यूजेवीएनएल : खोदरी पाॅवर हाऊस का मेन ट्राँसफार्मर जल कर हुआ खाक : करोडों की क्षति

प्रबंधतंत्र मामले पर डाल रहा पर्दा, नई कहानी गढ़ने को कमेटी बिठाई ताकि न हो सवाल जवाब

बड़ी व अप्रिय घटना भी हो सकती घटित

निदेशक परिचालन के टालूमिक्चर रवैये से मामला संदिग्ध

बिजली की किल्लत क्रियेट करने को कॉकस अपना रहा सारे हथकण्डे

किलोथ, ढकरानी, चीला, खटीमा, कुल्हान और छिबरो पाॅवर हाऊसों की ढाई-तीन सौ करोड़ की क्षति आज भी रहस्यमयी

पारदर्शिता के युग में एमडी हुए हिडन

(ब्यूरोचीफ, सुनील गुप्ता)

देहरादून। यूपीसीएल और पिटकुल ही नहीं इनका तीसरा भाई यूजेवीएनएल भी बेड़ा गर्क करने में पीछे नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है यूपीसीएल व पिटकु़ल घोटाले व गोलमाल करते हैं तो जाँच शासन व सरकार के कहने पर ही वमुश्किल होती है और यूजेवीएनएल घोटाले करता है तो खुद ही दिखावटी जाँच बिठा, मामले को खटाई में डालने में और शासन की निगाहों में छवि निखारने में एक्सपर्ट बन एक तीर से तीन तीन शिकार करता है। ऐसा ही एक और मामला आज प्रकाश में आया है जिसके अनुसार मामले को गूँज सरकार व शासन तक पहुँचे और उच्चस्तरीय जाँच व कार्यवाही हो उससे पहले ही उस पर एक ‘चालाक भेडिये’ की तरह पहले ही विराम लगा दो और पाक साफ बनने की नौटंकी में स्वयं ही जाँच बिठा दो ताकि मामला खटाई में पड़ जाये। बजाए एक्शन और ठोस कार्यवाही के सबके मुँह पर ताले लगा पारदर्शिता को ठेंगा दिखाने वाले एमडी स्वयं ही फोन काॅल उठाना पसंद नहीं करते और हिडन हो जाते हैं।

देखिए वह आग से खाक ट्राँसफार्मर जिसे मामूली बता रहा यूजेवीएनएल…

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज बुधवार  दोपहर करीब 12 बजे खोदरी पाॅवर हाऊस का 30  एमवीए मेन पावर ट्रांसफार्मर जल कर खाक हो गया। उक्त ट्राँसफार्मर के क्षतिग्रस्त हो जाने से करोडों रुपये की क्षति के साथ साथ प्रदेश में चल रही बिजली की किल्लत में और इजाफा हो रहा है। ऐसा प्रतीत होता है इन तीनों ऊर्जा नियमों का भ्रष्टाचार और घोटालों के मामलों में अच्छा सामंजस्य है इसीलिए एक दूसरे से मिलकर कदमताल करते हैं।

ज्ञात हो कि 4×30 MW के इस पावर हाऊस इनर्जी के 11/230 केवी में ट्रांसमिट करने वाला यही मेन ट्रांसफार्मर था जबकि शेष तीन ट्राँसफार्मर और भी हैं जो क्रमशः स्टेशन ट्राँसफार्मर और यूएटी ट्राँसफार्मर के रूप में कार्य करते हैं। इस मेन पावर ट्रांसफार्मर के आग के हवाले हो जाने को संदिग्ध माना जा रहा है क्योंकि इसकी बजह सेफ्टी मेजर्स के न होना और उचित रखरखाव का भी न होना भी एक कारण हो सकता है इसके अतिरिक्त सीटी-पीटी, डीसी, बैटरी व बैटरी चार्जर आदि की कमी भी साफ झलक रही है जिस कारण ब्रेकर लग गये हों और ट्राँसफार्मर ने सेफ्टी मेजर्स के उपकरणों के निष्क्रियता से भयंकर आग पकड़ ली हो या फिर जानबूझ कर किसी घोटाले को भस्म करने के लिए ऐसा कराया गया हो। यदि किसी भी सम्भावित गड़बडी़ से पूर्व एलार्म जैसी व्यवस्थाओं का परफैक्टली न होना भी मुख्य कारण हो सकता है दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह बताया जा रहा है कि यदि भ्रष्टाचार और घोटालायुक्त मेंटीनेंस न होता तो इतनी बडी़ क्षति न होती। यही नहीं इस आग के कारण स्वीचयार्ड में उपस्थित लोंगो के जनजीवन की हानि भी हो सकती थी। यही नहीं उक्ता घटना की दोनों वीडियो स्वयं ही  सारी दास्तान बयार के रही है कि लापरवाही का मंजर और स्थिति से निपटने के क्या साधन थे।

