पिटकुल : एमडी के साझीदार की कम्पनी ईशान के अब अच्छे दिन, हो जायेंगे करोंडों के भुगतान?

सीएम का ऊर्जा मंत्रालय : चिराग तले ही अंधेरा क्यों? 
अनुचित भुगतान कराने की साजिश का ऐसा होगा ये अमलीजामा!
पुष्कर शासन में कुछ भी नहीं है दुष्कर!
ब्यूरोक्रेट्स के भी हिपनोटाईज्ड कर साँप शासन गले में डालने की कोशिश!

(ब्यूरोचीफ, सुनील गुप्ता)

देहरादून। प्रदेश का ऊर्जा विभाग पिटकुल और यूपीसीएल में पिछले कुछ महीनों से निरंतर भ्रष्टाचारी और घोटालेबाज जादूगर की हिपनोटाईज्ड करने वाली कला में वहकर रह गया है। यही नहीं पुष्कर के शासन में बैठे कुछ आला अफसर भी वैसे ही सुर अलापने के ओर  बढ़ने लगे हैं इस जादूगर के घडि़याली आँसू से शासन की कार्यप्रणाली को प्रभावित  करने का प्रयास कर रहा है जैसा इस जादूगर का मिस्मिरेजम चाहता है। इसकी जादूगरी का ही कमाल है कि वह जो बुलवाना चाहता है शासन में ही छिपे पुराने आस्तीन के साँप उसी की हाँ में हाँ मिलाकर पेश करने में लगे रहते हैं ताकि बुद्धिमान सचिव व एसीएस वहलाये और बहकाये में आ जायें और और सुर में सुर मिलाकर बोलने लगें।

वैसे तो ये जादू हरक काल से ही खुल्लम खुल्ला शुरू हो चुका हैं। हरक तो चले गये किन्तु आज भी इस मायावी का माया-जाल बरकरार है। इसी कड़ी में ऐसा ही एक तिलस्मी आदेश और प्रकाश में आया है जो चिराग तले अँधेरा की कहावत को अक्षरसः चरितार्थ भी करता दिख  रहा है, तभी तो सीएम के सीधे आधीन ऊर्जा मंत्रालय के अनुभाग -2 की कार्यप्रणाली स्वयं ही देखने योग्य बनी हुई है। इस ऊर्जा अनुभाग-2 के द्वारा जारी पत्र संख्या 610 दिनांक 31 मई को उप सचिव द्वारा एमडी, पिटकुल को जारी करते हुये पत्र में निर्देशित किया गया है कि कान्ट्रैक्टर कम्पनी ईशान के प्रकरणों पर सभी सम्बंधित भिज्ञ अधिकारी सचिव द्वारा आहूत बैठक में 3 जून को सम्मिलित हों।
देखिए….!

ज्ञात हो कि अब शासन की आड़ लेकर पिटकुल के खैरख्वाह बन रहे इन ढोंगियों का अब फिर यही प्रयास होंगा कि जिनसे एमडी साहब की साझीदार की कम्पनी के अटके पडे़ मामलों पर शासन की भी एक और मुहर लग सके! जबकि ये सभी ऊल जलूल तरीके अनेकांत प्रयासों में नाजायज होने के कारण धाराशायी भी हो चुके हैं बताया जा रहा है।
इन मामलों में ट्रिपल फीडर पैनल के एप्रूब्ड रेट्स को  साँठगाँठ से बढ़वाने के प्रयास फिर किये जा रहे है जिसके कारण जहाँ कान्ट्रेक्ट एग्रीमेंट और एलओए के नियमों का उल्लंघन तो होगा ही साथ ही इसका लगभग ढाई करोड़  का खामियाजा पिटकुल को भुगतना पड़ सकता है तथा नियमानुसार काटी जी चुकी एलडी (later delivery penalty) जो लगभग तीन करोड़ की थी,  को अब अनुचित ठहराकर वापस दिलाये जाने वाली साजिश भी संलिप्तता में बताई जा रही है।

