हमारे आपके जहन में घूमते सबाल? कोरोना नाम व मजहब नहीं पूछेगा! एक चिंतन – सुनीलं गुप्ता की कलम से

हमारे आपके जहन में घूमते सबाल?

कोरोना नाम व मजहब नहीं पूछेगा!

एक चिंतन – सुनीलं गुप्ता की कलम से

आज पूरा विश्व करोना वायरस से त्रस्त है और इस करोना चेन को तोड़ने व इस वैश्विक महामारी को परास्त करने के लिए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रशासनिक अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर व नर्स एवं सुरक्षा व पुलिस कर्मी तथा प्रत्यक्ष /अप्रत्यक्ष उन सभी लोगो के साथ जो इस समय राष्ट्र सेवा में देश की जनता सहित covid-19 के अन्तर्गत लाकडाउन को सफल बनाने एवं करोना को परास्त करने में तन्मयता से लगे हुये हैं, अवश्य धन्यवाद के पात्र हैं। जनता सोशल डिस्टेशिंग की अपने प्रधानमंत्री की अपील पर गम्भीरतापूर्वक अमल करते हुये अपने मन्दिर, गुरुद्वारों में इकठ्ठा न होकर पूजा अर्चना अपने अपने घरों में रहकर कर रही है।
वहीं एक दूसरे खास किस्म के तबके के कुछ लोग 130 करोड़ की आबादी वाले हमारे राष्ट्र को संकट की इस घड़ी में सार्थक भूमिका के विपरीत देशद्रोहियों की तरह भूमिका निभा कर और इस संक्रामक बीमारी कोरोना के कैरियर बन पूरे राष्ट्र में इसे फैला कर जिहादियों और फिदाईन की भाँति मानव बम के रुप में संगठित होकर दुष्कर्म की घिनौनी साजिश को अंजाम देने पर तुले हुये दिखाई पड़ रहें हैं। शायद तभी ये लोग जो अपने आपको जमात में पहले तो कानून का बार बार उल्लंघन करते हुये निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात में इकठ्ठा हुये और फिर इस संक्रामक बीमारी को एक सोची समझी साजिश के तहत छिपाते रहे। इस संक्रामक विश्व व्यापी बीमारी से लाखों लोग शिकार हो चुके और हजारों दम तोड़ चुके हैं वहाँ ऐसी साजिश या लापरवाही क्या आज हमारे और आपके मन में अनेकों प्रश्न नहीं उत्पन्न करती हैं तथा इनके जबाव भी शायद इन्हीं अनछुये प्रश्नों में कहीं न कहीं छिपे हुये हमें अवश्य कचोट रहे होंगे, पर आज हमें गम्भीरता से संयम के साथ एकता बनाये रखते हुये अपने राष्ट्र हित में धैर्य को कायम रखते हुये अमल करने की जरुरत है।

इस तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना मोहम्मद साद के बेहूदा व इंसानियत विरोधी तकरीरों के बहकावें में आने बाले कट्टरपंथियों व इस मुस्लिम कम्यूनिटी के लोगो को शायद यह नहीं पता कि ये कोरोना न तो किसी का नाम पूछता है और न ही हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई को पहचानता है!
ऐसे संकट के समय में सभी धर्मो, मजहबों के लोगो को जहाँ एक साथ सामूहिक जिम्मेदारी मानते हुये राष्ट्रथर्म का पालन करना चाहिए और चन्द लोगो को छोड़कर पूरा देश आज अपनी जिम्मेदारी भी इस दिशा में निभा भी रहा हैं। तथाकथित इस तरह की जाहिलियत और उन्माद फैलाने वाले और गलत रास्ते दिखाने वाले कुछ लोग और मौलाना, मौलवी इस्लाम के नाम का दुरुपयोग कर अपनी स्वार्थी दुकानें चलाकर देश के बीस करोड़ मुस्लिम भाइयों को बरगलाने और मूर्ख बनाने का काम कर रहें हैं तथा इनमें जहर घोल रहें हैं। यही नहीं ये इंसानियत के चन्द दुश्मन सबका साथ, सबका बिकास और सबका विश्वास की नीति अपनाने बाले प्रधानमंत्री पर मजहवी वेवुनियादी भेदभाव का आरोप लगाते हुये ऐसे ओछे व झूठे आरोप लगाकर लोगो को बरगलाने में नहीं चूक रहे हैं। इनकी इन हरकतों और साजिशों के विपरीत संयमित सरकार को क्या अब हनुमान की तरह अपना सीना चीरकर यहाँ साबित करना पड़ेगा कि उसके दिल में तुम्हारे लिए भी उतनी ही जगह है जितनी औरौं के लिए! बल्कि शायद इस देश में अब तक अगर किसी को सबसे ज्यादा प्राथमिकता, आर्थिक सहायता और योजनाओं से लाभान्वित किया गया है तो वह भी यही लोग जो एहसान फरामोश बने हुये झूठे आरोप लगाते हुये नजर आ रहें हैं। इन्हें झूठे आरोंपों में किंचित मात्र भी सकुचाहट नहीं हो रही है। जबकि अगर सही मानों में देखा जाये तो आज हर तरफ की मार और बेरुखी का सबसे अधिक शिकार देश में चुपचाप रहकर सहने वाला तथाकथित बहुसंख्यक मध्यम वर्ग ही है। चाहे वह सरकारी, प्राइवेट नौकरी करने वाला हो या विजनेस करने वाला छोटा और मध्यम दुकानदार हो अथवा वैल्डर व ठेकेदार हो।इस मध्यम वर्ग की न ही कभी किसी न सुध ली और न ही किसी ने इसके बारे में कभी सोचा? आज उच्च वर्ग और उच्च होता जा रहा है। सदैव अल्प संख्यकों और पिछड़े व अनुसूचित वर्ग के लिए ही अब तक की सरकारी ने कार्यप्रणाली अपनाती है। यहाँ भी इस समय भी यही देखने को मिला राशन इन्हें मुफ्त, गैस इन्हें मुफ्त, बिजली पानी के बिल इनके माफ, कर्ज व व्याज इनके माफ, मकान मुफ्त इन्हें, कोई टैक्स इन पर नहीं, सहायता व अनुदान राशि इन्हें, इलाज इनका मुफ्त और सभी कानून भी इन्हीं के पक्ष में फिर भी ये आरोप पक्षपात का लगाते, कहाँ तक उचित है! प्रधानमंत्री की लाक डाउन व सोशल डिस्टेंशिंग की अपील यह न माने और कानून यह न माने, राष्ट्र को खतरे में ये जानबूझ कर झोंक दें, आखिर क्यों?

