वकीलों की हड़ताल के कारण नहीं हो सकी आज ज्ञानवापी मामले की सुनवाई

वाराणसी।   उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफी सर्वे मामले में बुधवार को वकीलों की हड़ताल के कारण स्थानीय अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी। राज्य सरकार के एक पत्र में वकीलों के लिये प्रयुक्त की गयी भाषा के विरोध में वकीलों ने आज हड़ताल का आह्वान किया था।

वाराणसी बार एसोसिएशन के पदाधिकारी आनंद मिश्रा ने बुधवार को बताया कि राज्य सरकार के एक विशेष सचिव की ओर से जारी एक पत्र में आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल केे विरोध में वकीलों ने एक दिन की हड़ताल करने का फैसला किया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील ने बार एसोसिएशन को पत्र लिखकर ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जारी रखने का अनुरोध किया था।

ज्ञात हो कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में आज वादी पक्ष और सरकारी वकील की अर्जियों पर सुनवाई होनी थी। वादी पक्ष ने अदालत से वजूखाने के पास स्थित तहखाने का सर्वे कराये जाने की मांग की है। वादी पक्ष का कहना है कि तहखाने में जाकर ही शिवलिंग के आकार प्रकार का पता चल सकेगा।

दूसरी ओर सरकारी वकील ने वजूखाना सील होने के बाद वहां पानी की उपलब्धता को लेकर अदालत का ध्यान आकर्षित कराया है। उनका कहना है कि वजूखाना सील होने के कारण वजूखाने में पानी नहीं पहुंच पा रहा है जिससे कारण असुविधा हो रही है, साथ ही मछलियों के जीवन पर भी संकट आ गया है।

अदालत की हड़ताल के कारण इन दोनाें अर्जियों पर सुनवाई नहीं हो सकी। इस बीच मुस्लिम पक्ष ने वकीलों की हड़ताल और अपने अधिवक्ता की बीमारी का हवाला देते हुए वादी पक्ष की अर्जी पर आपत्ति दाखिल करने के लिये दो दिन का समय मांगा है।

अदालत द्वारा नियुक्त वीडियोग्राफी सर्वे दल को अपनी रिपोर्ट गुरुवार को अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी है। पिछली सुनवाई में एडवोकेट कमिश्नर ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिये दो दिन का समय मांगा था।

मस्जिद प्रबंधक कमेटी के अनुसार वजूखाना सील होने के कारण नमाजियों से कहा गया है कि वे घर से ही वजू करके आयें, इसके लिये मस्जिद में वैकल्पिक व्यवस्था भी की गयी है।

उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी प्रकरण पर मंगलवार को उच्चतम न्ययालय ने सुनवाई हुई थी। न्यायालय ने स्थानीय अदालत की आेर से इंगित किये गये शिवलिंग वाले स्थान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया था। साथ ही न्यायालय ने कहा था कि मस्जिद में प्रवेश करने तथा वहां नमाज एवं अन्य मजहबी कामों पर कोई पाबंदी नहीं होगी।

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