हल्द्वानी। 19वीं सदी यानी ब्रिटिशकालीन में कुमाऊं के लोगों को दूर-दूर तक यात्रा पर ले जाने वाला कुमाऊं टाइगर अब आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन परिसर में देखने को मिलेगा। जी हां हम बात कर रहे हैं कुमाऊं टाइगर के नाम से मशहूर भाप के इंजन की जो 1826 में काठगोदाम रेलवे स्टेशन से लोगों को रेल यात्रा के माध्यम से दूर तक ले जाया करता था बदलते दौर के साथ अब भाप वाले इंजन की जगह डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन ने ले ली है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन परिसर में प्रदर्शनी के लिए लगाए गए कुमाऊं टाइगर के नाम से मशहूर इस भाप के इंजन को टाइगर के नाम से इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि यह काठगोदाम की चढ़ाई में भी बोगियों को टाइगर की तरह खींचकर ले जाता था। इससे पूर्व यह पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के लिए लगाया गया था, जिसे अब काठगोदाम में लगाया गया है। स्टेशन अधीक्षक चयन राय ने बताया कि कुमाऊं के लोगों को इस भाप के इंजन और उस समय की शान कहे जाने वाले कुमाऊं टाइगर को देखकर गर्व की अनुभूति हो इसलिए इसे यहां प्रदर्शित किया गया है, साथ ही लोग इसके पास आकर सेल्फी भी ले रहे रहे हैं यह काठगोदाम रेलवे स्टेशन का सम्मान है क्योंकि इस कुमाऊं टाइगर ने काठगोदाम से ही यात्रा शुरू कर लोगों को दूर-दूर तक पहुंचाया था।