पिटकुल सीओडी की धज्जियां खुद उडा़ते हुये एमडी ने लगाया पारदर्शिता पर प्रतिबंध

जीएम (लीगल) एवं कम्पनी सेक्रेटरी को अब बनाया मीडिया प्रभारी भी!

एक पद हटाने की बजाय, बढा दिया एक और दायित्व 

….ताकि न खुले घोटालों और भ्रष्टाचारों की पोल, और हो सके मीडिया मैनेज!

ईमानदारों को हटा, रंगे सियारों की फौज इक्कठ्ठा हो रही है गुल खिलाने को!

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता)

देहरादून। उत्तराखंड के पिटकुल सहित तीनों ऊर्जा निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचारों और सरकार की इन पर बजाए लगाम एवं कार्यवाही के, मेहरबानियों और अनदेखी का ही परिणाम है कि इनके घोटालों और काले कारनामों में नित्य इजाफा ही हो रहा है यही नहीं इनकी दबंगयी एवं दुस्साहस इस हद तक बढ़ गये है कि “न खाता न बही, जो ये कह दें वही सही” के अनुसार खुले आम वे-वे कार्य कलाप देखने को मिल रहे हैं जो सरासर नियमों का उल्लंघन करने के साथ-साथ कमेटी आफ डायरेक्टर्स (COD) में खुद के बनाये गये नियमों को स्वार्थवश ठेंगा दिखाना है या फिर यूँ कहा जाए की इनके फ़रमान तुगलकी व तालिबानी हैं।

प्रदेश की धामी सरकार में सदैव प्रधानमंत्री मोदी के गुणों की दुहाई तो अवश्य  दी जाती है परंतु उन पर कितना अमल खुद सरकार और उसका शासन करता है ये देखने योग्य है! इस सरकार में ठीक इसके उलट भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस और पारदर्शिता की दोनों ही नीतियों पर खरा न उतरने से इसकी करनी और करनी में जमीन आसमान  के अन्तर नजर आ रहा है बल्कि यूल कहा जाये कि दोनों नीतियों का जमकर पुरजोर उपहास इसी प्रदेश में उड़वाते हुये और स्वयं मूकदर्शक बन तमाशा देखते हुये सरकार को देखा जा सकता है।

करनी और करनी में अंतर के ऐसा ही एक अजीबो गरीब मामला खुद नियम बनाओ और जब रास न आये तो उसको ठेंगा दिखादो की नीति पर चलने वाला उजागर हुआ है जिस पर यदि शासन ने तत्काल रोक न लगाई गयी तो उक्त तुगलकी फरमान धामी सरकार की छवि को जल्दी ही धूल भी चटवायेगा और भ्रष्टाचारी व घोटालेबाजों के लिए संजीवनी बनकर भी यहीं साबित होगा?

ज्ञात हो कि विगत 21 मई को प्रभारी एमडी, पिटकुल के द्वारा अपने कार्यालय ज्ञाप संख्या 1324 के अनुसार महाप्रबंधक (विधि) एवं कम्पनी सचिव प्रवीन टंडन को मीडिया प्रभारी के भी अतिरिक्त दायित्व से नवाजा गया है। उक्त आदेश में 6 सूत्रीय प्वांइट में जो दिशानिर्देश दिये गये हैं उनसे स्पष्ट है कि एमडी महोदय पत्रकार और पत्रकारिता को नापने की ऐसी निष्फल कोशिश कर रहें जैसे कि मानों पत्रकार इन्हीं पर पूरी तरह निर्भर रह कर पत्रकारिता के दायित्वों को निभा रहे है या फिर इसे गोदी मीडिया का दायरा और बढा़ने एवं उसको संगठित करने की एक और कोशिश की जा रही है ताकि इनके दुष्कृत्य उजागर न होकर विपरीत इसके जैसी यह चाहे समाज व जनता में इनकी तस्वीर के परोसा जाये! वैसे ऐसा अभी तक कारपोरेट कल्चर अपनाने वाला स्वार्थी मीडिया यहाँ करता भी आया है और घोटालों व इनके काले कारनामें की तश्वीर इन्हीं के अनुसार उसी रूप में प्रस्तुत भी करता रहा है। पाठकों और दर्शकों को असल तस्वीर प्रस्तुत न करने के पीछे इस तथाकथित कारपोरेट कल्चर वाले पत्रकार माफियाओं के अपने निजी स्वार्थ और चाहत छिपी रहती है!

