हर की पैड़ी घटना का प्रत्यक्ष दर्शी नहीं, घटना केवल अनुमानों के भंवर में!

आकाशीय बिजली या दीवार ढही, अभी केवल कयास, कोई तकनीकी आधार व जानकारी नहीं!

बिजली गिरती तो पास ही बडे ट्रांसफार्मर को भी भारी नुक़सान होता : सतपाल ब्रह्मचारी

हरकी पैड़ी का स्वरुप पुनः वापस लाया जायेगा-अपर मेलाधिकारी

डीएम ने 5 सदस्यीय कमेटी गठित कर कल तक माँगी रिपोर्ट

(शशी शर्मा से साभार)

हरिद्वार। हरकी पैड़ी पर हुए हादसे को लेकर मतभिन्नता और अलग-अलग अनुमानों ने एक भ्रम की स्थिती पैदा कर दी है।

अर्द्ध रात्रि को तेज बारिश के दौरान घटी घटना का कोई प्रत्यक्ष दर्शी न होने के कारण घटना केवल अनुमानों के भंवर में फंसी हुई है।

कुंभ मेले से कुछ ही समय पहले हुई इस घटना को लेकर जहां एक वर्ग हरकी पैड़ी की बीस इंच मोटी और अस्सी फुट लम्बी दिवार की मजबूती का आंकलन कर आकाशीय बिजली गिरना कारण बता रहे हैं तो वहीं गंगा सभा से जुड़े तीर्थ पुरोहितों और नेताओं का कहना है कि दिवार प्रशासन की कमजोर नीति से सड़कों में खुदे गहरे गड्ढों में पानी भरने से गिरी है।

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने सबसे पहले हरकी पैड़ी पहुंच कर मौके पर रहे गंगा सभा के पदाधिकारियों और स्थानीय लोगों से बात चीत कर उनका हाल जाना।

सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा एक भयंकर घटना से गंगा मईया ने ही रक्षा की है यदि लाकडाउन न होता तो भयंकर हादसा हो सकता था, क्योंकि श्रद्धालु स्नानार्थी ब्रहम मुहुर्त में ही स्नान को हरकी पैड़ी पहुंच जाते हैं।

उन्होंने कहा मेरी समझ से दिवार आकाशीय बिजली गिरने से ढहने की बात समझ में नहीं आती है क्योंकि बिजली गिरती तो पास ही बडे ट्रांसफार्मर को भी भारी नुक़सान पहुंचना चाहिए था,हरकी पैड़ी को बिजली की तारों से मुक्त किए जाने को लेकर,गैस पाइपलाइन परियोजना को लेकर,टेलिफोन आदि के ‌लिए खोदी जा रही सड़कों में खुदे गहरे गड्ढों में पानी भरने से ही गिरी प्रतीत हो रही है।

पूरा शहर खुदा पड़ा है ये सब काम समय पर बरसात से पहले पूरे होने चाहिए थे जो नहीं हुऐ,शहर में मंत्री जी का निवास है लेकिन मंत्री जी सुघ नहीं लेते,सब काम प्लानिंग से होना चाहिए था।

गंगा सभा के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मिश्रा ने कहा अगर लाकडाउन न होता तो सैकड़ों लोग इस हादसे में मारे जाते, उन्होंने हादसे का कारण अनुमानित रुप से खोदे गये गड्ढो में पानी भरना ही बताया।

उन्होंने कहा पुरोहित समाज अपर रोड पर जूता स्टाल बनाना चाहता था यदि बडा जूता स्टाल बन गया होता तो मलबा हरकी पैड़ी पर दूर तक मार करता जिससे हरकी पैड़ी के स्वरुप को भारी क्षति हो सकती थी।

हालांकि हरकी पैड़ी घटना को लेकर सबसे पहले गंगा सभा से जुड़े लोगों ने कहा कि घटना आकाशीय बिजली गिरने से हुई, आसपास रहने वालों का भी कहना था कि तेज बिजली कड़कने की गर्जना सुनाई दी।