उल्लेखनीय तो यह भी है कि घटना के तुरंत बाद निदेशक परिचालन एमडी से मंत्रणा के पश्चात मौके पर पहुँच गये और पुराने हथकंडे व सोची समझी चाल के अनुसार प्रथम दृष्टया पाये जाने वाले कारणों में दिमाग न लगाकर आनन फानन में बजाए एक्शन और कार्यवाही एवं अपनी योग्यता व तकनीकी ज्ञान के प्रयोग किए बिना ही टालूमिक्चर पॉलिसी के चलते जाँच कमेटी गठित कर आये। साथ ही सबको चुप रहने और मुँह बंद रखने की हिदायत भी देकर आये डायरेक्टर महोदय ने स्वयं के मुँह पर ताला लगा लिया। जो उनसे फोन पर घटना की जानकारी चाही गयी तो ऐसे अनजान और अनभिज्ञ नजर आ रहे थे जैसे तकनीकी ज्ञानी निदेशक परिचालन न होकर क्लर्क या चपरासी होंगे। वहीं सिविल इंजीनियर एमडी साहब के तो कहने ही क्या फोन काल उठाने में कष्ट भी तो होता है। पीआरओ बिमल डबराल के अनुसार LAVT के कारण ऐसा हुआ और यह एक मामूली घटना है जाँच कमेटी की रिपोर्ट आने पर ही पता चल पायेगा कि कितनी क्षति हुई है और क्या कारण थे। उनके अनुसार  पानी की बहुत कमी थी जिस कारण कोई खास जनरेशन नहीं हो पा रही थी।

सूत्रों की अगर माने तो जलविद्युत निगम का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी विगत दो वर्षो में लगभग ढाई तीन सौ करोड़ की क्षति ढकरानी, चीला, खटीमा, कुल्हान और छिबरो पाॅवर हाऊसों सहित किलोथ पावर हाऊस की जाँचे व कार्यवाहियाँ आज भी रहस्यमयी व कमाई का साधन बनी हुई हैं। विभागीय जाँचं और “चोर की जाँच, चोर से”  वाली कहावत के अनुसार आज तक किसी भी प्रकरण में कुछ नहीं हुआ।

ज्ञात हो कि 31 एमवीए की आउटपुट देने वाले इस 4x30MW क्षमता के इस पावर हाऊस के मेन पावर ट्राँसफार्मर के आग के हवाले हो जाने से बिजली की किल्लत के दिनों में जनरेशन ठप्प हो जाने से भी निगम को करोंडों की पावर जनरेशन एवं प्रदेश की जनता को यूपीसीएल के माध्यम से सस्ती जल विद्युत से वंचित होना पड़ रहा है।

देखना यहाँ रह गौर तलव होगा कि प्रदेश के मुखिया व ऊर्जा मंत्री एवं उनका शासन इस गम्भीर लापरवाही व अव्यवस्था के लिए कोई संदेशात्मक कडी़ कार्यवाही करता है या फिर जाँचों के खेल में उलझता व उलझाता है? क्या धामी सरकार पुराने सभी प्रकरणों में हुई जनधन की क्षति को विस्तृत जाँच कराकर लीपापोती करने वालों के विरुद्ध कोई कठोर कार्यवाही करेगी?

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