पिटकुल एमडी ने जिन्हें मीडिया प्रभारी के जिम्मदारी सौंपी है वे वही जीएम लीगल और कम्पनी सचिव हैं जो इललीगल कामों  में भी  खासी दक्षता व निपुणता रखते हैं। इनकी निपुणता और कार्यकुशलता के चर्चा एक मामला अभी कुछ दिनों पूर्व हुई बोर्ड मीटिंग की सूचना व ऐजेन्डा के लेकर उसमें से निदेशक (वित्त)  का नाम का अपनी मर्जी से शरारतन दुर्भावनावश गुम कर दिया जाना और जब उस मामले पर अपर मुख्य सचिव ऊर्जा व चैयरमैन पिटकुल मैडम ने लगाई तब ठीक किया गया और न देखा जाता तो….? बताते हैं कि इस मामले की   विधिक राय लिए जाने में पूना की एक लाॅ फर्म का बिना स्वीकृति और संस्तुती के बिना ही आड़ लेकर फर्जीवाडा़ व धुप्पलबाजी कर के जो खेल खेले जाने और हजारों की रकम की भुगतान बिना किसी औचित्य के बिल बनवा कर भुगतान कराये जाने की जो चेष्टा के गयी वह भी किसी से छिपी नहीं है। यही नहीं पिटकुल मुख्यालय के भवन निर्माण सम्बंधी आर्वीट्रेशन में अजब गजब का लिया गया फैसला भी कुछ कम नहीं था। साथ ही लीगल एक्सपेंस के नाम पर भी हो रहे इललीगल काम भी जा जाहिर तो हैं ही उनके साथ साथ लीग ओपीनियन के नाम पर दिन के रात एवं रात को दिन बनाकर प्रस्तुत करने वाले तो दर्जनों ऐसे मामले हैं जिनसे पिटकुल के भारी क्षति उठानी पडी़ और मामलों को अकारण ही विवादों में उलझाकर अनुचित लाभ उठाया गया तथा लूट मचवाई गयी? यदि इस महाशय के लीगल और इललीगल की वास्तव में लिगलिटी के मूल्यांकन कराया जाये तो स्वतः ही सारी कलई खुल जायेगी!

पिटकुल व कान्टरेक्टर्स के मध्य के मामलों को पिटकुल के हितों के विपरीत और ठेकेदारों के पक्ष लिया जाने  और वैसी ही अनुकूल राय बनाकर देना या तोड़मरोड़ के प्रस्तुत करना शायद इनकी आदत में शुमार हो चुका है?

एमडी शायद ये भूल रहे हैं कि जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि और पत्रकार!
दूसरी मजेदार बात ये भी है कि एमडी महोदय स्वयं तो काल पिक करने की न ही कभी जोहमत उठाते हैं और न ही फोन पर उपलब्ध होते हैं तब ऐसे में उनका पक्ष या साक्षात्कार कैसे सम्भव है? मीडिया प्रभारी के रूप में अभी तक अधीक्षण अभियंता नीरज पाठक की अनुपस्थिति में कुछ समय के लिए अवकाश पर जाने के कारण ही शायद ये बदलाव किया गया है पिटकुल के भ्रष्टाचार और घोटाला व कारनामों के राज, राज ही रहे, इसीलिये किया गया है?

आईएएस एमडी नीरज खैरवाल वाली सीओडी के बिन्दुओं का उपहास क्यों?

यहाँ रह भी उल्लेखनीय तो सबसे अधिक यह है कि 22  जून 221 को सीओडी (कमेटीआफॅ डाईरेक्टर्स) जिसमें तब एमडी आईएएस नीरज खैरवाल की अध्यक्षता वाली कमेटी में वर्तमान एमडी अनिल कुमार तब निदेशक (परियोजना) थे, के द्वारा स्वयं पैरा 9 में लिए गये निर्णय को बलाए ताक रखते हुये प्रभारी एमडी के पद का अनुचित लाभ लेते हुये तालिबानी फरमान के रूप में अतिक्रमित किया जा रहा है।

संलिप्त चहेतों को अव्यवहारिक व हानिकारक रूप से डुअल और ट्रिपल चार्ज देकर निगम के वफादार अधिकारियों व अभियंताओं का उत्पीड़न है जारी?

