उत्तराखंड रोडवेज का करोड़पति कारपेंटर बिजेंद्र पाल दोषी : वर्खास्त

खबर का असर : विवशता की हद या फिर सांठगांठ?

रोडवेज का कारपेन्टर या जमीनों का टैक्स चोर बड़ा कारोबारी?

…और फिर दोषी बिजेंद्र पाल सिंह की रिटायरमेंट से 40 दिन पहले ही हुई बर्खास्तगी तथा निलम्बित काल का वेतन भी किया गया जब्त

नहीं दर्ज कराई एफआईआर,  ईडी व आयकर विभाग को सूचना भी न देकर, डाल रहे पर्दा?

2019-20 में दी जाती कड़ी सजा तो निगम की आंखों में धूल न झोंकता?

पूर्व सीएम टीएसआर के गुर्गे का था खास! आला अफसरों ने भी की थी सिफारिश!

सब रजिस्ट्रार की कृपा से ही लगा रहा सरकार को करोड़ों का चूना

आठ लाख की पेनाल्टी के बाद फिर कर रहा रेरा का उल्लंघन पर स्वत: संज्ञान लेगें रेरा अधिकारी!

मेहरबान सिंह की ही मेहरबानी से हुआ था लाखों का जुर्माना माफ!

वेनामी सम्पत्तियों का भी है मालिक इसका कुनवा?

