पिटकुल में अब एक और चतुर्कोणीय फर्जीवाड़ा :  हाई कोर्ट की रोक के‌ बाबजूद डाटा आपरेटर की बैकडोर से भर्ती हुई उजागर!

अधिशासी अभियंता (ओ एण्ड एम) के द्वारा प्रस्तुत मासिक भुगतान के बिल पर बीओ-पीआरडी के फर्जी हस्ताक्षर व जारी मोहर का भी खुलासा?

पिटकुल मुख्यालय के एसएलडीसी से भी धोखाधड़ी, लेटर किसी का और प्रयोग किसी और के नाम पर?

कूटरचित दस्तावेज व जारी हस्ताक्षर पर एफआईआर की बजाए पीआरडी की चुप्पी क्यों?

पीआरडी व पिटकुल की इन घोटालों में कहीं सांठगांठ तो नहीं? 

सीडीओ व एमडी पिटकुल का होगा कोई एक्शन?

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। उत्तराखण्ड में विगत कुछ वर्षों से ऐसा दिखाई पड़ रहा है कि इस देवभूमि में देवता अपना वास छोड़ते जा रहे हैं उनके स्थान पर भ्रष्टाचारी व घोटालेबाज दानव पांव पसारते जा रहे हैं। यही कारण है कि वर्तमान में जो भी पत्थर उठा कर देवताओं के दर्शन की अभिलाषा की जाती है वहीं उसके नीचे एक भ्रष्टाचारी दानव नजर आता है। एक ओर जहां सीएम धामी की सरकार उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC), दरोगा भर्ती प्रकरण एवं विधानसभा का चर्चित भर्ती प्रकरण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर जूझ रही है और बिगड़ी छवि को बनाए रखने में जिस तरह के एक्शन मोड़ में आकर छवि निखारना चाहती है उसे ये भ्रष्टाचारी दानव  निष्काम व निष्फल करते दिखाई पड़ रहे है।

ऐसी ही एक और नायाब भर्ती का फर्जीवाड़ा प्रकाश में आया है जो सीधे तौर पर सीएम धामी के आधीन ऊर्जा विभाग के पिटकुल का है। इस मामले में बैंक डोर से भर्ती के साथ साथ पिटकुल से भी धोखाधड़ी और पीआरडी के अधिकारी की फर्जी मोहर व हस्ताक्षरों एवं कूटरचित दस्तावेज बनाये जाना का है।

देखिए फर्जीवाड़े को उजागर करता बीओ पीआरडी का पत्र….

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस फर्जीवाड़े में जहां एक ओर बैकडोर से पीआरडी की आड़ में किसी महिला डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर बैकडोर से नियुक्ति विगत एक दो माह पूर्व कर ली गयी हो का ही‌नहीं है। बल्कि इसमें जिस तरह के शातिराना और दादागीरी भरे दबंगई के अंदाज का प्रयोग किया गया है वह देखने योग्य है!  ज्ञात हो कि उक्त फर्जीवाड़े का मामला चतुर्कोणीय है तथा अपने आप में एक घोर अपराधिक दुष्कृत्य का मामला तो है ही साथ ही माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के दिनांक 17-3-2021 के एक आदेश का खुला उल्लंघन भी है।

हाईकोर्ट के रोक सम्बंधी आदेश…..

उक्त प्रकरण ऊर्जा विभाग के पिटकुल की परीक्षण एवं अनुखण्ड ईकाई, यमुना कॉलोनी, देहरादून का तब उजागर हुआ जब इसके अधिशासी अभियंता को प्रेषित एक पत्र पत्रंक सं- 165/यु-क-/प्रारद-2022-23 दिनांकित 8-9-2022 एक तहकीकात में सामने आया। उक्त पत्र में जिस कु.अंजली वर्मा (डाटा एंट्री ऑपरेटर) के विगत अगस्त माह का मस्ट्ररोल बिल को चेक करने हेतु क्षेत्रीय युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल अधिकारी, रायपुर देहरादून के पत्रंक सं- 157/प्रारद-भुगतान/2022-23 दिनांकित 30-9-2022 से स्वीकृत दर्शाकर भुगतान हेतु दिनांक 1-9-2022 को भुगतान हेतु दर्शाया गया वह कुछ अंजली वर्मा से सम्बंधित था ही नहीं बल्कि उक्त पत्र संख्या 157 तो पिटकुल के एसएलडीसी में नियुक्त किसी अन्य पीआरडी डाटा एंट्री आपरेटर ब्रिजेन्द्र सिंह रावत का है ना कि कु.अंजली वर्मा का ! महत्वपूर्ण तथ्य यहां यह भी है कि उक्त प्रकरण में अधिशाषी अभियंता (ओ एण्ड एम) द्वारा जिह बिल को भुगतान हेतु अनुमोदित कर 2 सितम्बर को एसडीओ को भेजा गया, वह अपने आप में ही प्रथम दृष्ट्या संदिग्ध है।

संदिग्ध उपस्थिति मस्ट्रोल बिल….

