संतों की विशिष्ट परंपरा से आते हैं ब्रह्मलीन सतुआ बाबा : योगी

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को ब्रह्मलीन श्री सतुआ बाबा की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और षष्ठम सतुआ बाबा को स्मरण करते हुए उन्हें लोक कल्याणकारी और धार्मिक जागरण कार्यक्रमों का ध्वजवाहक बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों का पूरा जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित होता है। मानवता, जीवमात्र और चराचर जगत के कल्याण के लिए समर्पित संतों की यही परंपरा उन्हें शेष समाज से अलग करती है। सतुआ बाबा की परंपरा संत समाज की विशिष्ट परंपरा है। षष्ठम पूज्य स्वामी यमुनाचार्य महाराज सतुआ बाबा का प्रादुर्भाव काशी में हुआ और उन्होंने लोक कल्याण के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया।

उन्होने कहा कि किसी भी व्यक्तित्व की पहचान उसके कृतित्व के आधार पर बनती है। काशी की धरती बहुत विशिष्ट है। इस भूमि को बाबा विश्वनाथ की कृपा, काल भैरव का संरक्षण और मां गंगा का आशीर्वाद मिला है। जो यहां जिस भाव से आया उसे उस भाव की प्राप्ति हुई। काशी में दिये गये भगवान बुद्ध के ज्ञान और उपदेश को पूरी दुनिया में अमरता प्राप्त हुई। जो भी काशी आया उसे एक नई उंचाई मिली। ऐसे ही पूज्य संतों की विशिष्ट परंपरा में सतुआ बाबा भी थे।

योगी ने सप्तम सतुआ बाबा महंत संतोष दास की इस बात के लिए सराहना की कि वे अपने गुरुदेव षष्ठम सतुआ बाबा के गौ सेवा, संस्कृति और लोक कल्याणकारी कार्यों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। श्रद्धांजलि सभा में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र, विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, सौरभ श्रीवास्तव और डॉ अवधेश सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में संतजन एवं काशी विद्वत परिषद् से जुड़े पदाधिकारी मौजूद रहे।

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