ऊर्जा ब्रेकिंग : इंजीनियर नीरज टम्टा बने पिटकुल के प्रभारी निदेशक (परियोजना)

…अब आरवीएनएल के प्रोजेक्ट्स से सम्बंधित वित्तीय शक्तियां एमडी पिटकुल स्वयं देखेगे

देहरादून। सचिव ऊर्जा आईएएस आर मीनाक्षी सुंदरम के द्वारा आज काफी समय से रिक्त चल रहे पिटकुल के निदेशक (परियोजना) के पद पर अतिरिक्त कार्यभार  यूपीसीएल के मुख्य अभियंता (वितरण) ऊधम सिंह नगर को सौंपे जाने का आदेश जारी किया है। उक्त आदेश नवीन नियुक्ति अथवा अग्रिम आदेशों तक प्रभावी रहेगा। उक्त कार्यालय आदेश शासन की ओर राज्यपाल की स्वीकृति के साथ जारी किया गया है।

इसी प्रकार एमडी पिटकुल पीसी ध्यानी के द्वारा आज एक महत्वपूर्ण कार्यालय ज्ञाप में रिषीकेश कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट्स से सम्बंधित महत्वपूर्ण मामलों सहित वित्तीय शक्तियां अपने अधिकार में ले ली गयीं है जो अभी तक निदेशक (वित्त) के पास हुआ करतीं थीं।

ज्ञात हो कि उक्त निदेशक परियोजना सहित निदेशक परिचालन, निदेशक (वित्त) एवं प्रबंध निदेशक पिटकुल के पद काफी समय से नवीन नियुक्ति के इंतजार में चले आ रहे हैं तथा गत वर्ष अक्टूबर माह में पिटकुल व यूपीसीएल सहित यूजेवीएनएल के रिक्त पदों पर वमुश्किल तमाम अनमने मन से प्रक्रिया तो शुरू की गयी थी परंतु वह भी पूरी तरह परबान नहीं चढ़ सकी थी अथवा ये कहा जाये कि उसमें न जाने कौन कौन से ग्रहण सक्रिय होकर लग गये थे तब से केवल यूपीसीएल के एमडी और एक निदेशक के रूप में क्रमशः अनिल कुमार व अजय कुमार की तो नवीन नियुक्ति हुई त्पश्चात कोई कार्यवाही शेष पदों पर नहीं हुई और न ही धामी के तथाकथित तेज तर्रार आला अफसरों‌ वाले इस शासन ने इस दिशा में कोई सुध ली। यहां तक कि यदि पिछले वर्ष हुते साक्षात्कारों में कोई अभ्यर्थी सुयोग्य और उचित नहीं पाये गये तो परिणाम आज तक पारदर्शिता को दृष्टिगत रखते हुए घोषित व सार्वजनिक क्यों नहीं किये गये? और क्यों धामी सरकार व शासन पर प्रश्नचिन्ह लगवाया जा रहा है।

मजे की बात तो यहां यह भी है कि अभी तक इन ऊर्जा निगमों में रिक्त चल रहे पदों की नियुक्ति प्रक्रिया भी नहीं शुरू की गयी। क्या धामी सरकार ऐसे ही प्रभारियों के रूप में ही व्यवस्था काम चलाऊ के रूप में चलाता रहेगा? या फिर जबाबदेही के साथ नियुक्तियां भी करेगा?उल्लेखनीय तो यह भी होगा कि अब पिटकुल के निदेशक (परिचालन) के रिक्त चल रहे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी किसे और कब सौंपी जाती है? तथा यूपीसीएल के एमडी पर शासन की तिरछी नजर कब तक अपनी कृपा बनाते रखते हुते किस भूमिका में रहती है?

जिक्र करना यहां गलत नहीं होगा कि धामी सरकार एडीबी के लगभग सोलह सत्रह सौ करोड़ की यूपीसीएल व पिटकुल में आने वाली महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के भी किसी भी पहलू को नजरंदाज नहीं करना चाहेगी?

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