इमेज इंडिया फाउंडेशन के लखेड़ा की शिकायत पर हुआ खुलासा

देहरादून। डबल इंजन की सरकार ही तो कहती है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर अधिकारी माने तब ना! यही कारण है कि भ्रष्ट व धोखेबाज और घोटालेबाजों के हौसले बुलंद हैं। ऐसे ही हौसलों और धोखेबाजी का मामला फिर उत्तराखंड परिवहन निगम का प्रकाश में आया है जिससे यह स्पष्ट है कि इस निगम के वरिष्ठ अधिकारी किस तरह सरकार की जीरो टालरेंस नीति को बट्टा लगाने के साथ साथ सरकारी राजस्व को भी अपनी छत्रछाया में पल रहे इस करोड़पति मामूली कर्मचारी कारपेंटर से चूना भी लगवा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड परिवहन निगम के मंडलीय प्रबंधक  (तकनीकी) के आधीस्थ कार्यशाला में विगत अनेकों वर्षों से तैनात बद्रीपुर नवादा निवासी बिजेंद्र पाल सिंह कारपेंटर ड्यूटी के चलते अवैध रूप से जमीनों की खरीद फरोख्त का भारी भरकम धंधा धड़ल्ले से करते हुये परिवहन निगम की आंखों में‌ निरन्तर धूल झोंकता चला आ रहा था। यही नहीं उक्त जमीनों के व्यापारी द्वारा आयकर चोरी, मंहगी कीमत पर खरीदी बेची जा रही जमीन की कम कीमत दिखाकर स्टैम्प ड्यूटी की चोरी से राजस्व को चूना एवं प्रापर्टीगेन टैक्स की चोरी के साथ-साथ परिवहन निगम से बिना काम के वेतन लिए जा रहा था।
ज्ञात हो कि इस कारपेंटर के इस गोरखधंधे का खुलासा हमारे द्वारा तीन साल पहले समाचार प्रकाशित कर किया गया था। उक्त समाचार पर संज्ञान तो निगम के अधिकारियों ने लिया था परन्तु उच्च अधिकारियों व टीएसआर सरकार के आला अफसरों और गुर्गो से इस कारपेंटर से गहरे व्यवसायिक सम्बन्धों के चलते गम्भीर अपराध प्रमाणित होने के उपरान्त दिखावटी मामूली सजा‌ देकर दो वर्ष की वार्षिक वेतन वृद्धि एवं तीन दिवस का वेतन की  कटौती कर, दी गयी थी। जबकि उसी समय इसके इन गम्भीर अपराधों और निगम के साथ धोखाधड़ी की के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए थी। उक्त कारपेंटर बिजेंद्र पाल हमारी ही खबर पर रेरा नियमों के उल्लंघन पर आठ लाख के जुर्माने की रकम भी विगत 17अगस्त को चुकानी पड़ी थी जिसे यह परिवहन निगम से छिपा रहा था।
देखिए वर्खास्तगी आदेश…
सूत्रो की अगर मानें तो तत्कालीन मंडलीय प्रबंधक की इस कारपेंटर व तथाकथित भूमाफिया पर अनुकम्पा की बजह टीएसआर सरकार के खास गुर्गे पंवार व आला अफसर मेहरबान सिंह व सुनीता सिंह का दबाव दबी जुबान से बताया जा रहा है।  क्या धामी सरकार इन पर कोई कड़ा रुख दिखाते हुए कोई एक्शन लेगी?
ज्ञात हो कि उक्त कारपेंटर बिजेंद्र पाल सिंह के द्वारा फिर पुनः वहीं अपराध व धोखाधड़ी की शिकायत इमेज इंडिया फाउंडेशन के राम प्रसाद लखेड़ा के द्वारा 27 जुलाई 2022 को एमडी, उत्तराखंड परिवहन निगम से विवरण व सबूतों के साथ की गती थी जिस पर संज्ञान लेते हुए मंडलीय प्रबंधक (तकनीकी) जे. के.शर्मा ने 1अगस्त को निलम्बित करते हुते 20 सूत्री आरोप पत्र देकर इसके तैनाती स्थल रिषीकेश से सम्बद्ध कर दिया था। शिकायतकर्ता लखेड़ा की शिकायत जांच व परीक्षण के उपरान्त सही पाई गयी। परिणाम स्वरूप उक्त बिजेंद्र पाल को सेवानिवृत्त होने से लगभग चालीस दिन पूर्व 22 नवम्बर को ही निगम की सेवाओं से पृथक कर दिया गया तथा अगस्त से नवम्बर तक के निलम्बित काल का वेतन जब्त कर लिया गया।
उल्लेखनीय तो यहां यह है कि परिवहन निगम के अधिकारियों ने इस बार फिर इस दोबारा दोषी पाये गये कारपेंटर पर सहानुभूति दिखाई और इसके विरुद्ध आपराधिक अपराध और छल फरेब करने व निगम में रहते हुये अवैध रूप से जमीनों की खरीद फरोख्त का व्यवसाय करके टैक्स आदि चोरी किए जाने की कार्यवाही नहीं की? बताया जा रहा है इस बार भी मंडलीय प्रबन्धक खासे दबाव में थे और विवशता के चलते ही कड़ी दण्डात्मक कार्यवाही नहीं हो सकी।
मजेदार बात तो यह है कि उक्त तथाकथित कारपेंटर भूमाफिया पर कुल्हान मानसिंह की ज्ञान सिंह फतेह सिंह से अनुबंधित जमीन पर अवैध प्लाटिंग के साथ साथ भारी खनन व वृक्षों का कटान किया गया था जिस पर वन विभाग से सांठगांठ कर ली गती किन्तु कटान आज भी स्पष्ट है। इसी प्रकार शासन में बैठे खनन विभाग के एक आला अधिकारी से मिलकर लाखों रुपये का जुर्माना भी अनुचित रूप से माफ कराया जा चुका है। यही नहीं उक्त महाशय के कुनवे की सम्पत्ति यों व इस जमीनों के कारोबार की गहनता से जांच कराई जाए तो करोड़ों की अघोषित सम्पत्ति का मालिक निकलेगा तथा वेनामी सम्पत्तियां भी मिल सकती हैं?
क्या सीएम धामी परिवहन निगम के पूरे दुष्कृत्य पर संज्ञान लेते हुए अपराधियों और धोखेबाजों से रिश्ते रखने वालों पर कोई कार्यवाही करेंगे तथा साथ ही उन आला अधिकारियों पर जिनकी अनुकम्पा से राजस्व को लाखों का चूना लगा पर भी कार्यवाही करते हुते पुनः फाइलें खुलेंगी या फिर यूं ही…?

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