गैरकानूनी वेल बोरिंग पर राजधानी दून की डीएम, तीन दिन से एक्शन में जीरो!

जब अवैध बोरिंग का काम पूरा हो जायेगा तब जागेगा जिला प्रशासन !

न डीएम फोन उठाती और न ही उनके सिपहसालार !

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)
देहरादून। जब उत्तराखंड की राजधानी का ये हाल है तो मुख्यमंत्री धामी के अन्य जनपदों में प्रशासन का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है।
यही कारण है कि राजधानी में जंगलराज है और जिस किसी का जो मन आये वह स्वछंद होकर बिना किसी भय के गैरकानूनी दुष्कृत्यों को करने में जरा सी भी हिचकिचाहट नहीं रखता। इन भूमाफियाओं और कानून को ठेंगे पर रखने वालों को पता है कि सरकारी अधिकारियों को सोते रहने की आदत है। ये जबतक जागेंगे तब तक उनका काम पूरा हो ही जाना है। समाचार लिखे जाने तक कोई भी कार्यवाही प्रदर्शित नहीं हुई।
ऐसा ही एक नमूना जिला प्रशासन की कुम्भकर्णी नींद का है जिसमें तथाकथित रूप से तेजतर्रार कहीं जाने वाली डीएम मैडम जो एमडीडीए की उपाध्यक्ष भी हैं की नाक के नीचे राजधानी के बीचोबीच घंटाघर से मात्र सौ मीटर की दूरी पर चकराता रोड पर आरजीएम प्लाजा के सामने एक बिल्डर द्वारा बंद फाटक के अन्दर गैरकानूनी रूप से पानी बोरिंग मशीन द्वारा किए जाने का है। ये अवैध वेल बोरिंग। जार से डेढ़ हजार फुट गहरी जा रही है धड़ल्ले से कराई। इस गैरकानूनी कृत्य से  इस क्षेत्र की जनता अनेकों आशंकाओं से आशंकित है। क्योंकि जब इस क्षेत्र को पीने के पानी मुहैय्या कराने के लिए क्षेत्र की जनता व पार्षद ने जल निगम, जल संस्थान सहित शासन से ट्यूबबेल लगवाते जाने की मांग की थी तब यह कह कर शासन‌ने हाथ खड़े कर दिए थे कि ट्यूबबेल नहीं लगाया जा सकता और वमुश्किल तमाम मिनी ट्यूबबेल की अनुमति दी गती। ऐसे में प्रश्न उठता है कि वह शासन और प्रशासन अब कहां हो रहा है जब ये बेल बोरिंग बिना अनुमति नाजायज रूप से किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि उक्त गैरकानूनी रूप से अवैध बोरिंग की शिकायत विगत 14 सितम्बर को जिलाधिकारी महोदया सहित, जल संस्थान एवं एमडीडीए के सेक्टर अभियंता को की गयी थी और तत्काल कार्यवाही की अपेक्षा भी की गई थी। इस मामले में मजेदार बात तो यह रही है सभी विभाग व अधिकारी पहले तो अपना अपना पल्ला एक दूसरे का अधिकार क्षेत्र बताते हुते टाल मटोल करते नजर आते और जब “पोल खोल” द्वारा जानकारी जुटाई गयी और इस सम्बंध में सेन्ट्रल ग्राउंड वाटॅर बोर्ड के उत्तराखंड जोनल अधिकारियों से सम्पर्क किया गया तब उनके द्वारा जिलाधिकारी को इस पर तत्काल बेलबोरिंग के विरुद्ध सीलिंग वह अभियोग पंजीकृत कर कार्यवाही करने को पत्र 15 सितम्बर को लिखा गया। परन्तु ये शासन और प्रशासन में बैठे आला अफसर और जिम्मेदार अधिकारी इतने ही कर्तव्य परायण होते तो कहने ही क्या? इनकी तो आदत है कि पहले अवैध व गैरकानूनी दुष्कृत्यों को होने दो और फिर जब त्राहि त्राहि मचे या हाईकोर्ट का डंडा चले तब उछल कूद करो! ठीक यही हाल इस अवैध वेल बोरिंग के मामले में है और जब हजार डेढ़ हजार फुट गहरा बोरिंग हो जायेगा तब कहीं अगर इनके कानों पर जूं रेंग गती तो शुक्र मानिए वर्ना क्षेत्र की जनता परेशान हो तो होती रहे, इनकी बला से!
ज्ञात हो कि राजधानी दून सहित पूरे प्रदेश में इसी तरह के अवैध बेल बोरिंग लगाकर जल संकट गहराया जा रहा है जबकि इस सम्बंध में स्पष्ट शासनादेश भी हैं जिसे ये अधिकारीगण पढ़ना नहीं चाहते।
उल्लेखनीय तो यह भी है कि इस सम्बंध में डीएम महोदया सहित एमडीडीए सचिव आदि से मोबाईल फोन पर सम्पर्क करने के बार बार प्रयास किया गया किन्तु किसी ने भी फोन उठाने की जहमत नहीं उठाई। वैसे यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है जनता की कमाई से प्रयोग किये जा रहे ये मोबाईल फोन जब प्रदेश के मुखिया सीएम व उनके सिपहसालार ही उठाना पसंद नहीं करते तो डीएम और एसडीएम का तो कहना ही क्या?

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