एसीएस से भी बड़े हो गये सचिव ऊर्जा को अब आप ही रोकिए, सीएम साहब! वरना लग जायेगा करोडों का चूना!

उरेडा : सब्सीडी महाघोटाले में सचिव ऊर्जा के पंख!
उच्च न्यायलय के 2019 के आदेश की अवमानना व 2018 के आदेश की मनमानी आड़! 
धामी के राज में शिकायतों का बंडल बनाता शासन!
एक कड़क आईएएस की रिपोर्ट को दूसरा आईएएस  बनवा रहा बंडल?
केन्द्र सरकार की सब्सीडी को क्या राज्य सरकार ही लगायेगी अब चूना?
भ्रष्टाचार पर ये कैसा जीरो टालरेंस?
क्या यही है राज अचानक उभरे एमडी पिटकुल व यूपीसीएल से अन्दर वाले कक्ष के मुलाकात का? 

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। योजनाओं का धरातल पर न साकार होने देने और उसमें पलीता लगाने का काम किस तरह से ये भ्रष्ट तंत्र करता है अगर देखना है तो उत्तराखण्ड में आकर देख लो, यही एक ऐसा प्रदेश है जो दिन रात दुहाई तो मोदी-मोदी की देता है और चूना भी उन्हीं की योजनाओं का लगाता है। यहाँ के शासन और सरकार में छिपे ही कुछ ऐसे भ्रष्ट आला अफसर व वरिष्ठ जिम्मेदार अधिकारी हैं जिन्हें जिम्मा तो इसके सफल संचालन किये जाने का दिया गया था किन्तु वे ही भेडिये निकले और अपने स्वार्थ और काली कमाई की लोलुपसा में जुट गये पलीता लगाने और लूट खसोट करने को। यही नहीं इनके इस महाघोटाले के गंगा में एक विधायक भी गोते लगाने में पीछे नहीं हैं।
ज्ञात हो कि इन घोटालेबाजों के मायाजाल और चाँदी की चमक से केन्द्र सरकार की एमएनआरई और सेकी भी नहीं बच पायी उसने भी जाचँ के नाम पर इन्हीं का साथ दिया और काला सफेद करके गुल खिला दिए।

ज्ञात हो कि यह रूफटाप ग्रिड कनेक्टिड सोलर पावर प्लांट योजना अपने नाम के अनुसार छतों पर सोलर पैनल लगाकर क्रियान्वयन के लिए थी ना कि कृषि भूमि पर या व्यवसायिक दृष्टिकोण से लगाये जाने वाले सोलर प्लांटों पर।

इस बात का खुलासा एक कड़क व साफ छवि वाले आईएएस डा.आशीष श्रीवास्तव से शासन द्वारा कराई गयी जाँच रिपोर्ट में विस्तार से किया जा चुका है कि उक्त योजना में बँदरबाँट करने के लिए वे सभी नियम विरुद्ध कार्य किये गये हैं जो इस योजना की परिधि में आते ही नहीं हैं। यही नहीं इसम़ें अपने रिशतेदारों और सगे सम्बंधियों का चयन किया गया है तथा उन कुपात्रों का भी चयन सब्सीडी व अन्य लाभ उठाने की गरज से किया गया है। उक्त महत्वपूर्ण जाँच रिपोर्ट को भी वर्तमान सचिव द्वारा कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है और आँख बंद कर हानिकारक आदेश जारी कर दिया गया है। काली कमाई के लिए काला चश्मा पहने उरेडा के पूर्व मुख्य परियोजना अधिकारी व शासन में रहे पूर्व आईएएस व प्रमुख सचिव ऊर्जा व वैकल्पिक ऊर्जा सहित कुछ विधायकों ने इस योजना को ग्रहण लगा दिया। सभी ने अपने अपने चहेतों, परिजनों, रिश्तेदारों और कुछ ने खुद की कम्पनी बनाकर शुरुआती क्षणों में ही आवंटन करा लिए।

ज्ञात हो कि 2015-16 में जब इस योजना की सौगात उत्तराखंड को मिली तभी सेवानिवृत्त के निकट उरेडा व यूपीसीएल के अधिकारियों ने अपने बुढा़पे की इनकम के इंतजाम में किसी वीमा योजना की तरह पच्चीस-पच्चीस वर्ष के मनमानी दरों पर यूपीसीएल से पीपीए साईन करा लिए और आनन फानन में सारे नियमों और कानूनन व पात्रता की शर्तें का उल्लंघन करते हुये साँठगाँठ के तहत बिना प्लांट लगे और विधिवत निरीक्षण आदि के कृषि भूमि पर ही जनरेटर से फर्जी कमीशनिंग दिखाकर एक्जीक्यूशन करके दिखा दिया। चूँकि जब गैर कानूनी कृत्यों को पकड़ने वाले और इंसपेक्शन रिपोर्ट देने वाले ही स्वयं इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्त थे तो फिर कैसे नियम और किसका भय! तभी तो यहाँ सब गोलमाल है भाई गोलमाल!