यही नहीं इनमें चार करोड़ के उस बिना एप्रूबल के दिए गये अनुचित एडिशनल बर्क जिसका अलग से टेन्डर किया जाना  चाहिए  था,  न करके इसी ईशान के पक्ष में क्वांटिटी वैरियेशन के रूप में क्लेम दिलाने के खारिज हो चुके प्रकरण पर अब मुहर लगवाने के प्रयास भी पुनः किये जा सकते है। इसमें पीएसडीएफ स्कीम के खुल्लमखुल्ला मजाक भी उडा़या जा चुका है और    एनएफपीएस सहित कुछ अन्य आईटमों का घालमेल किया  गया है जबकि ये आईटम लिस्ट में थे ही नहीं, यही नहीं इनका अलग से किये जाने वाले टेण्डर प्रक्रिया जिसमें तीन-तीन उच्च गुणवत्ता वाली कम्पनियों सीजीएल,  एबीसी,  सीमेन्स को अयोग्य करार दिखाकर अपनी ईशान को ही जेबी के मैन्युप्लेशन से क्वालीफाई कराने का खेल भी खेला जी चुका है जो भी जाँच व कार्यवाही का विषय है।

ऐसा ही यहाँ इसी कम्पनी का एक और मामला पिटकुल के सेन्ट्रल स्टोर से लोन के रूप में ली गयी 30-32 लाख कीमत की कन्ट्रोल केबिल का भी बताया जा रहा है जिससे मुकाबले बड़ी रकम की अपेक्षाकृत छोटी सी 30-32 लाख की रकम के मामले में भी साहब की ही मेहरबानी से आपत्तिजनक मामले को अब सही ठहराया जा सकता है। इस प्रकार कुल आठ से नौ करोड़ की रकम की चूना पिटकुल को और अनुचित लाभ साहब की जगजाहिर हो चुकी साझीदार की उक्त कम्पनी को बड़ी चतुराई के साथ अमलीजामा पहना दिया जायेगा और एक और मुहर लगा दी जायेगी?

उल्लेखनीय तो यह भी है कि ‘नो लिटीगेशन’ की शर्त के साथ एनआईएफ पीएस के मामले कंडीशनल दी गयी डीआई (डिस्पैच इंसट्रक्शन) का भी इसी कम्पनी के द्वारा किया गया उल्लघंन भी इग्नोर किया जा सकता है, क्योंकि कम्पनी से सीधा वास्ता साहब का ही तो है? तभी तो तत्कालीन एसई, पीसडीएफ सहित वर्तमान में खासमखास चीफ इंजीनियर हैं भी इधर से उधर ताबड़तोड़ कुलाँचे भरते दिख रहे है।

बताया तो यहाँ यह भी जा रहा है कि इसी प्रकरण के सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा और चेयरमैन पिटकुल मैडम की आड़ भी लेने और अपने आपको पाक साफ साबित रखने की भी चेष्टा की गयी है?

सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि इस कम्पनी के द्वारा “त्वमेव माता च पिता त्वमेवा। त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेवा। त्वमेव तरीका सिखावत त्वमेवा और अब भुगतान भी करावत त्वमेवा” जैसा ही पूरा श्लोक अक्षरसः साक्षात होता दिखाई पड़ रहा है अर्थात जब उक्त कान्ट्रेक्ट दिया गया तब जनाब ही एसई व चीफ थे और फिर निदेशक (परियोजना) रहे तथा अब तो सर्वेसर्वा अर्थात प्रभारी एमडी के साथ साथ डीओ, डीपी और चीफ क्यू ए क्यूसी भी तथा भ्रष्टाचार की राह में रोड़ा बन रहे वित्त निदेशक के रिलीव हो जाने से अब नये प्रभारी निदेशक (वित्त) को भी जेब में डालने का प्रयास किया जा सकता है वैसे तो यह समय ही बतायेगा? वैसे इनके काॅकस में वित्त के कुछ अधिकारी पहले से ही साथ है ही तो चिन्ता क्यों?

देखना यहाँ गौर तलब होगा कि यह षडयंत्र परवान चढ़ पाता है कि नहीं अथवा फिर धामी शासन भी यूँ ही मायावी तिलस्म में डूबा जायेगा? क्या चिराग तले अँधेरा ही रहेगा या फिर पुष्कर शासन में कुछ भी नहीं है दुष्कर का दुरुपयोग ही चलता  रहेगा?

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