बिजली दरों में वृद्धि की रिब्यू पिटीशन का हुआ जनसुनवाई में घोर विरोध, आयोग की निष्पक्षता पर भी लगा सवालिया निशान

यूपीसीएल के पक्ष में ही मन बनाए दीखा आयोग, निष्पक्षता पर भी उठे सवाल
एक स्वर में उपभोक्ताओं ने ठहराया विवेकहीन व भ्रष्ट यूपीसीएल प्रबंधतंत्र
घड़ियाली आँसू भी बहाते नजर आए, एमडी

(ब्यूरो चीफ, सुनील गुप्ता)

देहरादून। आज उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में यूपीसीएल के बिजली की दरें बढ़ाये जाने हेतु दायर रिव्यू पिटीशन पर जनसुनवाई के दौरान पत्रकार एवं स्टैक होलडर्स सुनील गुप्ता ने तार्किक तथ्यों के साथ आपत्तियाँ दर्ज कराते हुये उक्त रिव्यू पिटीशन के निरस्त किये जाने की पुरुजोर माँग की। हालाँकि नियामक आयोग का रुझान उपभोक्ताओं के हित के ओर कम व पक्षपात पूर्ण नजर आ रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि विद्युत नियामक मात्र औपचारिकता स्वरूप दिखाने के सुनवाई के रहा था और वह यूपीसीएल के पक्ष में मन बना चुका है। शायद इसी लिए उपभोक्ताओं और स्टैकहोल्डर्स की दर्द भरी जायज आपत्तियों के नहीं सुनना चाह रहा था। यही नहीं अनेकों उपभोक्ताओं ने तो यूपीसीएल के भ्रष्ट प्रबंधतंंत्र के पोल भी खोली और बिजली दरों में वृद्धि की पिटीशन को षडयंत्र को हिस्सा बताया।

इस सुनवाई के दौरान सुराज सेवा दल के प्रदेश अध्यक्ष रमेश जोशी द्वारा रखी गयी न्यायोचित आपत्तियों पर गौर न परमात्म हुये सक्षम पटल पर शिकायत करने की बात कह कर टालमटोल करना चाहा जिससे नियामक आयोग पर प्रश्न (?) चिन्ह भी लगा।

आपत्ति दर्ज कराते हुये उक्रांद नेता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट शांति प्रसाद भट्ट ने बड़े कड़क अंदाज में आपत्ति प्रस्तुत की।

ज्ञात हो कि इस बार नियामक आयोग के असम्मानजनक रवैया अपनाने जाने और बिना कुछ घोषणा किए मध्यकाल में और फिर यूपीसीएल के पक्ष सुनने के उपरांत जिस एटीट्यूट से आयोग के अध्यक्ष ने न्यायिक पटल व रिस्पांडेट्स के साथ जो व्यवहार अपनाया वह भी अशोभनीय रहा। इस व्यवहार से नियामक आयोग स्वतः ही संदेह के घेरे में आ गया।
सुनिए…..

एमडी यूपीसीएल के दलीलें जी उपभोक्ताओं के हित के विपरीत सरकार के जीएसटी के लेकर अधिक चीन्ताजनक नजर आए।  जबकि बात तो एमडी साहब प्रदेश के जीएसटी की कर रहे और जनाब से यूपीसीएल सम्भल नहीं रहा… सुनिए….

अब सुन लीजिए नियामक आयोग के सदस्य तकनीकी एम के जैन के ही जुवानी पत्रकार वार्ता में किए गये कथन….

ऐसे में क्या इस प्रदेश की सरकार और क्या उसके हितों के रक्षा हेतु गठित किये गये नियामक आयोग से अपेक्षा किया जाना उचित होगा!

एक ओर सरकार और यूपीसीएल मिलकर प्रदेश की जनता व उपभोक्ता पर बिजली दरें बढ़ के बोझ थोपना के फिराक में वहीं दूसरी ओर चंद दिनों की चारधाम  यात्रा में रोस्टिंग फ्री कराकर यात्रा से अर्जित आय सरकारी खजाने में रख कर तोहमत उपभोक्ताओं के सिर मढ़ रहे हैं।  ये कैसी जनहित की सरकार है?

देखिए  वह नोटिस जी ईशान के द्वारा  सुराज सेवा दल के धमकाने और चुप रहने के लिए अपने कलकत्ता के वकील से दिलाया गया।  मजेदार बात ये भी है कि उक्त पत्र में स्वयं ही एमडी के बेटे यशराज के साथ पार्टनरशिप के स्वीकारोक्ति झलक रही है…. देखिए..

सुनील गुप्ता द्वारा  की गयी आपत्ति…

सुराज सेवा दल की आपत्ति…

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