सूत्रों के अनुसार एमडी के कार्य प्रणाली और पिटकुल के दयानातदार व वफादार अधिकारियों का अप्रत्यक्ष रूप से किये जा रहा उत्पीड़न और शोषण एवं चापलूस और चाटुकार जो  सुर में सुर मिलाकर चल सकने वाले रंगे सियारों की फौज इकठ्ठा करने जैसी कार्यप्रणाली महज इसलिए अपनाई जा रही है ताकि मुख्यालय में या फिर हर उस जगह पर उन्हें एकत्र किया जा सके ताकि इनके कार्यकलापों पर पर्दा पड़ा रहे और वे सभी काम चुपचाप होते रहें जैसा चाहें!
यही नहीं अपने इन चहेते अधिकारियों की मुख्यालय या हर उस खास पद पर तैनाती व नियुक्ति से पिटकुल पर कितना ही अनावश्यक बोझ पडे़ या फिर इस ट्रिपल और डुअल चार्ज दे देकर पिथौरागढ़ में मूल तैनाती वाले तुगलकी फरमानों से भले ही काम कितने ही प्रभावित क्यों न हों,  के साथ मुख्यालय में विद्मान अधिकारियों को इस प्रजम्पशन और आशंका मे एज्यूम कर “चोर की दाढ़ी में तिनका” के भय से प्रशासनिक कार्यों के आड़ लेनकर दुरुपयोग करते हुये इधर से उधर तैनाती करके तालिबानी शासक की तरह जो दुष्कृत्य व व्यवहार अपनाया जा रहा है वह उचित नहीं है। एमडी के इस अव्यवहारिक रवैये से पिटकुल में इससे भारी असंतोष व रोष व्याप्त है।

भ्रष्टाचार वनाम वफादार को सचिव ऊर्जा ‘अफसरों की आपसी फूट’ बता, दे रहे घोटालेबाजों को शह व समर्थन ?

मजेदार बात तो यह भी है मुख्यमंत्री धामी सीधे तौर पर ऊर्जा मंत्री भी हैं का ऊर्जा मंत्रालय और क्षमता से अधिक व्यस्त व नये सचिव ऊर्जा उजागर हो रहे घोटालों व भ्रष्ट कारनामों पर एक्शन की बजाए स्वयं “Devide and Rule” “फूट डालो, राज करो” की पालिसी के अनुसार बहती गंगा में हाथ धोने में लगे हुये वैसे ही सुर अलापने में दिखाई पड़ रहे हैं जो इस काकॅस के ही सचिवालय में विद्यमान कुछ आस्तीन के साँप चाह रहे हैं। यही नहीं जिन संगीन मामलों पर तत्काल एक्शन और फैसला आनॅ द स्पाट होना चाहिए, उन्हें भी स्वार्थ व संलिप्तता वश लटकाने के लिए फिर जाँच पर जाँच के नाम पर लटकाने की कार्यवाही करने वाले सचिव ऊर्जा की इस कार्यप्रणाली से म्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के शह व संरक्षण ही दिखाई पड़ रहा है तथा उनके हौसले बुलंद है!

देखना यहाँ गौरतलब होगा कि शासन में बैठे आला अफसर भ्रष्टाचार पर एक्शन मोड में उतरे सीएम धामी का ध्यान निम्न मामलों पर लाते हुये जनता में बिगड़ रही छवि को सुधारने की दिशा में दिलाता है या नहीं?

ये हैं पिटकुल के एमडी के कुछ प्रमुख 20 मामले….

