अ+रोग्यधाम : जहां बिना ईलाज ही होती रहती है वसूली- रैफर, डिस्चार्ज व परलोक सिधार चुके मरीज से?

स्वयं अनेकों बीमारियों व खामियों से त्रस्त : शासन मस्त, अधिकारी पस्त!
क्योंकि सीएम धामी के इर्द गिर्द रहने वाले एक भाजपाई नेता की है इस लूट में हिस्सेदारी?
(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता की खास पड़ताल “धरती के भगवान या शैतान” में हुआ खुलासा)

देहरादून। कोविड -19 महामारी में जहां सरकार ने फ्रंटलाईन वर्कर और चिकित्सा से जुड़े इन अस्पतालों को कोरोना वारियर्स की उपाधि से नवाजा था और इनके प्रति भयावह बीमारी में निस्वार्थ जनसेवा के लिए  कृतज्ञता प्रकट की थी वहीं कुछ स्वार्थी अस्पताल इस अवसर का घृणित लाभ उठाने से नहीं चूक रहे थे। उन्हीं लूट खसोट और अनियमितता की शिकायतों वाले अस्पतालों में राजधानी देहरादून के इस आरोग्यधाम का भी नाम प्रमुखता से देखा व पाया गया था इसके विरुद्ध तो आये दिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहां शिकायतें प्राप्त होती ही रहती हैं।

उत्तराखंड शासन के क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट की खामियों और कमजोरी व लचीलेपन का लाभ उठा इन चिकित्सामाफियाओं ने जमकर धज्जियां उड़ाईं और 8000, 10000 एवं 12000 की जगह एक – एक लाख रुपये प्रतिदिन की ईलाज के नाम पर लूट मचाई तथा हास्पिटैलिटी एवं टेस्ट व दवाईयों के नाम पर अतिरिक्त वसूली भी की जो कि सरकार के द्वारा निर्धारित इन तीनों श्रेणी के अस्पतालों पर प्रभावी थीं और अतिरिक्त चार्ज के रूप में मरीज से नहीं वसूली जा सकती थीं। मैक्स जैसे स्तर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भी 12000/- प्रतिदिन के सभी चार्जेज सहित इलाज की श्रेणी में आते थे। बजाए इसके कि कड़ाई व सख्ती से लूटखसोट मचाने वाले इन धरती के शैतानों पर कोई ठोस कार्यवाही होती और सबक सिखाया जाता न करके वीवीआईपी कल्चर और आब्लीगेशन से दबे सत्ताधीश और आला अफसर भी इनके आगे नतमस्तक देखें गये!

इसी का परिणाम है कि जिन्हें लोग “धरती का भगवान” समझ अपना उपचार इनसे कराते हैं और इनकी दुहाई देते नहीं थकते वहीं आरोग्यधाम जैसे कुछ अस्पताल पैसे के नशे में चूर होकर सत्ता की धमक दिखाने वाले छुटभैय्ए नेताओं के संरक्षण में जो दुष्कृत्य कर रहे हैं वे सामाजिक एवं कानूनी रूप से कहीं भी क्षम्य नहीं हो सकते तो फिर राजधानी का जिला प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग इन चिकित्सा माफियाओं पर उदार व मेहरबान क्यों? ऐसे अस्पतालों को बंद करके उनके संचालकों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही में देरी क्यों? ये वे अस्पताल हैं जो स्वयं में इतनी खामियों और बीमारियों से घिरे हुये हैं कि सबसे पहले तो एमडीडीए, पुलिस, फायर और चिकित्सा विभाग व मेडिकल कौंसिल के द्वारा इनका उपचार किया जाना चाहिए! इसी आरोग्यधाम का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसे देख कर आप इसमें अपने परिजन का ईलाज कराने की जुर्रत तभी कर सकेंगे जब आप कोई दुश्मनी उस बीमार परिजन से पूरी करना चाहते हों साथ ही उसकी अकूत सम्पत्ति लुटवाना चाहते हों!

अब तक की तहकीकात और पीड़ित परिजनों की हृदयविदारक दास्तान के अनुसार दूनवासी इस आहूजा परिवार ने जिलाधिकारी को दिए गए एक पत्र जिसे शिकायती पत्र न कहकर न्याय की गुहार निवेदन यदि कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी! उक्त पत्र में सीनियर सिटीजन वयोवृद्धा श्रीमती सुदेश आहूजा ने बताया कि उनकी पुत्रवधू शिवानी आहूजा (42 वर्षीय) की मृत्यु एमकेपी रोड स्थित, आरोग्यधाम अस्पताल की नेग्लीजेंसी व लापरवाही के कारण ही हुई और उक्त अस्पताल के द्वारा उनसे भारी भरकम रकम ऐंठने के उपरान्त भी नाजायज रूप से और रकम की डिमांड करके प्रताणित वह ब्लैकमेल किया जा रहा है तथा पुलिस एवं नेतागीरी का दबाव बनाया जा रहा है।

श्रीमती आहूजा ने बताया कि उन्होंने अपनी पुत्रवधू शिवानी को अस्वस्थता महसूस होने पर उपचार हेतु जिस समय आरोग्यधाम में विगत दिनांक 11मई को भर्ती कराया था तब मरीज की हालत मामूली रूप से खराब थी परन्तु अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा उनका वास्तविक इलाज न करके, रकम ऐंठने और हमारी मजबूरी का लाभ उठाते हुते सही उपचार न करके इलाज के नाम पर अनर्गल दबाईयों और परीक्षणों के नाम पर भारी चार्जेज वसूले गये और जानबूझकर लापरवाही बरती गयी जिससे हमारे मरीज की हालत और बिगड़ती गयी तथा उसकी अकाल मृत्यु हुई।