1935 में बनी ये दिवार बीस इंच मोटी दिवार थी उसका चकनाचूर होना सवाल तो पैदा करता है।

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नगर निगम की मेयर अनीता शर्मा ने भी घटना स्थल का निरीक्षण किया उन्होंने कहा अन्डर ग्राउंड लाईनों के लिए हुई खुदाई ही घटना का मुख्य कारण प्रतीत होती है, आज ही नेपाली गली में भी गड्डों की वजह से पानी भरने के कारण एक आश्रम की दिवार भी गिर गई है। विभिन्न विभागों ने खर्चा बचाने के लिए एक ही गड्ढे में गैस, पानी, बिजली की लाइनों को डाल दिया है,जो गड्ढे पांच फुट खोदे जाने थे वो सिर्फ तीन फुट ही खोद कर लाईनें डालने के काम को पूरा किया जा रहा है।

अपर कुंभ मेलाधिकारी हरबीर सिंह के अनुसार जल्द से जल्द दिवार बना कर हरकी पैड़ी का स्वरुप वापस लाया जायेगा।

हरकी पैड़ी घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय ज्वाईंट कमेटी गठित : डीएम सी. रविशंकर

कल तक अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जा सकती है : कमेटी

(शशि शर्मा से साभार)

हरिद्वार के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने ये जानकारी देते हुए बताया जांच कमेटी में एक्जिक्यूटिव इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी, एक्जिक्यूटिव इंजीनियर, यूपीसीएल,एक भू वैज्ञानिक, सिटी मजिस्ट्रेट और नगर निगम को भी रखा गया है,ये कमेटी कल तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगी।

जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कहा ज्वाईंट कमेटी दिवार के गिरने के कारणों का पता लगायेगी,दिवार लैंडस्लाइड से या पानी भरने के कारण अथवा आकाशीय बिजली के कारण गिरी ये जांच करेगी।

उन्होंने कहा प्रथम दृष्टया पहाड़ से बडी मात्रा में आये पानी से दिवार का ढहना लग रहा है, उन्होंने कहा मौके पर पहाड़ से आनेवाले पानी के ड्रेनेज की कोई व्यवस्था नहीं है वहां जो सबसे कमजोर इलाका था वहां पानी हिट किया जिससे दिवार गिरी।

जिलाधिकारी के अनुसार 1937 में बनी दिवार को कोई भी सपोट कोई रिटेनिंग वॉल नहीं है सिम्पल दिवार होने के कारण प्रीलिमिनरी व्यू यही लगता है कि दिवार पानी से गिरी,बाकी कल रिपोर्ट आने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा मान लिजिए अगर आकाशीय बिजली गिरती तो दिवार से बीस तीस मीटर की दूरी पर स्थित हाईमास्ट लाइट पर लाइटनिंग अरेस्टर लगा हुआ है जिसकी बकायदा अर्थिंग भी की गई है, अगर आकाशीय बिजली गिरती तो उस पर भी गिरती और वो काला हो जाता।

उन्होंने कहा हालांकि हरकी पैड़ी पर आसपास के लोगों का अभी भी मानना यही है कि वहां आकाशीय बिजली गिरी है।

आसपास के होटलों में भी तेज वाईब्रेशन महसूस की गई,इस विकल्प को भी हम नकार नहीं रहे, घटना को इस दृष्टि से भी देखा जायेगा।

नगर निगम मेयर के उस बयान पर जिसमें ये कहा गया कि अंडरग्राउंड बिजली की लाइनों को निर्धारित पांच फुट की जगह मात्र तीन फुट पर ही डाला जा रहा है, उन्होंने कहा गहराई को लेकर विभिन्न मानक तय है अगर कहीं कोई अनदेखी की शिकायत सामने लाई जाती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

 

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