हमारी खबर पर मुहर : वापस मिली 300 वर्ग मीटर करोड़ों की जमीन लघु सिंचाई विभाग को!

निकम्मे वह नमकहराम विभागाध्यक्ष एवं अधिकारियों की सांठगांठ व स्वार्थी नकारात्मक रवैये से भूमाफिया ने  कब्ज़ा कर किये थे बारे न्यारे !
लघु सिंचाई विभाग मुख्यालय भवन को वापस मिली करोड़ों की 300 वर्ग मीटर जमीन
राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर मुख्य अभियंता तक थे संलिप्त
अब बनेंगे इस भूमि पर विभागीय अधिकारियों के आवास
क्या उस नमक हराम विभागाध्यक्ष वह उसके गुर्गों पर होगी कार्यवाही?
सरकारी जमीन बेचने वाले भूमाफिया पर एफआईआर की बजाए प्रशासन की मेहरबानी क्यों?

एक ओर जमीन बेची, दूसरी ओर वफादार अधिकारियों को झुठलाया

राजस्व विभाग ने ही तोड़ा आकाओं को खुश करने के लिए कानून!

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। आज जोगीवाला चौकी , थाना नेहरू कालोनी पुलिस के द्वारा लघु सिंचाई विभाग के मुख्यालय भवन की एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत की लगभग 300 वर्ग‌मीटर जमीन पर वापस कब्ज़ा दिलाया गया।

ज्ञात हो कि उक्त जमीन लघु सिंचाई विभाग के ही पूर्व विभागाध्यक्ष एवं कुछ तथाकथित वफादार अधिकारियों के निकम्मेपन एवं स्वार्थी भ्रष्ट रवैये के कारण किसी भूमाफिया से सांठगांठ के चलते खुर्द बुर्द की जा चुकी थी और मुख्यालय भवन को मिली जमीन की नाक काट कर फ्रंट की जमीन को चुपचुपाते लाखों रुपये की रकम डकार लिये गये थे। इस पूरे प्रकरण को हमारे व हमारे सहयोगी ” तीसरी आंख का तहलका” द्वारा 15 मार्च 2018 को प्रमुखता से उजागर किया गया था। परंतु विभागीय एवं टीएसआर शासन के निकम्मेपन वह राजस्व विभाग के भ्रष्टतंत्र के चलते बार बार भूमाफिया के दबाव में झुठला दिया जाता रहा। वर्तमान तहसीलदार व सम्बंधित लेखपाल द्वारा की गयी प्रशंसनीय कार्यवाही।

यह भी ज्ञात हो कि नाक कटी जमीन पर बने शानदार भवन का उद्घाटन भी तब सतपाल महाराज जी द्वारा ही किया गया था, परन्तु शासन में बैठे आला अफसर और घोटालेबाज तत्कालीन एचओडी की काजू बादाम की प्लेट ने इनकी आंखों‌व सूझबूझ पर परदा डाल रखा था…!

उक्त प्रकरण और विभाग को जमीन वापस मिलने पर क्या कहते हैं विभागाध्यक्ष वी के तिवारी…..

 

ज्ञात हो कि 2008 में जिलाधिकारी द्वारा नत्थन पुर की सीलिंग की 0.3080 हैक्टेयर भूमि लघु सिंचाई विभाग को आवंटित की गती थी। उक्त जमीन पर 2011-12 में तत्कालीन मुख्य अभियंता एवं विभागाध्यक्ष के संरक्षण में भवन निर्माण के साथ ही उक्त कारनामें को अंजाम दिया गया था तथा 2012 -13 में जब भवन बन कर तैयार हुआ तो बड़ी चालाकी और चतुराई से उक्त आवंटन में मिली जमीन में से लगभग 300 वर्ग मीटर जमीन का कब्ज़ा किसी भूमाफिया को क्या चुपचाप लाखों की रकम डकार ली गती थी। इस प्रकरण में मजेदार तथ्य तो यह भी था कि जब भवन का नक्शा और लेआउट बना तो जमीन पूरी व वर्गीकृत थी किन्तु जब भवन बना तो फ्रंट की कीमती नाक कट चुकी थी। विभागाध्यक्ष के साथ साथ उन्हीं का मुंह लगा एक अधिशासी अभियन्ता जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुआ है भी इस प्रकरण में संलिप्त रहा और बड़े साहब को खुश करते हुये अपना उल्लू सीधा करता रहा।

