हजारों करोड़ की मिसाइल देने भारत आ रहे पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन 4 अक्टूबर को भारत के दो दिन के दौरे पर आ रहे हैं. इस दौरान भारत और रूस के बीच 39 हजार करोड़ रुपए का S-400 एयर डिफेंस मिसाइल डिफेंस सिस्टम का करार होगा.

इस करार के तहत भारत को पांच S-400 एयर डिफेंस डिफेंस सिस्टम मिलेंगे. भारत इसके लिए रूस के साथ 39 हजार करोड़ रुपए के एक करार पर दस्तखत करेगा. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान इस करार पर हस्ताक्षर होगा. दोनों राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच सामरिक मुद्दों के अलावा वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर गंभीर वार्ता होगी. अपनी दो दिन की यात्रा के दौरान पुतिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिलेंगे.

भारत और रूस के बीच यह 19वीं वार्षिक बैठक नई दिल्ली में होने जा रही है. अमेरिका की ओर से कई प्रतिबंधों के बावजूद S-400 मिसाइल सिस्टम पर यह करार होने जा रहा है. अमेरिका ने भारत सहित कई देशों को रूस के साथ किसी प्रकार की हथियार डील न करने की हिदायत दी है. हालांकि भारत अपने पुराने सहयोगी और मित्र देशों के साथ सावधानी से कदम बढ़ाते हुए रूस के साथ यह करार करने जा रहा है.

S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को रक्षा से जुड़ी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने अभी हाल में हरी झंडी दी है. रक्षा प्रणाली के सौदों को मंजूरी देने के लिए  सीसीएस भारत की उच्चतर कमेटी है. इस कमेटी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद करते हैं.

इस मिसाइल सिस्टम की खरीद से भारत और अमेरिकी संबंधों पर क्या असर होगा? इस सवाल के जवाब में एक आला रक्षा अधिकारी ने बताया कि ‘इस बाबत हमने अपना पक्ष वॉशिंगटन को काफी पहले बता दिया है.’ भारत-रूस के बीच मिसाइल सिस्टम डील की आधिकारिक घोषणा 5 अक्टूबर को दोनों सरकारों के बीच बैठक के दौरान होने की संभावना है.

भारत और रूस के बीच इस अहम रक्षा सौदे का ऐलान साल 2016 में गोवा में आयोजित BRICS समिट के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत के बाद हुआ था. S-400 ट्रायंफ लॉन्ग-रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम में दुश्मन के आने वाले लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि 400 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन को नष्ट कर सकता है. भारत की सैन्य प्रणाली में एस-400 के शामिल होने से उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.

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