बात इनकी यहीं तक नहीं रुकी जब इनकी इस साजिश का खुलासा हुआ तो इनके द्वारा पुलिस और डाक्टरों पर जहरीला थूक का थूका जाना और सड़कों सहित जगह-जगह थूक के माध्यम से संक्रामक कोरोना कीटाणु का फैलाया जाना क्या किसी इंसानियत विरोधी साजिश नहीं है? क्या ऐसे लोगो को देशद्रोही और क्रीट आतंकवादी की संज्ञा से सम्बोंधित नहीं किया जाना चाहिए? क्या इन तबलीगी जमात में सम्मिलित होने वाले इन सभी ढाई हजार लोगो के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही तत्काल किये जाने की आवश्यकता नहीं है? क्या निजामुद्दीन की इस तबलीगी जमात मरकज के सभी प्रबंन्धकों व कर्ताधर्ताओं व उन देशी-विदेशी मोलानाओं और मौलवियों के विरुद्ध गद्दारों जैसी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए?

क्या तबलीगी जमात के इन लोंगो के जो देश के कोने कोने में फैलकर कोरोना कैरियर बनकर संक्रामक बीमारी को जानबूझ कर फैला रहें हैं और अभी भी अपने आपको बार बार कहने के बावजूद भी चिकित्सकों व सरकार के हवाले न करके क्वारंटीन नहीं हो रहें, को संक्रमित अभियुक्त घोषित नहीं किया जाना चाहिए? क्या इन मानव जाति के दुश्मनों और इन्हें पनाह देने वाले और छिपाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही का बक्त नहीं? क्या इन फिदाईनों के खैरख्वाही करने वाले और इन अपराधियों की खुद की करनी से मरने वालों को शहीद कहने वालों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही में बिलम्ब उचित है? क्या इन राष्ट्र विरोधी कट्टरपंथियों के विरुद्ध जो बजाए सहयोग करने के इन्हें बरगला व भड़का रहे हैं और मजहबी ऊलजलूल फ़रमान व तकरीरें कर देश की फिजाँ को भी साथ ही साथ बिगाड़ने का प्रयास कर रहें हैं या अनुचित लाभ उठाना चाह रहें हैं, के विरुद्ध तत्काल पाबंदी लगाकर उन्हें जेल भेजे जाने की जरुरत नहीं है?

क्या चिकित्सकों आशा कार्यकत्रियों पर हमला करने वालों के विरुद्ध दुस्साहस को सबक सिखाने की कार्यवाही की तत्काल आवश्यकता नहीं है? क्या करोना सैनानियों का सहयोग न करके उन पर हमला कहीं साजिश का हिस्सा तो नहीं?

ये हम भारतवासियों की एकता व सार्थकता का ही परिणाम है कि हम अन्य देशों की तुलना में अभी तक कोरोना की भयावह मार से किसी हद तक बचे हुये हैं तथा हमारी लापरवाही हमारे लिए ही घातक हो सकती है!

हमें चाहिए कि किसी अफवाह व भ्रामक बातों के शिकार न हों और न ही किसी मतलब परस्त दखियानूसी वेबुनियादी बात कर बरगलाने और बहकाने वाले इन इंसानियत के दुश्मनों व तथाकथित धार्मिक प्रचारकों ठेकेदारों और मजहबी मौलानाओं और मौलवियों की ऊलजलूल बातों में न आँए ! आपका भगवान, अल्लाह और गुरू व परमेश्वर आप जहाँ रहकर सच्चे मन से अकेले रहकर पुकारेंगें वह वहीं आपके साथ है, न कि इकठ्ठा होने पर ही!

आज जरुरत है हम सभी को लाकडाउन का स्वयं स्वेच्छा से पालन करने की! आवश्यकता है सभी थर्मों और मजहबों के लोगो के द्वारा सोशल डिस्टेंशिग बनाये रखने की। और एक जगह इकठ्ठा न हों तथा पूजा प्रार्थना व नमाज अपने अपने घरों में रहकर ही करें! अपने को बचाँए और अपनों को बचाँए, तभी देश भी बचेगा और हम सब भी!

2 thoughts on “हमारे आपके जहन में घूमते सबाल? कोरोना नाम व मजहब नहीं पूछेगा! एक चिंतन – सुनीलं गुप्ता की कलम से

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