25 लाख का लेनदेन तो निपट गया परंतु डबल इंजन सरकार को कटघरे में खड़ा कर गया!


कौन सच्चा, कौन झूठा? किस -किस की खुली पोल!!

क्या वास्तव में विंडलास गलत कामों का आदी हैं?

क्या बलजीत सोनी जैसे तथाकथित दलालों के माध्यम से चल रहा है इन सफेदपोश नेताओं का गोरखधंधा?

किसके इशारों पर, किस चौधरी की चौधराहट में हुई इस मोटी रकम की वापसी?

पीएमओ को लिखी चिठ्ठी पर अब क्या होगी कार्यवाही?

पढ़िए एक पड़ताल जिसमें उभरे दर्जनों सवाल!

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। यह कहावत कि “आसमां में छेद नहीं होता” आज उस समय धाराशाई होती नजर आई जब तथाकथित भूमाफिया व प्रमुख उद्योगपति तथा बिल्डर्स विंडलास अपनी ही पीएमओ को लिखी गयी एक चिठ्ठी में खुद ही फंस गया। सुधीर विंडलास की चिठ्ठी और भाजपा नेता बलजीत सोनी की व्हाट्स अप चैट से फिलहाल यह तो साबित हो ही रहा है कि हो न हो कहीं कुछ तो गड़बड़ है और दाल में कुछ काला भी है। तभी तो किसी न किसी गलत काम को सही कराने अथवा रफादफा कराने की एवज में 25 लाख की भारी भरकम रकम का लेनदेन हुआ। ऐसे ही किसी काम के बदले किय गये लेनदेन के सम्बंध में गत दिवस वायरल हो रहे समाचार पर हमारे द्वारा जनहित में की गयी पड़ताल में जो तथ्य सामने आये हैं उन्हें देख कर लगता है कि भ्रष्टाचार ने पूरी की पूरी प्रणाली को ही जकड़ रखा है!

प्रस्तुत हैं विंडलास द्वारा पीएमओ को लिखी गयी चिठ्ठी और उस पर पीएमओ का संज्ञान…..

सूत्रों की अगर यहां माने तो उक्त लेनदेन किसी प्रख्यात, दमदार और भारी भरकम राजनैतिक रसूख वाले किसी चौधरी की चौधराहट के हस्तक्षेप से विगत दो दिन पूर्व ही उक्त मामला 25लाख की वापसी के साथ निपट गया। यही नहीं दोनों ने ही राहत की सांस भी ली परन्तु इन दोनों को यह नहीं पता कि “बुढ़िया मरी सो मरी लेकिन….” वाली कहावत के अनुसार अनेकों प्रश्न और सवालिया निशानों की माला से कितने गहरे दाग इस डबल इंजन वाली केन्द्र व प्रदेश की धामी सरकार पर लग ही नहीं रहे बल्कि उन्हें अब सार्वजनिक मंचों पर सफाई देने के लिए कटघरे में खड़ा भी कर सकते हैं! सुधीर विंडलास द्वारा प्रधानमंत्री को दि 17 जुलाई 2022 को लिखा गया पत्र ही अपने आप में उत्तराखंड शासन के आईएएस/आइपीएस और पीसीएस सहित भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे केन्द्र में रक्षा राज्य मंत्री व उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री धामी को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है यही नहीं क्या पत्र में राजधानी दून के नामीग्रामी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल सिनर्जी के मालिक कमल कान्त गर्ग, चर्चित प्रापर्टी डीलर कीर्ती अग्रवाल सहित होटल प्रेसीडेंट के मालिक राकेश चुग व कावेरी ज्वेलर्स और दून पैरा मेडिकल कालेज के पार्टनर डा. संजय चौधरी को भी लपेटा गया है।

सारी दास्तां बयां करती भाजपा नेता बलजीत सोनी व विंडलास के मध्य वायरल हुये व्हाट्सअप चैट के कुछ स्क्रीन शाट्स….