पड़ताल में यह भी तथ्य उजागर हुआ कि जो मासिक भुगतान का बिल वेरीफिकेशन में बीओ-पीआरडी के समक्ष आया उसमें हैरत अंगेज कारनामें छिपे हैं और उक्त बीओ पीआरडी द्वारा अधिशासी अभियंता को लिखे अपने पत्रंक सं-165/यु-क-/प्रारद-2022-23 दिनांकित 8-9-2022 में यह लिखा जाना कि जिस कु. अंजली वर्मा का मस्टरोल चेक करने हेतु पीआरडी के माध्यम से प्राप्त हुआ है उसमें उल्लिखित पत्रंक 157 दिनांक 1-9-2022 अधिशासी अभियंता एसएलडीसी भवन माजरा में तैनात पीआडी स्वयंसेवक का है, उक्त कु- वर्मा का नहीं। उक्त पत्र में यह भी खुलासा किया गया है कि अद्योहस्ताक्षरी बीओ पीआरडी के बिल में जो हस्ताक्षर है वह उनके नहीं है। मजेदार बात यह है कि उक्त बिल में जहां हस्ताक्षरों के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है वहीं सरकारी कार्यालय की फर्जी रबड़ स्टैम्प प्रयोग करके कूटरचित दस्तावेज बनाये जाने का भी अपराधिक मामला दिखाई पड़ता है। बताते चलें कि इस फर्जीवाड़े में उक्त महिला कर्मी शायद अनभिज्ञ ही होगी उसे नहीं पता होगा कि उसकी आड़ ली जा रही है जो उसी के लिए श्राप बन सकती है परन्तु यह तो समय ही बतायेगा कि इसका खामियाजा भुगतने में शातिर भ्रष्टाचारी आते हैं या फिर निर्दोष!

उल्लेखनीय है कि पिटकुल के उक्त अधिशासी अभियंता द्वारा प्रस्तुत कु- वर्मा का अगस्त 2022 का उपस्थिति का जो बिल पूरे महीने अर्थात् 31 दिन का बनाया गया है उसमें राजकीय घोषित अवकाश के दिवसों पर भी उपस्थिति दर्शायी गयी है जो अपने आप में ही एक आजीब संदिग्ध कारगुज़ारी है।

इस फर्जीवाड़े की तहकीकात में ज्ञात हुआ है कि जिस पत्रंक सं- 157 दिनांकित 1-9-2022 का उल्लेख किया गया है वह किसी पीआरडी स्वयं सेवक विजेन्द्र सिंह रावत पुत्र श्री राजेन्द्र सिंह रावत का है जो एसएलडीसी पिटकुल मुख्यालय में तैनात है न कि कु. अंजली वर्मा डीईओ (ओएंडएम डिवीजन) यमुना कालोनी देहरादून का है।

एसएलडीसी का वह असल पत्र पीआरडी का स्वीकृत मस्ट्रोल बिल..

ज्ञात हो कि डीओ पीआरडी देहरादून चमन सिंह ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा रिट पिटिशन सं 446/2016-(एस/एस) महेश चंद जोशी बनाम उत्तराखण्ड सरकार में न्यायमूर्ति श्री रविन्द्र मैठानी द्वारा दिनांक 17-3-2021 को नियुक्तियों पर रोक लगा दी गयी है जो अभी भी प्रभावी है ऐसी स्थिति में उनके अथवा उनके अधीनस्थ द्वारा किसी भी स्वयं सेवक की नियुक्ति की संस्तुति किसी भी विभाग या निगम को नहीं की गयी है। परन्तु यहां देखने लायक तथ्य यह है कि जब उक्त फर्जीवाड़े का मामला स्वयं बीओ -पीआरडी श्री मनोज कापड़ी के समक्ष आया व उनके फर्जी हस्ताक्षर एवं कार्यालय की नकली रबड़ स्टाम्प का उजागर हुआ तो उनके द्वारा विगत 15 दिनों से अब तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी? और क्यों इस फर्जीवाड़े की पुलिस एफआईआर दर्ज करायी गयी? कहीं ऐसा तो नहीं वे भी इस तरह की बहती गंगा में निरंतर हाथ धोते चले आ रहे हों? बताया तो यह भी जा रहा है इन्हीं अधिशासी अभियंता महोदय के अनेकों संगीन कारनामें यूं ही दबे पड़े हैं जिन पर आज तक कोई कार्यवाही प्रदर्शित नहीं हुई ? वहीं दूसरी ओर ये वही अधिशासी अभियंता हैं जिन्होंने रायसी लक्सर के अपने कार्यकाल में इंस्ट्रूमेंट लगाकर बिजली चोरी किये जाने का पर्दाफाश किया था!

एक ओर उच्च न्यायालय की रोक दूसरी ओर बैकडोर से यहां पिटकुल में भी भर्ती, कहीं ये पीआरडी और पिटकुल में कोई सांठगांठ तो नहीं है। तभी बीओ पीआरडी सहित पीआरडी के अधिकारी इस तरह के मामलों पर बजाए कार्यवाही के मेहरबान है। यहां इस तथ्य का भी उजागर करना आवश्यक होगा कि पीआरडी के स्वयं सेवकों के मस्ट्ररोल बिलों के पास करने का अधिकार बीओ पीआरडी के पास नहीं है। यह अधिकार वर्तमान में डीओ पीआरडी को ही है, ऐसा डीओ पीआरडी चमन सिंह चौहान के द्वारा बताया गया।

देखना यहां गौरतलब होगा कि भ्रष्टाचार के तथाकथित पर्याय बने पिटकुल एवं मुख्यमंत्री धामी अथवा उनका शासन इस गम्भीर अपराधिक प्रकरण पर कोई संज्ञान लेता है या नहीं।

क्या नव नियुक्त प्रभारी एमडी पिटकुल श्री ध्यानी उक्त अपराधिक प्रवृत्ति के चतुर्कोणीय इस प्रकरण पर अपनी प्रथम प्रेस वार्ता में कहे गये उस वक्तव्य ‘कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेन्स होगा’ पर अमल करते हुते कोई कड़ा संदेश भ्रष्टाचारियों को देते हैं या नहीं?

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