1)- पिटकुल में खाली पडे़ निदेशकों के पदों के एमडी द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण एवं दुरूपयोग!
2)- एसीएस ऊर्जा व चैयरमैन ऊर्जा के द्वारा पारित “दो दिन की अनुपस्थिति में राजा बाली के ताकत वाले आदेश को निगम हित में निरस्त न किया जाना?
3)- भ्रष्टाचार और साँठगाँठ की साजिश और संलिप्तता की छाँव में शीघ्र ही करोडों रुपये की क्षति पहुँचाने वाले ईशान वनाम पिटकुल आर्वीट्रेशन के फैसले के विरुद्ध जिला न्यायलय की शरण का पिटकुल हित में लाभ जानबूझ कर न लिए जाने में उदासीनता पर एक्शन व रोक!
4)- पदार्था-पाँताजली सब स्टेशन और ट्रांसमीशन लाईन परियोजना में फर्जी दस्तावेज व घोटाला प्रकरण पर एफआईआर न कराये जाने वाले संलिप्त अधिकारियों पर एक्शन!
5)- बरम (पिथौरागढ़) सबस्टेशन व 220 केवी ट्रांसमीशन लाईन प्रकरण में एमडी द्वारा पत्रावली पर विद्यमान आँकड़े कुछ और सीएम व सीएस सहित विद्युत नियामक आयोग को कुछ कम कुछ बता, किये गये छल फरेब पर एक्शन में देरी?
6)- आशीष ट्रांसपावर प्रकरण में एमडी की अवैध साझेदारी उजागर होने व सेवा नियमावली के उल्लघंन जैसे संगीन प्रकरण में कोताही!
7)- वर्तमान प्रभारी एमडी के चीफ इंजीनियर (सीएण्ड पी) के समय के निदेशक (परियोजना) एस के शर्मा के साथ अनुशासन हीनता व अभद्रता पर दो दो विधिक राय की संस्तुती के उपरांत भी दण्डात्मक कार्यवाही अमल में लाये जाने पर लापरवाही क्यों?
8)- एक महिला सहकर्मी से अभद्रता व कदाचार जैसे संगीन अपराधों पर कार्यवाही की इरादतन दबी पडी़ फाईल से अनदेखी क्यों?
9)- पिटकुल में हाल ही में हुयी ट्रांसफ़र, पोस्टिंग और एई – जेइ की काली कमाई के साथ हुई आपत्तिजनक नियुक्तियों के अनदेखी क्यों?
10)- बिना एसीआर के यूपीसीएल में एमडी के पद पर विवादित व अनुचित नियुक्ति पर शासन की मेहरबानी व अकर्मण्यता क्यों?
11)- ड्रेकन स्कल कान्ट्रेक्टर प्रकरण में नियम विरुद्ध अपनाई गयी प्रक्रियाओं और स्वार्थी कार्यप्रणाली व गोलमाल के पर्दाफाश में देरी?
12)- ओपीजीडब्लयू के टेन्डर प्रक्रिया में होने वाली करोंडों की हेराफेरी पर विराम क्यों नहीं?
13)- पिटकुल में पिछले छः सात वर्षों में विभिन्न परियोजनाओं के हुये सैकड़ों करोड़ के टेण्डर पूलिंग स्पष्ट होने के उपरांत भी अनदेखी क्यों?
14)- फिजूल खर्चो और मित्तब्यीयता पर लापरवाही एवं ढोंग पर शिथिलता?
15)- कोबरा स्पेन (श्रीनगर काशीपुर लाईन) चर्चित प्रकरण में पिटकुलट्रासंफार्मर के दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की बंद पड़ फाईल ठंडे बस्ती में अब क्यों? जबकि जिस आर्वीट्रेशन के आड़ ले फाईल को आशंका वश डाला गया था टाल फरार अव्यांस में उस पर वाधा कहाँ?
16)- कोबरा स्पेन वनाम पिटकुल मामले में आर्वीट्रेशन के फैसले के स्वार्वश उल्लघंन किये जाने से निगम पर पड़ रहे अनावश्यक 15 से 20 लाख रुपये के मासिक अतिरिक्त ब्याज के वित्तीय बोझ का खामियाजा वाली साजिश पर कार्यवाही क्यों नहीं?
17)- बैटरी खरीद, एसी खरीद, कंडक्टर व कैपेसिटर खरीद एवं मेंटीनेंस में महँगी दरों पर दिये जाने और पिटकुल को भारी क्षति पहुँचाये जाने वाले मामलों पर भी क्या होगी प्रभावी कार्यवाही?
18)- आईएमपी पावर ट्राँसफार्मर खरीद प्रकरण में अभी भी जारी घोटालों और लूट खसोट पर विराम क्यों नहीं?
19)- माले मुफ्त दिल बेरहम बने दरियादिल एमडी पर अनावश्यक मोबाइल और लैपटॉप स्टाफ को निगम की ओर से खरीदे जाने की हानिकारक और बोझ डालने वाली आदेश पर रोक क्योंनहीं?
20)- अधिकारियों व स्टाफ के वाहन सुविधा के रूप में टैक्सी भाड़ पर लगाये जाने एवं शासन के तत्सम्बंधित सरकुलर के अनदेखी? आदि अनेकांत और प्रकरण भी हैं।

क्या धामी शासन एक्शन और निर्णायक कार्यवाही की दिशा में कुछ कारगर कदम उठायेगा या फिर जनहित की अनदेखी करते हुये भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के चरागाह बन चुके पिटकुल के इन्हीं के हवाले छोड़ रखेगा?

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