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा उक्त पत्र को गम्भीरता से लेते हुए 28-7-2022 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को कार्यवाही करने को भी निर्देशित किये गये हैं।

पीएमओ को मजाक समझने वाले और अपने निजी स्वार्थ के लिए उल्टे पुल्टे कामों की गुणा भाग करने वाले बिंडलास और राजनैतिक खेमों में घुसपैठ रखने वाले तथाकथित भाजपा नेता बलजीत सोनी की रसूखों की धमक व मासूमियत की जो भी खिचड़ी 25 लाख की रकम को लेकर पकी हो और विगत दो दिन पूर्व काफी जिद्दोजहद के बाद एक चौधरी साहब की चौधराहट के तले रकम के लेनदेन का मामला भी सुलट गया हो परन्तु उक्त प्रकरण से जो अब सवालिया निशान मुख्यमंत्री धामी और केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट सहित डबल इंजन की सरकार पर लग रहा है उनका निराकरण कब और कैसे होगा ? इस यक्षप्रश्न का उत्तर क्या इन दोनों मंचों से जन सामान्य के मध्य रखा जायेगा? क्या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और केन्द्र सरकार में बैठे रक्षा राज्य मंत्री सहित शासन में लाइजनिंग कर रहे ऐसे बिचौलियों पर कोई लगाम लगायेगी या फिर किसी नये चेहरों और तरीकों से यह लेनदेन का गोरखधंधा चलता रहेगा?

ज्ञात हो कि ये वही विंडलास है जिनके ऊपर जौहड़ी गांव में राजस्व अभिलेखों में सांठगांठ करके “0” का “1” बनाकर लगभग दो हैक्टेयर जमीन का खेल खेला जा चुका है। उक्त प्रकरण का भी भंडाफोड़ हमारे द्वारा ही किया गया था। इस प्रकरण में एक कानूनगो सहित तहसील सदर की कार्यप्रणाली भी संदिग्ध पायी गयी थी और एसआईटी द्वारा एक कानूनगो वह कुछ अन्य लोगों की गिरफ्तारी करके जेल की हवा खिलाई गयी थी। परंतु कुछ शातिर अभियुक्त न्यायिक प्रक्रिया के पेंच के कारण अभी फिलहाल खुली हवा में सांस ले रहे हैं।

हांलांकि इस माफिया के हाथ इतने लम्बे है कि इसी के कारण एक फौजी कर्नल को आवंटित जमीन लचर कानून व्यवस्था व अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के कारण खटाई में पड़ी हुई है। बेचारा‌ फौजी दर-दर भटकते हुये फौज में रहकर देश की सेवा में पैर गंवाने के उपरान्त सरकार द्वारा आवंटित जमीन को पाने के लिए वैशाखी के सहारे लड़ाई लड रहा है। यही नहीं उक्त भूमाफिया के विरुद्ध संजय चौधरी की पैतृक सम्पत्ति तथा जंगलात की जमीन को भी हड़पे जाने के गम्भीर आरोप है जिनमें सीबीआई और विजीलेंस जांच भी चल प्रक्रियाधीन है।

ज्ञात हो कि पीएमओ को भेजें गये उक्त शिकायती पत्र में खनन घोटाले को लेकर भी शिकायत की गयी है।
एक तरफ विंडलास से जब‌ वायर‌ल उक्त समाचार के बारे में जानकारी चाही गयी तो उन्होने बताया कि उनकी 25 लाख की रकम उन्हें बलजीत सोनी से वापस मिल गयी है। दूसरी ओर‌ बलजीत सोनी का कहना है कि उनका कोई लेनदेन ही नहीं था तो वापसी का सवाल ही नहीं उठता। सोनी के अनुसार उन्हें अकारण ही इस मामले‌ में घसीटा जा रहा है और माननीय अजय भट्ट व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी‌ की छवि मेरे साथ -साथ खराब करने का घृणित प्रयास किया जा रहा है। खैर मामला कुछ भी हो और सच्चाई कुछ भी हो, कहीं न कहीं दोनों की ही दाल काली अवश्य है! हां यह भी है कि पूरे प्रकरण‌ से डबल इंजन की सरकार पर अवश्य सवालिया निशान तो लग ही गया है।

देखना यहां गौर तलब होगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय से आये इस पत्र पर मुख्य सचिव स्तर पर‌ क्या कार्यवाही होती है? क्या इस शिकायती पत्र की तह में जा कर सच्चाई सामने आयेगी या फिर यूं ही लीपापोती कर मामूली लेनदेन का ही समझ इतिश्री कर दी जायेगी?

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