बांदा: उत्तर प्रदेश के कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा संजय सिंह ने कहा है कि गुणवत्तापूर्ण शोध एवं प्रसार गतिविधियों से ही कृषि क्षेत्र में समय की मांग के अनुरूप व्यापक बदलाव संभव है।
डा सिंह ने बांदा स्थित कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अर्धवार्षिक मूल्यांकन एवं समीक्षा विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुये बुधवार को कहा कि बुंदेलखंड के विकास को सरकार प्राथमिकता दे रही है। इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध सुविधाओं के विकास हेतु हरसंभव सहयोग किया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि कार्यशाला में तेजी से बदलते मौसम एवं क्षीण होते प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए प्राकृतिक , सहफसली खेती, कृषि वानिकी, उद्यान वानिकी, प्रसंस्करण ,मूल्य वर्धित उत्पाद पर आधारित कृषि हितैषी परियोजनाएं तैयार की जानी चाहिए।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेंद्र प्रताप सिंह ने शोध की संभावनाओं को स्पष्ट करते हुए बुंदेलखंड की विशिष्ट जलवायु एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत शोध कार्यों के महत्व को समझाया। कुलपति ने विंध्य क्षेत्र के विशिष्ट फल, सब्जियों, औषधियों, वानिकी, वृक्षों के संरक्षक, वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन की तकनीक को विकसित करने तथा बुंदेलखंड की विशिष्ट पहचान मोटे अनाज, कठिया गेहूं, दलहन, तिलहन, रेशा फसलों की उच्च उत्पादकता वाली प्रजातियों के विकसित करने एवं कृषि प्रौद्योगिकी विकसित करने का आह्वान किया।
इस अवसर पर डा सिंह ने कुलपति और विज्ञानियों के साथ शोध क्षेत्रों व संबंधित सभी कृषि इकाइयों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि विज्ञानियों का प्राध्यापकों एवं शोध सहायकों के शोध कार्य समय के अनुकूल व किसान हितैषी होने चाहिए। उन्होंने विज्ञानियों से बुंदेलखंड के लिए प्रजातियां विकसित करने तथा उद्यानिकी वानकी के सर्वोत्तम पौध सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार एन के बाजपेई , प्रधान अन्वेषक डा ए के श्रीवास्तव, डा बीएस राजपूत सहित अन्य कृषि वैज्ञानिक मौजूद रहे।