उल्लेखनीय है कि उक्त प्रकरण का भंडाफोड़ जब हमारे द्वारा किया गया तो इन भ्रष्ट और निकम्मे वह नमकहराम अधिकारियों ने राजस्व विभाग को अपने चुंगल में ले लिया और हमारी खबर को गलत साबित करने के बहुतेरे प्रयास किते, परन्तु सांच को आंच नहीं होती। कहीं की जमीन – कहीं पर कब्जे की आड़ में उक्त जमीन का फर्जीवाड़ा करके भूमाफिया दो बार निर्दोष लोगों को ठग चुका था जबकि जमीन स्पष्ट रूप से विभाग की नजर आ रही थी फिर भी किसी रावत महिला द्वारा उक्त जमीन खरीद कर नेमप्लेट लगा दी गती थी और उक्त टुकड़े पर ताला लगा दिया गया था। परन्तु तब तक उक्त विभागाध्यक्ष भी सेवानिवृत्त हो चुके थे और उनका दबदबा भी खत्म हो चुका था। परिणामस्वरूप विभाग जागा और उसने विगत 11 मई को जिला प्रशासन से जमीन की जांच व वापसी की गुहार लगाई। तत्कालीन जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार की सार्थक पहल से राजस्व विभाग ने पुरानी गलत सलत रिपोर्टों को दरकिनार करते हुवे विभाग को आवंटन में मिली जमीन से अवैध कब्जे बाली जमीन को वापस दिलाया और आज लघु सिंचाई विभाग ने उक्त जमीन पर आज पुलिस व प्रशासन की मदद से अपनी जमीन पर कब्जा प्राप्त किया।

राजस्व विभाग के आला अफसरों‌ द्वारा आकाओं को खुश करने के लिए अपनाया गया नायाब तरीका…

2008 में जिलाधिकारी द्वारा आवंटित भूमि का आवंटन पत्र….

कैसे कटी विभागीय जमीन की नाक और झोंकी गयी सतपाल महाराज की आंख में उद्घाटन के समय धूल...

मजेदार तथ्य तो इस फर्जीवाड़े में यह भी है कि जिला प्रशासन और एसडीएम द्वारा उक्त भूमाफिया के विरुद्ध सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर निर्दोष महिला को बेचे जाने का आपराधिक मामला दर्ज न कराकर जिस राजनैतिक दबाव के चलते जो सहानुभूति दिखाई वह भी अपने आप में गम्भीर है। जबकि प्रशिसनिक अधिकारियों को भी इस मामले की गहराई में जाते हुए इसकी तह में जाकर लघु सिंचाई विभाग के उन अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्यवाही की संस्तुती करनी चाहिए थी जो इसमें संलिप्त रहे थे। किन्तु राजस्व विभाग ने किसी दबाव के चलते उक्त कब्जाधारी को जमीन के विक्रेता से बदले में जमीन दिलाकर जो कृत्य किया अपनी बला टालने के लिए किया वह भी कानूनन उचित नहीं ठहराया जा सकता है! एक ओर ये कानून के रखवाले राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जनता को कानून का पाठ पढ़ाते हैं वहीं खुद ऐसे गैर कानूनी तरीकों को अफसरों और राजनैतिक आकाओं को खुश करने के लिए अपनाते हैं, आश्चर्यजनक है! क्या तत्कालीन परगना अधिकारी और आईएएस सडीएम का यह जमीन की अदला बदली कानून को जेब में रख कर किते जाने का नायाब तरीका जायज ठहराया जा सकता है? इस मनमाने ढंग से हुई राजस्व की क्षतिपूर्ति किससे होगी? विवादित तरीका अपनाये जाने का भविष्य में‌जिम्मेदार कौन होगा?

देखना यहां गौर तलव होगा कि  धामी सरकार और विभागीय कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज उन नमकहराम दोषी व संलिप्त अधिकारियों और तत्कालीन विभागाध्यक्ष पर कोई संदेशात्मक कार्यवाही करते हैं या नहीं? और वर्तमान विभागाध्यक्ष इस मामले पर शासन से कार्यवाही कराने में कोई दिलचस्पी दिखाते हैं या फिर मामले को दबाते हैं!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *