पहाड़ की आर्थिकी को बेहतर बनाने को रोल मॉडल बनेंगी ऑल वेदर रोड़ और रेल लाइन

देहरादून: प्रदेश में केंद्रीय योजनाएं इस समय तेजी से आगे बढ़ रही हैं। चाहे ऑल वेदर रोड हो, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन, चार धाम रेल प्रोजेक्ट अथवा उड़ान योजना। इनसे प्रदेश के विकास और आर्थिकी को बेहतर बनाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी। नई केदारपुरी के पहले फेज का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर काम चल रहा है। तय है कि ये सभी परियोजनाएं प्रदेश को आने वाले समय में नई ऊंचाईयों की ओर ले जाने में मदद करेंगी।

ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन 

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पहाड़ के लिए अब लाइफ लाइन बनने जा रही है। 16216 करोड़ रुपये की 125 किमी लंबी रेल परियोजना पर तेजी से काम किया जा रहा है। न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन बन कर तैयार हो गया है। इस परियोजना को 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। चार चरणों में बनाई जानी वाली इस रेल परियोजना में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 12 रेलवे स्टेशन होंगे। रेल लाइन को गैरसैंण तक पहुंचाने के लिए इसमें 17 सुरंगें भी बनाई जाएंगी। इससे ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण तक पहुंच आसान हो जाएगी। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। चिकित्सा व शिक्षा सुविधाएं बढ़ेंगी। आवागमन आसान होने से पलायन भी रुकेगा।

इन स्थानों पर बनेंगे स्टेशन

वीरभद्र, ऋषिकेश, शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, मलेथा, श्रीनगर, धारीदेवी, गौचर और कर्णप्रयाग।

चारधाम ऑल वेदर रोड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में उत्तराखंड को चारधाम ऑल वेदर रोड की सौगात दी थी।  889 किमी लंबी इस सड़क के 672 किमी में कार्य चल रहा है। इस बीच वन भूमि हस्तांतरण के मामलों ने इसकी राह में कई जगह अड़चन भी पैदा की। खासकर भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन से गुजरने वाली 94 किमी लंबी सड़क पर ही पांच जगह सेंसिटिव जोन की बंदिशें आड़े आ रही थीं। अब न सिर्फ भागीरथी सेंसिटिव जोन, बल्कि अन्य स्थानों पर भी यह दिक्कत दूर होने से कार्य तेजी से होंगे।

परियोजना की प्रगति पर एक नजर

  • 12072 करोड़ परियोजना की कुल लागत
  • 889 किलोमीटर सड़क की लंबाई
  •  720 किमी के कार्य हुए स्वीकृत
  •  645 किमी में 34 जगह पर काम हुआ चालू
  • 647 किमी में चौड़ीकरण को कटान पूरा
  • 529 करोड़ रुपये भू-स्वामियों को आवंटित

 नए कलेवर में निखर रही केदारपुरी

केदारपुरी अब एकदम नए कलेवर में निखर चुकी है। सात साल पहले जून 2013 की केदारनाथ त्रासदी में केदारघाटी तबाह हो गई थी। आपदा में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ। इसके बाद शुरू हुआ इसे निखारने का काम। वर्तमान में केदारनाथ मंदिर का आंगन काफी खुल चुका है। मंदिर तक पहुंंचने के लिए चौड़ा रास्ता बनाया गया है। यहां श्रद्धालुओं के रहने-खाने की उचित व्यवस्था है। पूरे परिसर की सुरक्षा के लिए त्रिस्तरीय दीवार बनाई गई है।

यहां आद्य शंकराचार्य की समाधि स्थली, मंदाकिनी व सरस्वती नदियों के संगम पर घाट, हेली सेवाओं के लिए उत्तम सुविधाओं से युक्त हेलीपैड, नई गुफाओं के निर्माण, ब्रहमकमल वाटिका, आस्था पथ, सरस्वती घाट आदि पर काम तेजी से चल रहा है। इसके साथ ही यहां संग्रहालय भी बनाया जा रहा है।

 केदारपुरी की तर्ज पर निखरेगी बदरीशपुरी 

प्रदेश सरकार अब केदारनाथ की तर्ज पर बदरीनाथ को भी संवारने का काम कर रही है। सरकार ने बदरीनाथ का मास्टर प्लान तैयार कराया है। प्रस्तावित मास्टर प्लान के अनुसार बदरीनाथ मंदिर के चारों तरफ जगह खुली रहने से श्रद्धालुओं के आने-जाने में सुविधा रहेगी। मास्टर प्लान में यात्रियों के लिए वन-वे सिस्टम बनाने पर जोर दिया गया है, जिसके लिए मंदिर के चारों तरफ खाली जगह होना आवश्यक है। इसके अलावा बदरी तालाब व शेषनेत्र तालाब का सौंदर्यीकरण प्रस्तावित किया गया है तो मंदिर के ठीक पीछे बदरी वन विकसित करने की बात कही गई है। इसके साथ ही बदरीनाथ में एक अतिरिक्त पुल समेत अन्य व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने पर फोकस किया गया है। केंद्र सरकार ने भी बदरीनाथ धाम के विकास के लिए हरसंभव मदद मुहैया कराने की बात कही है। ऐसे में उम्मीद जगी है कि आने वाले दिनों में केदारनाथ की तर्ज पर बदरीनाथ भी विश्व पर्यटन पटल पर पर्यटन-तीर्थाटन के लिहाज से नई पहचान हासिल करेगा।

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