यही नहीं केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी रूफटाप ग्रिड कनेक्टिड सोलर पावर प्लांट योजना के नियमों की धज्जियां उडा़ते हुये इन भ्रष्ट घोटालेबाजों द्वारा जिस प्रकार उच्च न्यायालय का दुरुपयोग करते हुये उसकी आड़ में कुछ चहेते कुपात्रों के अनुचित लाभ पहुँचाने के लिए अब जो गुल खिलाये जा रहे वह तरीका भी अपने आप में नायाब है क्योंकि घोटालेबाजों के खैरख्वाह बने सचिव ऊर्जा द्वारा गत दिवस जो आदेश निदेशक उरेडा को सब्सीडी रिलीज किये जाने के सम्बंध में जारी किये हैं उस आदेश पत्रांक 586 ऊर्जा अनुभाग -1 दिनांकित 20 जून 2022 में माननीय उच्च न्यायलय के 13 जून 2018 के जिस आदेश का उल्लेख करते हुये चहेतों को बिना किसी नियम कानून के आधार पर सही जाँच पड़ताल के अभाव में ही सभी पात्र और कुपात्रों की रुकी हुई अनुचित सब्सीडी के रिलीज किये जाने एक समान आदेश स्वार्थवश स्वतः ही जारी कर किये गये हैं वे भी सबालों के घेरे में आ गये हैं।
जबकि यहाँ उल्लेखनीय व सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सचिव ऊर्जा आँखों पर जिस चश्में से माननीय उच्च न्यायलय के 13 जून 2018 की मौत. सलीम वाली  पिटीशन पर हुये आदेश का उल्लेख करते हुये मनमाने रूप से आड़ ले रहे हैं उसे माननीय उच्च न्यायलय द्वारा ही  8 मार्च 2019 के शीला बहुगुणा वाली रिट पिटीशन में जारी एक आदेश में स्पष्ट रूप से विस्तारित करते हुये सभी पहलुओं का खुलासा करते हुये निर्णय दिया जा चुका है। उक्त आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सब्सीडी के लिए सुपात्र ही योग्य होंगे और जिन्होंने योजना के नियमानुसार आवासीय रूफटाप पर सोलर प्लांट लगाये हैं कि ना कि कृषि भूमि और व्यवसायिक दष्टिकोण से लगाये गये सोलर प्लांट धारकों को।
देखिए उच्च न्यायलय का उक्त आदेश….

मजेदार तथ्य तो यह भी है कि उक्त आदेश की जानकारी होते हुये भी सचिव ऊर्जा मनमानी करते हुये रेबडियाँ रूपी सब्सीडी बाँटने के जो फरमान जारी कर रहे हैं वह सीधे सीधे माननीय उच्च न्यायलय के आदेश की अवमानना है।

सूत्रों की अगर यहाँ रह भी माने तो विधानसभा सत्र में प्रतापनगर विधायक द्वार खुद के व अपने भान्जे के सोलर प्लांट के रुकी हुई सब्सीडी के सत्र में चर्चा के दिखावटी दबाव में रिलीज कराने का भी खासा नाटक था जबकि सत्ता पक्ष ने कोई महत्व नहीं दिया?

यही नहीं ज्ञात तो यह भी हुआ कि बिना मुख्यमंत्री के संज्ञान और अनुमोदन के ही सचिव ऊर्जा को किया सीएम के विशेष सचिव भी हैं के द्वारा जारी किये गये हैं। जबकि अपर मुख्य सचिव ऊर्जा के द्वारा पारित उस आदेश को भी नजर अंदाज किया जा रहा जिसमें सीनियर आईएएस मैडम ने कहा था कि इस प्रकरण को माननीय मुख्यमंत्री महोदय के संज्ञान में विस्तार से लाते हुये सब्सीडी रिलीज किये जाने से पूर्व अनुमोदन प्राप्त कर लिया जाये। किन्तु सचिव ऊर्जा के बारे में तथाकथित रूप से यह प्रचलित शब्द का जो भी शिकायत प्राप्त हो रही हैं उनका बंडल बना दो, अगर वे शिकायतों पर ही ध्यान देते रहे तो काम कैसे लेगा आदि आदि? शायद यही कारण होगा जो ऊर्जा निगमों में रोज रोज उजागर हो रहे भ्रष्टाचार व घोटाला के मामलों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है और सभी प्रकरणों के बंडल में दफन करके सीएम के भ्रमित करते सच्चाई से दूर रखा जा रहा है।

यहाँ इस चर्चा को भी नकारना उचित नहीं होगा कि क्या एमडी पिटकुल और यूपीसीएल के साथ सचिव ऊर्जा महोदय के अन्दर वाले कक्ष में विगत कुछ दिनों पूर्व हुई रहस्यमयी मुलाकात का कारण क्या था और उस मुलाकात के पश्चात सचिव महोदय के बदले हुये नम्र नम्र स्वर के सच्चाई क्या है??

देखना यहाँ गौर तलव होगा कि क्या उत्तराखंड के सीएम अपने इस प्रकार के नवरत्नों को जनहित और प्रदेश हित में किस प्रकार देखते हैं और उन पर क्या कार्यवाही करते हैं जो जनधन की वरबादी के साथ साथ भ्रष्टाचारी और घोटालेबाजों के संरक्षण जैसी नीति का अपनाया जाना है। क्या मुख्यमंत्री तत्काल सचिव ऊर्जा के 20 जून के उस आदेश पर रोक लगायेंगे जिससे कुपात्रों को नियम विरूद्ध अनुचित करोंडों के सब्सीडी रिलीज हो जायेगी?

क्या भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के नीति के पक्षधर और चिंतित सीएम साहब भ्रष्टाचार और घोटालेबाजों के विरुद्ध शिकायतों का बंडल बनाने बाले शासन में ही बैठे उन लापरवाह अधिकारियों पर भी नकेल कसने के दिशा में कुछ कदम उठायेंगे?

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