहीं चरितार्थ हो रही है। मजेदार बात तो यह भी है कि यह मामला एमडीडीए के उपाध्यक्ष एवं वर्तमान जिला अधिकारी के संज्ञान में आ चुका है फिर भी एमडीडीए का ये काॅकस बड़ी आसानी से इन कड़क आईएएस को कुछ का कुछ बता कर भ्रमित कर रहे हैं। एमडीडीए की अगर वास्तविक भूमिका को अब तक अगर आंका जाते तो जबसे इसका गठन हुआ तभी से इस प्राधिकरण पर उंगली उठती आई है। इस प्राधिकरण की ही निष्क्रियता की देन है जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के कड़े आदेशों के उपरान्त देहरादून – मसूरी मार्ग और मसूरी एवं ग्रीन दून क्लीन दून वाले सहस्त्रधारा रोड के चारों ओर हजारों की संख्या में अवैध निर्माण र कंक्रीट के जंगल कैसे बन गये?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमडीडीए के निकट सेक्टर-2 क्षेत्र अंतर्गत आशिमा विहार के निवासियों द्वारा आवासीय क्षेत्र में ऊषा जैन और आकाश जैन बिल्डर्स के विरुद्ध कराये जा रहे अवैध व अनुचित निर्माण की शिकायत इस लिए की गयी थी के एमडीडीए नियमों का उल्लंघन करने वाले उक्त बिल्डर के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होगी और अवैध निर्माण रुकेगा परंतु एमडीडीए के काॅकस ने बिल्डर्स के साथ सांठगांठ के चलते इस अवैध निर्माण के मामले में ऐसे ऐसे हैरत अंगेज कारनामों को अंजाम देकर अपने अधिकारियों की आंख में धूल झोंकने का नायाब प्रयास किया है जो सोलह दूनी आठ का पहाड़ा पढ़ान जैसा है।
ज्ञात हो कि आशिमा विहार निवासियों को जब पता चला कि उनके क्षेत्र में जो फ्लेट बनाये जा रहे हैं वे पूरी तरह अवैध व अनुचित हैं। क्षेत्रवासियों द्वारा इसकी शिकायत की गयी। वाद की सुनवाई के चलते क्षेत्रवासियों द्वारा उजागर जो आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं उन पर यदि प्राधिकरण के उच्च अधिकारी गम्भीरता पूर्वक संज्ञान लें और नियमानुसार सुनवाई करे तो एमडीडीए के अभियंताओं और इस भ्रष्ट काॅकस की सारी कलई स्वत: ही खुल जायेगी।
उक्त मामले में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि एमडीडीए के अधिकारियों और सम्बंधित अभियंताओं के गुपचुप सुपरविजन में ही बिल्डर द्वारा सारे अवैध, अनुचित और नियम विरुद्ध निर्माण कार्य दौरान वाद फटाफट पूरे किये जा रहे हैं जो नहीं होने चाहिए क्योंकि यह गम्भीर अपराध की श्रेणी में आता है। यही नहीं चालानी कार्यवाही के चलते उल्लंघन पर एमडीडीए द्वारा सीधे ध्वस्तीकरण की कार्यवाही अमल में लाई जाती है, परंतु यहां वह छूट भी दिखाई पड़ रही है।
मजेदार बात यह भी है कि एमडीडीए नियमों के अनुसार कम्पान्डिंग उसी अवैध निर्माण की हो सकती है जो कम्पाउन्डिंग के दायरे में आती है परंतु यहां तो मामला और माजरा ही बिल्कुल आलग देखने में आया है कि जैन महाशयों द्वारा जो नक्शा जिस साईट पर  पास कराया गया है उस साईट का भूउपयोग ही इंडस्ट्रियल है तथा वह साईट किसी और की है जहां आवासीय निर्माण हो ही नहीं सकता उसके बाबजूद भी इस बेधड़क बिल्डर द्वारा जो निर्माण दूसरे स्थान पर कराया गया है वहां का न ही कोई नक्शा (मानचित्र) पास है और कराये जा रहे इस अवैध निर्माण पर चालानी कार्यवाही और वाद सुनवाई के चलते निम विरुद्ध निर्माण कार्य जारी है। यही नहीं उक्त बिल्डर्स द्वारा कम्पांडिग के नियमों का भी उल्लंघन करते हुये बजाए अवैध निर्माण के तोड़ने  और शपथपत्र देने के उपरान्त और आधिक निर्माण क्षेत्रीय अभियंता व क्षेत्रीय सुपरवाइजर से सांठगांठ करके कर लिया गया है।
ज्ञात हो कि इन्हीं जैन महाशयों आकाश जैन व ऊषा जैन द्वारा मानचित्र एक मंजिला पास कराकर तीन मंजिला भवन / कामर्शियल 6 फ्लेट्स का निर्माण भी कर लिया गया है। इन अवैध निर्माण कर्ताओं द्वारा जो मानचित्र संख्या OR 2166/ 2022-23 कम्पाउन्ड कराया गया है उस जमीन का भू उपयोग इंडस्ट्रियल है। मानचित्र में सड़क की चौड़ाई भी कुछ की कुछ दिखाई गई है।  उत्तराखंड शासन के शासनादेश आवास अनुभाग -2 -सं.707/V-2 आ.2021-1050आ./2013 पीसी, देहरादून दिनांक 24-3-2021 की अधिसूचना के अनुसार उक्त मानचित्र किसी भी दशा में कम्पान्डिग किया ही नहीं जा सकता।
क्षेत्रवासियों द्वारा एमडीडीए में प्रस्तुत आपत्तियों में यह भी उजागर किया गया है जब निर्माण कर्ता बिल्डर ने साईट ही बदल दी तो उक्त मानचित्र स्वत: ही निरस्त हो जाना चाहिए था। परन्तु एमडीडीए ने उस पर भी आंखें मूंद ली है? बिल्डर्स द्वारा अवैध रूप से बनाए गये फ्लेट्स की तस्वीर स्वयं ही सारी कहानी बयां कर रही है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रवासियों की संयुक्त शिकायत जो बीस दिनों पूर्व एमडीडीए उपाध्यक्ष एवं जिलाधिकारी को दी जा चुकी है परन्तु उक्त प्रकरण में कोई कार्यवाही न होने से क्षेत्रवासी त्रस्त व क्षुब्ध हैं। यही नहीं ये अवैध रूप से बनाते गये फ्लेट्स अनजान लोगों को गुमराह कर बेचे जा रहे हैं जो आने वाले समय में अपने को ठंडा महसूस करेंगे।
देखना यहां गौरतलब होगा कि तेज तर्रार व इन कड़क आईएएस मैडम के कार्यकाल में अवैध निर्माण कर्ताओं पर नकेल कसी जायेगी और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही कर सबक सिखाया जायेगा तथा एमडीडीए में विद्यमान भ्रष्टाचारी काॅकस पर भी सांठगांठ कर नियमों की अनदेखी किते जाने पर कोई एक्शन होगा  या फिर…?

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