सचिव तो मुठ्ठी में हैं ही पर, अब तो मुख्यसचिव का शासनादेश भी यूपीसीएल के ठेंगे पर!!


तहलका की पोलखोल Breaking News….!!
वाह रे वाह,  ऊर्जा  विभाग — का एक और कारनामा!
शासन से बड़ा निगम?
सचिव तो मुठ्ठी में हैं ही पर, अब तो मुख्यसचिव का शासनादेश भी यूपीसीएल के ठेंगे पर!!
देदिया फिर अपनों को शिथलीकरण का मनमाना लाभ और बना दिया लेखाधिकारी से वरिष्ठ लेखाधिकारी!
———- गजब भी, अजब भी! —————
देहरादून। उत्तराखंड  की TSR सरकार के भ्रष्टाचार पर zero टालॅरेंस पर 0,0, और 0 की लगाने वाली झड़ी में यूपीसीएल  (उत्तराखंड पावॅर कार्पोरेशन लिमिटेड ) ने
लगातार एक के बाद एक कारनामों  को अंजाम देने में महारथ हासिल कर ली है। यूपीसीएल के बेखौफ अधिकारी अभी तक तो अपनी ऊर्जा सचिव को ही अपनी मुठ्ठी में पहले से ही रखे हुये उनके आदेशों का उपहास और उल्लंघन जबतब उडाते रहना आदत सा बन चुका नजर आ रहा था, फिर चाहे उनमें एक से बढ़कर एक बड़े चर्चित घोटाले और तथाकथित भ्रषटाचार के मामले रहें हों या फिर सचिव महोदया के आदेशों पर आदेश की ऐन केन प्रकरेण धज्जियाॅ उड़ा कर उपहास उडाने के प्रकरण रहें हों, सभी  पुरस्कार के योग्य दिखाई पड़ रहें क्योंकि इस सरकार को तो सीधे  कोई नुकसान नहीं है – सरोकार तो जनता व उपभोक्ताओं का है बिजली  दरें बढ़ाते  जाओ और खुद खाओ, इन्हें  भी खिलाओ! कुछ नहीं होगा – अभयदान और क्षमादान इस उदारवादी सरकार की परम्परा हीअभी तक दिखाई पड़ती रही है ? यहाँ  यह भी उल्लेखनीय  है कि सचिव ऊर्जा  के द्वारा विगत दिनों पारित कड़े आदेश भी तीनों  निगमों  और उरेडा के शातिराना अंदाज से धूल चाटते ही अभी तक दिखाई  पड़  रहें हैं?
सरकार व शासन की कथनी और करनी में  दोहरे रवैये  का ही परिणाम है कि इन बेखौफ व निरंकुश अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं और वे अब मुख्य सचिव के हस्ताक्षरों से जारी कारमिक अनुभाग -2 द्वारा  जारी आदेश  (शासनादेश ) संख्या -257/xxx-2/17/03 (06)2013T..दि. 4  सितम्बर 2017 उत्तराखंड सरकारी सेवक पद्दोन्नति के लिए अहरकारी सेवा में  शिथिलीकरण नियमावली 2010 तथा संशोधित सेवा नियमावली, 2015 के सम्बंध  मे  स्धगित रखे जाने के आदेश  को बड़ी आसानी से धत्ता बता दिया गया और अपने चहेतों कों निदेशक मानव संशाधन/ उपकालि./ अनु. काडी./प्रोन्नति पत्रांक 3880 दिनांक 5-12-2018 द्वारा दो लेखाधिकारियों हरीओम पाली व राकेश चन्द्र को वरिष्ठ  लेखाधिकारी के पद पर प्रोन्नति दे दीगई।
ज्ञात हो कि इनमें से राकेश चन्द्र के बारे में  तो यह भी चर्चा  जोरों पर है उक्त महाशय एक विशेष मुख्य अभियंता के खासमखास हैं  जिस कारण उनका मुख्यालय में ही  विगत कई वर्षों से मोह भंग नही हो पा रहा है! इसके पीछे  भी कोई विशेष  बजह चर्चा  में  है जिस कारण एमडी भी वेवश बताये जा रहें है?
मजे की बात तो यह है कि जिस विभागीय आदेश के बलद पर इन दोनों को शिथलीकरण  का लाभ दिया गया है वह विभागीय आदेश संख्या 6939-निदे0 (मा.स.)/09/का. अनु.ए/बी-1दि. 14-10-2011 का है, मे निहित
प्रतिबन्धाधीन प्रोन्नति हेतु न्यूनतम अहरकारी सेवा में  प्रथम एवं अन्तिम बार 50 प्रतिशत  शिधिलता अनुमन्य कर “वरिष्ठ लेखाधिकारी के पद पर प्रोन्नत कर दिया गया। उक्त अनुचित प्रोन्नति के बारे में एमडी यूपीसीएल से बात करने का प्रयास  किया परन्तु उन्होंने शायद कुछ भी कहना उचित नहीं  समझा!
बताया तो यह भी जा रहा है यूपीसीएल के निदेशक मा. स. व खासमखास चर्चित मुख्य अभियंता  की जुगलबंदी की ही देन है जो  इस प्रकार का आदेश जारी कर शासन को ठेंगा दिखाया गया है? देखना गौर तलब होगा कि इस पूरे पकरण पर TSR शासन का क्या रूख  रहता है!
(प्रोन्नति  आदेश  व 2017 का मुख्य सचिव का शासनादेश — संलग्न किया जा रहा है)

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