ये है करोंडों की लागत से बन रही स्मार्ट सिटी में स्मार्ट भ्रष्टाचार नहीं तो क्या?
(सुनील गुप्ता, ब्यूरो चीफ)
देहरादून। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में देहरादून भी एक है जहाँ आज विगत दो वर्षों से राजधानी दून की मुख्य मुख्य सड़कों पर और जगह जगह लगे स्मार्ट पोल्स पर डिजीटल स्मार्ट बोर्ड से आपको याद दिलाते देखे जा सकते हैं जो बताते हैं कि “आप स्मार्ट सिटी में हैं” वरना आप जान ही नहीं पायेंगे!
देखिए एक राहगीर द्वारा बनाई गई कल शाम मामूली बरसात से दीखा परेशानी का सबब, एक झलक आप भी देखिए …
ज्ञ्त हो कि विगत दो-ढाई वर्षों से राजधानी दून की मुख्य मुख्य सड़कों पर खुदाई और स्मार्ट सिटी के कामों की बजह से चलना और निकलना दूभर बना हुआ है और यही हाल ऐतिहासिक पलटन बाजार में भी विगत लगभग आठ नौ महीनों से काम चल रहा है और पलटन बाजार को स्मार्ट बनाने के लिए डीएम डा़ आशीष कुमार श्रीवास्तव जो की इस महत्व पूर्णं प्रोजेक्ट के सीईओ भी हैं, को सीम तीरथ सिंह रावत द्वारा धीमी गति से हो रहे कामों के कारण हो रही जन असुविधाओं एवं दुकानदारों की क्षति को दृष्टिगत रखते हुये सीएम बनते ही 15-16 मार्च को पलटन बाजार में अवलोकन कर कडे़ निर्देश दे चुके थे कि हर हाल में 30 अप्रैल तक स्मार्ट सिटी का कार्य पूरा हो जाये।

उल्लेखनीय है कि कोविड कर्फ्यू के कारण सूनसान पडे़ बाजार व सड़कों के बावजूद भी पलटन बाजार का काम न पूरा हुआ और न ही गुणबत्ता का ध्यान रखा गया। गुणबत्ता के मामले में तो सोचना ही व्यर्थ है जब तक कमीशनखोरी और अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता और जनधन की कहावत चरितार्थ होती रहेगी तथा शासन व प्रशासन में बैठे आला अफसर स्वच्छ मन से धरातल पर खडे़ होकर अपना दायित्व नहीं निभायेंगे तब तक ऐसे ही दुष्कृत्य और घोटाले व भ्रष्टाचार होते रहैंगे और सरकारें बदनाम होती रहेंगी तथा जनता त्रस्त की त्रस्त ही रहेगी। यहाँ यह तथ्य भी कम उल्लेखनीय नहीं होगा कि सत्ता व शासन में प्रमुख अहोदों पर बैठे लोग खोखले भाषणों और छपास व दिखास के रोग से त्रस्त रहेंगे तब तक किसी भी योजना और परियोजना के साकार होने व उसके उद्देश्य पूर्ति असम्भव होगी!
ज्ञात हो कि कल जून की प्रथम झलक में ही पलटन बाजार में स्मार्ट सिटी के कामों की पोल स्वतः ही खुल गयी और मुसीबत बन साबित हुई। कल शाम को हल्की फुल्की बारिस से ही दुकानों में सड़कों व नालियों का पानी भर गया और उनको काफी क्षति भी हुई। न ड्रेनेज सिस्टम और न ही बनी डक में कोई सही मानदंडों का अपनाया जाना और न ही गुणबत्ता का ध्यान ही रखा गया। जब भारी बरसात होगी तब क्या हाल होगा इसकी कल्पना बडी़ आसानी से की जाती है। यही नही जनधन की वर्वादी के लिए सुन्दरता के नाम पर बिछाई गयी कच्ची घटिया स्तर की टायलें एक ओर लग रही हैं दूसरी ओर टूटना प्रारम्भ भी हो गयी हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि यह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की आयु मात्र कुछ महीने या साल ही है और बजाय सुन्दरता व सहूलियतों के मुसीबत का पहाड़ ही बनने के लिए है, अभी तो बात यहाँ हम केवल पलटन बाजार की ही कर रहे हैं बाकी शहर में हुये इस परियोजना के कामों का तो कहना ही क्या!
क्या ऐसी ही सामार्ट सिटी दूनवासियों को मिलनी है? क्या अब प्रदेश में इनकी सुध लेने वाला कोई है!