उन्होंने यह भी बताया कि जब उन्होंने अपनी पुत्रवधू शिवानी को आरोग्यधाम में भर्ती कराया था तब उसका हेमोग्लोबिन 7 आर एच से अधिक था और इनके निरंतर कथित उपचार करते रहने और 6 यूनिट ब्लड चढ़ाये जाने के उपरान्त व आईसीयू में चार पांच दिन तक हेल्डअप रखने के बाबजूद उसकी हालत बिगडती गयी तथा हेमोग्लोबिन खतरे की सीमा में 4 आर एच पर आ गया।

रोते बिलखते परिजनों ने यह भी बताया कि मरीज की हालत बिगडने पर आरोग्यधाम के डाक्टर कंडवाल ने उन पर दबाव बनाया और मौत से जूझ रही शिवानी को नाजुक हालत में ही दिनांक 15 मई रविवार को हायर सेन्टर मेदांता मेडिसिटी अस्पताल, गुरुग्राम रैफर कर डिस्चार्ज करके एम्बूलेंस बुलाकर अपने ही एक डा. अमित के साथ भेज दिया। एम्बूलेंस व सहायक डाक्टर की फीस 25000/- रुपये भी पहले ही नगद ले लिए। यही नहीं अस्पताल के डा. विपुल कंडवाल द्वारा कुल एक लाख पिच्छत्तर हजार रुपये नगद भी तब तक के बने बिल के लिये जाने के उपरान्त ही मरीज शिवानी को दिल्ली (गुरुग्राम) भेजा गया और रविवार होने की बात करके भुगतान की रसीद भी नहीं दी गयी और कहा गया कि फिर आकर ले लेना। मरता क्या न करता बेचारा दुखी परिवार डाक्टर का विश्वास करके (रसीद की परवाह किये वगैर)  प्राथमिकता अपने मरीज को देते हुए मेंदांता अस्पताल ले गया और 15/16 मई की रात को ही वहां भर्ती करा दिया। दुखद यह रहा कि मेंदांता अस्पताल में ही शिवानी की 16 मई की सुबह 5:22 बजे मृत्यु हो गई।

यहां अगर शिवानी को खो चुके शोकाकुल परिजनों की आगे की दास्तान पर गौर डालें तो उक्त आरोग्यधाम अस्पताल में बिना मरीज और बिना ईलाज के ही परलोक सिधार चुके मरीज का इलाज चलता रहा और भारी भरकम बिल बनना जारी रहा। उक्त अस्पताल की बदनियती का नमूना देखिए कि अदा की जा चुकी रकम की व अवैध बिल जारी रखते हुए भारी भरकम रकम की वसूली पुलिस व छुटभैय्ए भाजपाई नेता के माध्यम से धमकी दिला कर किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। यही नहीं पुलिस में झूठी तथा वेबुनियाद शिकायत कर रकम वसूलने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है तथा उत्पीड़न व शोषण जारी है। वहीं दूसरी ओर उक्त छुटभैय्या नेता नागरथ समझौता कराने और अवैध रकम से कुछ छूट कराने के लिए वरना देख लेने की धमकी का सिलसिला जारी किये हुये है।

श्रीमती आहूजा का कहना है कि यदि आरोग्यधाम अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा मेरी पुत्रवधू शिवानी का ईलाज ठीक से किया गया होता तो आज उसके छोटे छोटे मासूम बच्चे बिना मां के न होते!

पीड़िता आहूजा के अनुसार उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत जिलाधिकारी सोनिका मैडम से 10 अक्टूबर को की थी परन्तु उक्त अस्पताल के राजनैतिक रसूखों के चलते इस बीमार अस्पताल के विरुद्ध कोई संतोषजनक कार्यवाही अभी तक प्रदर्शित नहीं हुई और न ही ग़लत उपचार करने की कोई जांच चिकित्सा विभाग द्वारा अभी तक अमल में लाई गई?

उल्लेखनीय तो यहां यह है कि जिस अस्पताल में हर स्तर पर खामियां ही खामियां और कमियां ही कमियां हों व मानकों का जमकर उल्लंघन किया जा रहा हो तथा उसका खामियाजा निर्दोष जनता भुगत रही हो पर कोई कार्यवाही न होना स्वयं में ही बताता है कि धामी सरकार में उसकी कितनी मजबूत पकड़ है? या फिर कार्यवाही करने वाले ही अधिकारी किसी स्वार्थवश उसके प्रति उदार हैं और भोलीभाली जनता व मरीजों की जान से यूं ही खिलवाड़ देखना पसंद करते हैं!

देखिए वे दस्तावेज जो हकीकत स्वयं ही दर्शा रहे हैं…

आरोग्यधाम द्वारा 15 मई का डिस्चार्ज और तत्पश्चात बिना मरीज के चलता रहा ईलाज और उसका अवैध बिल —

अब देखिए मेंदांता अस्पताल द्वारा जारी शिवानी का डेथ सार्टीफिकेट  और डीएम का आदेश…

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