नैनीताल के रामनगर कांग्रेस कार्यालय पर कब्जे को लेकर राजनीतिक बवाल तेज हो गया है. सोमवार सुबह शुरू हुआ विवाद राज्य की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है. कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया है. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन चंद्र कापड़ी, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदेश और जसपुर विधायक आदेश चौहान सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता सोमवार को रामनगर पहुंचे. सभी ने मिलकर सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए.
दरअसल, रामनगर-रानीखेत रोड पर स्थित कांग्रेस कार्यालय को लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत और एक भवन स्वामी के बीच लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है. सोमवार को विवाद उस वक्त और गहरा गया जब कथित रूप से उत्तर प्रदेश से आए कुछ लोगों ने कार्यालय का ताला तोड़ दिया और कब्जा कर लिया.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पार्टी कार्यालय पर पुलिस की मौजूदगी पर जबरन कब्जा कराना ये साबित करता है कि उत्तराखंड में लोकतंत्र खतरे में है. सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रही है. सीजफायर जैसे मुद्दों पर जब जनता सवाल उठाने लगी तो सरकार ने ध्यान भटकाने के लिए रामनगर जैसी घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया. लोग अब इंदिरा गांधी जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
वहीं मामले में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि यह सरासर गैरकानूनी है. पार्टी का कार्यालय होते हुए भी ताला तोड़कर कब्जा करना और वह भी पुलिस की मिलीभगत से, यह साफ दर्शाता है कि सरकार के इशारे पर प्रशासन काम कर रहा है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार प्रदेश में अराजकता फैलाना चाहती है और जनता का ध्यान मूल मुद्दों से हटाने के लिए यह सब किया जा रहा है. कांग्रेस नेताओं ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि हालात बिगड़ते हैं तो इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और रामनगर कोतवाल की होगी. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक पार्टी कार्यालय उन्हें वापस नहीं मिलता, वे वहीं डटे रहेंगे.
इस पूरे मामले पर रामनगर तहसीलदार मनीषा मरकाना ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक जमीनी विवाद है और दोनों पक्षों की तहरीर के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.