श्री पूर्णानंद तिवारी कैंची ग्रामवासी महाराज के परम भक्त थे। पर तब उनके बड़े सुपुत्र मोहन तिवारी किसी और को अपना गुरु मानते थे। मार्च 1984 की बात है वह अपने मकान के लिए रात में सीमेंट रेता, लोहा आदि ट्रक से ला रहे थे हल्द्वानी रोड में दो गांव के पास उनका ट्रक खड्डे में गिर गया तिवारी जी गिरकर बेहोश होकर खडडे में गिर गए। अर्घचेतना में उन्होंने बाबा जी को वहां लालटेन खड़े लेकर खड़े देखा बाबा जी ने उनका हाथ पकड़कर सहारा दिया और सड़क पर ले आए और पुनः ओझल हो गए। मोहन तिवारी किसी तरह दूसरी ट्रक में बैठकर घर आ गए दूसरे दिन रहता रेता छोड़कर सभी समान मोहन तिवारी के घर पहुंच गया था।
आज भी श्री पूर्णानन्द तिवारी के छोटे पुत्र महाराज जी के परम भक्तों में हैं उन्होंने अपने घर के बड़े कमरे में बाबा जी का मंदिर स्थापित कर दिया है पूर्णानंद तिवारी के छोटे पुत्र उर्वा दत्त त्तिवारी उत्तराखंड परिवहन निगम से सेवानिवृत्त होने के बाद बाबा जी की भक्ति में लीन है उर्वा दत्त तिवारी को पूर्व में तीन बार हृदय रोग की बीमारी का भी सामना करना पड़ा है लेकिन वह अपने को बचाने का श्रेय बाबा नीम करोली महाराज को देते हैं वह रोजाना सुबह शाम बाबा जी के मंदिर दर्शन के बाद अपने घर में स्थापित मंदिर में अपनी पत्नी और चार बेटियों के साथ आरती और भजन कीर्तन करते हैं 15 जून के दिन ही वह अपने घर में स्थापित मंदिर में मूर्तियों का प्राण प्रतिष्ठा भी कर रहे हैं साथ में वह घर में ही मालपुए का भोग लगाएंगे और प्रसाद वितरण करेंगे।तिवारी के अन्य तीनों पुत्र त्रिलोचन तिवाड़ी, खीमानंद तिवाड़ी एवं केशव तिवाड़ी भी बाबाजी की भक्ति में लीन है व मन्दिर के सभी कार्यक्रमों में पूरा सहयोग कर रहे हैं।