आईएएस एमडी अपनी धुन में और घोटालेबाज अपनी धुन में!
ट्रिपिंग के बाद 24 अक्टूबर से एक ट्राँसफार्मर पर लोड क्यों?
बहाना टेस्टिंग का, पर्दा घोटालों की पोल पर!
करनी महायादव और कॉकस की, निरन्तर भुगत रहा पिटकुल!
एक के ऐक्शन अधर से, दूसरे की वारंटी भी हुई खत्म से पाँच करोड़ का फिर चूना?
ऐसे निदेशक ही हैं एमडी की कुर्सी की फिराक में!
(ब्यूरो की धमाकेदार पड़ताल)
देहरादून। उत्तराखंड के ऊर्जा विभाग के घोटालों और काले कारनामों पर ऐक्शन हो ऐसा अभी तक तो किसी में भी दम नजर नहीं आया। चाहे वे रावत सरकारें रहीं हों या फिर वर्तमान धामी सरकार। शुरूआती दौर में लगा था कि धीमी सरकार कुछ करिश्मा कर दिखायेगी और भ्रष्टाचारियों व घोटालेबाजों को उनके सही ठिकाने पर पहुँचा नये आयाम स्थापित कर जनधन को लुटने से बचा पायेगी। परंतु जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे घोटालेबाज अपना सिर उठाने नजर आते दिखने लगे। ऐसा ही एक दुस्साहस का प्रकरण हमारी पड़ताल में फिर सामने आया है जिससे इसी ऊर्जा विभाग के तीन तीन आईएएस और एक कैबिनेट मंत्री व मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है तथा यह भी अहसास हो गया है कि यहाँ आज भी सब राम भरोसे ही चल रहा है। क्योंकि सीएम साहब केवल और केवल लाईम लाईट में रहने के शौकीन तथा ऊर्जा मंत्री, ऊर्जा बटोरने की राजनीति में और सचिव बेचारी देखें तो किधर किधर व
आईएएस एमडी साहब तो साहब हैं उनका तो कहना ही क्या? वे तो सरकारी फोन भी उठाना पसंद नहीं करते!
तीन चार दिनों से चल रही हमारी पड़ताल में जो तथ्य उजागर हुये हैं वे केवल चौंकाने बाले ही नहीं है बल्कि उनसे तथाकथित तेज तर्रार धामी सरकार और उनके शासन की कार्यप्रणाली की पोल खुल गयी है। तभी तो तीन दिनों से निरन्तर पिटकुल के होनहार सपूतों द्वारा पाँच करोड़ से अधिक के 80 MVA पाॅवर ट्राँसफार्मर के ठप्प होने को छिपाया जा रहा है और यही नहीं कहीं दोबारा इस कॉकस के घोटालों की पोल न खुल जाये इसलिए टेस्टिंग और शटडाऊन के नाम का नाटक किया जा रहा है। जबकि नियमानुसार करोडों कि क्षति की सूचना तत्काल एमडी सहित वरिष्ठ अधिकारियों व चेयरमैन और सचिव को दी जानी चाहिए!
सचिव ऊर्जा से उक्त प्रकरण पर जब आज प्रातः ब्यूरो चीफ द्वारा जानकारी चाही गयी तो वे भी हतप्रभ रह गयीं!

बताया तो यह भी जा रहा है कि उक्त पावर ट्राँसफार्मर की अभी दो माह पहले ही वारंटी खत्म हुई है तथा उक्त ठप्प हो गये ट्राँसफार्मर का लोड दूसरे 80 MVA के ट्राँसफार्मर पर ही डाल कर सेलाकुईं इण्डस्टरियल एरिया का काम चलाया जा रहा है। ज्ञात हो कि अभी कुछ महीनों पहले ही बड़ी जद्दोजहद के बाद आईएमपी द्वारा एक्सचेंज कर स्थापित किया गया था जबकि उक्त चर्चित प्रकरण की जाँच व उस पर शासन का ऐक्शन अभी भी ठण्डे बस्ते में पड़ा हुआ कराह रहा है।
ज्ञात हो कि पिटकुल के झाझरा 220 केवी सबस्टेशन पर चर्चित आईएमपी के चार पाॅवर ट्रांसफार्मरों (दो 80-80 तथा दो 40-40 एमवीए) की सप्लाई अजब गजब के खेल में लबरेज एक बहुत बड़े घोटाले के साथ हुई थी जिसमें दो दर्जन से अधिक पाॅवर ट्राँसफार्मर विवादित आईएमपी कम्पनी से षडयंत्र के तहत खरीद कर चन्द दिनों में सारे नियमों को बनाए ताक रख कर करोंडों के बारे न्यारे किये गये थे। जब उक्त खरीदारी हुई थी तब महाबली यादव एमडी और वर्तमान निदेशक परियोजना ही मुख्य सूत्रधार थे जो उस समय चीफ सीएण्डपी थे तथा उनके काॅकस में कुछ महान विभूतियाँ और भी सम्मिलित थी जिन्होंने भी बिना अधिकार उक्त कम्पनी की पाँच करोड़ की बीजी स्वयं सर्वेसर्वा बनकर आनन फानन में रिलीज कर दी थी।
उल्लेखनीय यह नहीं कि ट्राँसफार्मर ट्रिप कर गया और ठप्प हो गया। बल्कि उल्लेखनीय तो यह है कि कहीं ये घोटालों का जिन्न फिर से न जग जाये और इनकी काली करतूत की पोल न खुल जाये? इस लिए उक्त कारगुज़ारी को दबा कर रखो। इस दुस्साहस और गुप्पी चुप्पी से आईएएस एमडी व सचिव ऊर्जा को भी अनभिज्ञ रखा गया है और ऐनकेन प्रकरण दो माह पूर्व वारंटी समाप्त हो चुके पावर ट्राँसफार्मर की कहानी क्या गढी़ जाये और कैसे षडयंत्र को अंजाम दिया जाये ताकि गुणवत्ता की पोल न खुले। इस उधेड़बुन में निदेशक परियोजना व एक अन्य निदेशक महोदय द्वारा गुल खिलाना जा रहा जा रहा है ताकि उनके एमडी बनने के रास्ते में कोई अड़चन न पैदा हो सके तथा काले कारनामें कि भांडा न फूट सके!
ज्ञात हो कि उक्त दोनों निदेशक क्रमशः और पिटकुल के एमडी की कुर्सी की फिराक में जैसे भी तैसे, लगे हुये हैं। शायद यही कारण प्रबल नजर आ रहा है कि चाँदी के थाल कि हथियाने की खींचातानी और ऊर्जामंत्री व मुख्यमंत्री की गुपचुप रस्साकशी में 5 अक्टूबर को हुये साक्षात्कारों का परिणाम घोषित न हो कर अधर में लटका हुआ है जबकि उसे तभी घोषित हो जाना चाहिए था?
एमडी व निदेशकों के बहु प्रतीक्षित साक्षात्कार का तो जो भी परिणाम होगा वह तो ये ही जाने, पर बात तो यहाँ जनधन और भ्रष्टाचारी व घोटालेबाजों की उस करनी का हैं जिसे निरंतर भुगतते भुगतते पिटकुल त्रस्त हो चुका है।
देखना यहाँ गौर तलब यह भी होगा कि इस तरह के दुस्साहसी गोरखधंधेबाज अधिकारियों पर पुष्कर सरकार क्या रुख अपनाती है?